इग्नू में दाखिले और परीक्षा फर्जीवाड़े का पर्दाफाश

जागरण संवाददाता, जम्मू : देश की सबसे बड़ी डिस्टेंस एजूकेशन यूनिवर्सिटी इंदिरा गांधी नेशनल

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 Jun 2018 06:10 PM (IST) Updated:Sat, 30 Jun 2018 06:10 PM (IST)
इग्नू में दाखिले और परीक्षा फर्जीवाड़े का पर्दाफाश
इग्नू में दाखिले और परीक्षा फर्जीवाड़े का पर्दाफाश

जागरण संवाददाता, जम्मू : देश की सबसे बड़ी डिस्टेंस एजूकेशन यूनिवर्सिटी इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में दाखिले एवं परीक्षा फर्जीवाड़े का क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश किया है। इस संदर्भ में कठुआ जिले के मछेड़ी, बिलावर इलाके में चलने वाले इग्नू केंद्र संख्या 12120-डी केंद्र संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आशंका जताई जा रही है कि इस फर्जीवाड़े को संचालक इग्नू के क्षेत्रीय केंद्र के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से अंजाम दे रहे थे। फिलहाल क्राइम ब्रांच ने इस मामले में प्रशांत भंडारी निवासी किश्तवाड़, भूपेंद्र गुप्ता निवासी गांव कोहाग, बिलावर जो मौजूदा समय तालाब तिल्लो, जम्मू में रह रहा है व उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

क्राइम ब्रांच ने पुख्ता सूचना के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी। इसमें उन्हें जानकारी मिली कि मछेड़ी, बिलावर में वर्ष 2014-15 में इग्नू का केंद्र शुरू हुआ। उसे प्रशांत भंडारी व उसके सहयोगी चला रहे हैं। इस केंद्र में वर्ष में दो दाखिला सत्र जनवरी व जुलाई में होते हैं। जून व दिसंबर में परीक्षा का सत्र होता है। प्रत्येक सत्र में इस केंद्र में 800 से 1200 विद्यार्थी दाखिला लेते हैं। मौजूदा समय केंद्र चार हजार विद्यार्थियों का दाखिला दिखा रहा है। हैरानी वाली बात यह है कि इस केंद्र में विद्यार्थियों की हाजिरी नहीं ली जा रही है लेकिन केंद्र की ओर से परीक्षा में हाजिरी दिखाकर उन्हें डिग्री भी दी जा रही है। क्राइम ब्रांच को यह भी पता चला कि केंद्र की ओर से फर्जीवाड़ा करवाया जा रहा है। उत्तर पुस्तिकाओं को खुद तैयार कर उन्हें कटड़ा, किश्तवाड़, छातरू और पाडर के केंद्रों का कोड लगाकर इग्नू केंद्र में जमा करवाया जा रहा है। इस गोरखधंधे में इग्नू के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आ रही है। जांच में क्राइम ब्रांच को यह भी पता चला कि इस गोरखधंधे में विद्यार्थियों से हजारों रुपये वसूले जा रहे थे। यह पैसा केंद्र के चेयरमैन राजीव शर्मा के बैंक खाते में जमा हो रहे थे, जिसे उनके फर्जी हस्ताक्षर से खोला गया था। इस तरह से केंद्र की ओर से सात से आठ हजार विद्यार्थियों को बिना परीक्षा के लाभ दिलवाया जा चुका है। क्राइम ब्रांच का कहना है कि मामले की जांच अभी जारी है। फिलहाल इसमें अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है।

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