Jammu Kashmir: डीजीपी दिलबाग सिंह बोले, इस साल कम हुई घुसपैठ

Jammu And Kashmir DGP Dilbag Singh. जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक ने कहा कि लंबे समय से सक्रिय रहने वाले आतंकियों की संख्या कम हो गई है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Tue, 31 Dec 2019 04:23 PM (IST) Updated:Tue, 31 Dec 2019 04:23 PM (IST)
Jammu Kashmir: डीजीपी दिलबाग सिंह बोले, इस साल कम हुई घुसपैठ
Jammu Kashmir: डीजीपी दिलबाग सिंह बोले, इस साल कम हुई घुसपैठ

नई दिल्ली, एएनआइ। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक, हमारे रिकॉर्ड के अनुसार इस साल लगभग 130 लोग घुसपैठ करने में कामयाब रहे। पिछले साल का आंकड़ा 143 था। उनके मुताबिक, आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या घट गई है। 2018 में 218 की तुलना में इस साल आंकड़ा 139 रहा।

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक ने कहा कि लंबे समय से सक्रिय रहने वाले आतंकियों की संख्या कम हो गई है। सक्रिय आतंकियों की संख्या 300 से घटकर 250 रह गई है। 

जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि आतंकियों के खिलाफ मुहिम के दौरान इस साल कश्मीर में कहीं पत्थरबाजी नहीं हुई। इस समय कश्मीर में सक्रिय ढाई सौ के करीब आतंकियों में से 102 पाकिस्तानी  हैं। 

एलओसी पर दुश्मनों को पस्त कर रहा सेना का श्वान दस्ता

सेना के श्वान दस्ते के सदस्य कश्मीर में बर्फ से घिरी नियंत्रण रेखा पर जवानों के साथ कदम मिलाते हुए दुश्मन की हर हरकत पर नजर रख रहे हैं। विपरीत हालात में भी सेना के ये कुत्ते आतंकियों की घुसपैठ रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये खामोश प्रहरी सरहद पर हर आफत का सामना करते हुए जवानों को सचेत भी कर रहे हैं। उत्तरी कश्मीर में सेना के श्वान दस्ते के सदस्य बूजो किसी हीरो से कम नहीं है।

बूजो ने गत दिनों क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई। इसमें हीरो साबित हुए बूजो का सैनिकों ने जोरदार स्वागत किया था। बूजो के साथ सेना के श्वान दस्ते के रोमा, डेविल भी अग्रिम चौकियों पर डेरा डालने वाले ऐसे कुत्ते हैं जो बर्फ की आड़ में घुसने वाले दुश्मन की दूर से पहचान कर सैनिकों को सचेत कर देते हैं। महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे इन वफादार साथियों को सैनिकों की ओर से पूरा सम्मान व प्यार मिलता है।

डेढ़ सौ से अधिक हैं प्रशिक्षित कुत्ते

नियंत्रण रेखा की सुरक्षा को पुख्ता करने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सेना के श्वान दस्ते में 150 से अधिक प्रशिक्षित कुत्ते हैं। वे दुश्मन पर हमला कर उसे काबू में करने, दुश्मन को ट्रैक करने व विस्फोटक, अन्य संदिग्ध वस्तुओं को तलाशने में विशेष भूमिका निभाते हैं। इनमें से अधिकतर डबल फर वाले जर्मन शैफर्ड नस्ल के कुत्ते हैं। डबल फर वाले जर्मन शैफर्ड नस्ल के कुत्ते अग्रिम इलाकों की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं।

लैब्राडोर नस्ल के कुत्ते भी कमाल

केलैब्राडोर नस्ल के कुत्ते पिछले इलाकों में आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए सक्रिय हैं। वे दुश्मन को ट्रैक करने व विस्फोटक, अन्य संदिग्ध वस्तुओं को खोज निकालने में महारत रखते हैं। इसके लिए उन्हें पूरा अहमियत मिलती है। एलओसी पर उनकी सूचना को पूरी गंभीरता से लेते हुए सेना के जवान कार्रवाई करते हैं।

मीना ने नाकाम की थी पुलवामा दोहराने की साजिश

इस वर्ष कश्मीर में पुलवामा दोहराने के लिए आतंकवादियों द्वारा रची गई साजिश साजिश को सेना की लैब्राडोर मीना ने नाकाम बनाया था। आतंकवादियों ने उत्तरी कश्मीर में हाईवे पर 25 किलो आइईडी लगाई थी। मीना ने इसे तलाश लिया। इससे एक बड़ी साजिश नाकाम हो गई।

रोमा ने हिमस्खलन से बचाया

सैनिकों कोसेना के श्वान दस्ते की रोमा ने हिमस्खलन होने से पहले ही कश्मीर में सैनिकों को सतर्क कर दिया। रोमा के संकेतों को गंभीरता से लेते हुए सैनिक अस्थायी आश्रय स्थल से हट गए थे। कुछ देर के बाद वह स्थान हिमस्खलन की चपेट में आ गया था।

जेम ने खोजा निकाला आतंकी

सेना के श्वान दस्ते के सदस्य जेम ने उत्तरी कश्मीर में मुठभेड़ स्थल से भाग निकले आतंकी को तलाश लिया था। मुठभेड़ के दौरान दो आतंकी मार गिराए गए थे। तीसरा भागने में कामयाब हो गया था। इसके बाद जेम ने उस मकान को तलाश लिया, जहां तीसरा आतंकी छिपा था। इसके बाद तीसरे आतंकी को भी मार गिराया गया।

मानसी की शहादत रहेगी याद

सेना श्वान दस्ते की सदस्य मानसी की शहादत को हमेशा याद करती है। चार साल की लैब्राडोर को बहाुदरी के लिए मेंशन इन डिस्पैच सर्टिफिकेट मिला था। उसका नाम भारत के गैजेट में आएगा। मानसी और उसके हैंडलर 160 टीए बटालियन के सैनिक बशीर अहमद ने टंगडार के कैसूरी इलाके में घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों को वर्ष 2015 में तलाश लिया था। इस दौरान मुठभेड़ में बशीर व मानसी को शहीद हो गए थे। सेना ने दोनों की शहादत को पूरा सम्मान दिया।

..और जब लेफ्टिनेंट जनरल ने किया सेल्यूट

सेना की 15 कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों को कुछ समय पहले श्वान दस्ते के एक खामोश सिपाही को सैल्यूट करते देखा गया था। जीओसी का कहना है कि श्वान दस्ते के सदस्य सेना के परिवार का हिस्सा हैं। वे हमारे हर कार्यक्रम में शामिल होते हैं। उन्हें सेना के बड़े खाने में भी याद रखा जाता है। वे जवानों के साथ न सिर्फ तलाशी अभियानों में, अपितु उच्च पर्वतीय इलाकों में हिमस्खलन के दौरान बचाव अभियानों में भी शामिल होते हैं।

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