आबकारी विभाग में घोटाले के आरोपितों को दोषी साबित करने में लग गए 24 साल
बुधवार को कोर्ट ने आनलाइन तरीके से मामले की सुनवाई की। वर्ष 1995-96 में हुए इस घोटाले में क्राइम ब्रांच ने 24 साल पहले जांच पूरी करके चार्जशीट पेश की थी।
जेएनएफ, जम्मू: आबकारी विभाग में हुए तीन करोड़ रुपये के घोटाले में चार्जशीट पेश होने के 24 साल बाद अब आरोपितों को दोषी ठहराया गया है। हालांकि, कोर्ट ने अगली सुनवाई को औपचारिक तौर पर आरोप तय करने का फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा है कि जब कोर्ट में आरोपितों को पेश करने की अनुमति दी जाएगी तब भी आरोप तय किए जाएंगे। इस केस में शामिल 16 में से छह दोषियों की मौत हो चुकी है।
बुधवार को कोर्ट ने आनलाइन तरीके से मामले की सुनवाई की। वर्ष 1995-96 में हुए इस घोटाले में क्राइम ब्रांच ने 24 साल पहले जांच पूरी करके चार्जशीट पेश की थी। लंबी बहस के बाद अब कोर्ट ने आरोपितों को दोषी करार दिया है। केस के मुताबिक वर्ष 1995-96 में आबकारी विभाग ने मैसर्स कुलदीप सिंह एंड कंपनी को शराब का ठेका दिया था। इसके तहत 13 करोड़ 23 लाख रुपये का भुगतान करना था। कंपनी को पहली अप्रैल 1995 से 31 मार्च 1996 तक यह पैसा बैंक व ट्रेजरी में जमा करवाना था। इनकी रसीद विभाग को सौंपनी थी। कंपनी ने इसमें धोखाधड़ी की और रसीदों में हेराफेरी कर इन्हें विभाग को सौंप दिया। मसलन, अगर कंपनी ने बैंक में एक लाख जमा करवाए थे तो उसकी रसीद में एक जीरो और जोड़कर उसे दस लाख दिखाकर विभाग के पास रसीद जमा करवा दी। ऐसा करके विभाग को तीन करोड़ रुपये का चूना लगाया।
विभाग के तत्कालीन जिला उपायुक्त जेएस मोदी को जब इस घोटाले का शक हुआ तो उन्होंने क्राइम ब्रांच को जांच सौंपी। क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच कर 16 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी। दोषियों में ये हैं शामिल
दोषियों में एक आइएएस अधिकारी हंसराज मंगोत्रा व उनका बेटा मनोज मंगोत्रा भी शामिल हैं। इसके अलावा अमरदीप सिंह, कुलदीप सिंह, रछपाल सिंह (अब मृत), रामेश्वर सिंह, रिपू दमन शर्मा, अशोक अग्रवाल (अब मृत), सुदर्शन सिंह, ठाकुर शिव राम (अब मृत), मूलराज (अब मृत), सुनील मसीह, सुरेंद्र सिह (अब मृत), नरेंद्र शर्मा, सरदारी लाल (अब मृत) व रंधीर सिंह के नाम भी चार्जशीट में शामिल हैं।