विश्व पुस्तक दिवस: किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से

अब लोग उसे इंटरनेट पर पढ़ लेते हैं। इसके बावजूद ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिन्हें लाइब्रेरी में पढऩे का जो सुख है वह और कहीं नहीं मिलता।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 08:27 AM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 04:10 PM (IST)
विश्व पुस्तक दिवस: किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से
विश्व पुस्तक दिवस: किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से

जम्मू, अशोक शर्मा। 'किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से, बड़ी हसरत से तकती हैं, महीनों अब मुलाकातें नहीं होतीं, जो शामें इनकी सोहबत में कटा करती थीं, अब अक्सर गुजर जाती है कंप्यूटर के पर्दो पर..

गुलजार की कविता की ये पंक्तियां किताबों से पाठकों की दूरी को बखूबी बताती हैं। आजकल लोगों के घरों में ही नहीं, पुस्तकालयों में भी किताबों की अलमारियां बंद ही रहती हैं। इन अलमारियों में जिनमें बंद शीशे में से पाठकों का इंतजार करती रहती हैं। किताबों से लोगों की बढ़ती दूरी को पाटने के उद्देश्य से हर वर्ष विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। जब से इंटरनेट का चलन बढ़ा है, किताबों से दूरी और बढ़ती गई है। अब अपनी किसी पसंदीदा किताब के लिए पुस्तकालयों की अलमारियां खंगालने वाले पाठक वहां कम ही नजर आते हैं। अब लोग उसे इंटरनेट पर पढ़ लेते हैं। इसके बावजूद ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जिन्हें लाइब्रेरी में पढऩे का जो सुख है, वह और कहीं नहीं मिलता।

इस बारे में श्री रणबीर लाइब्रेरी की डिप्टी डायरेक्टर रेणु कुमारी ने बताया कि ऐसा नहीं है कि बच्चे पढऩा नहीं चाहते। वे आज विषय विशेष पर फोकस कर पढ़ाई करते हैं। लाइब्रेरी में इसी तरह से किताबें रखी गई हैं, इसलिए रीडिंग रूम हर समय भरा रहता है। लाइब्रेरी में ग्रंथों के भंडार के अलावा मेडिकल, इंजीनियरिंग, बैंकिंग आदि की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी लाइब्रेरी में काफी सामाग्री है। इसलिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चे यहां खूब आते हैं।

किताबें कुछ कहना चाहती हैं तुम्हारे पास रहना चाहती हैं: सफदर हाशमी की कविता के ये लाइनें पाठकों को किताबों की अहमियत के बारे में जागरूक करती हैं। आज जब पाठक किताबों से दूर हुआ है तो सरकार को ऐसे गंभीर प्रयास करने चाहिए जो पाठकों को किताबों तक लाए। इसके लिए लाइब्रेरियों को भी नए ढंग से सजाना होगा।

सुविधाएं बढ़ाने पर बढ़े पाठक: लाइब्रेरी की डिप्टी डायरेक्टर रेणु कुमारी के मुताबिक राज्य के चार बड़े पुस्तकालयों श्री रणबीर लाइब्रेरी, एसपी लाइब्रेरी श्रीनगर, रिसर्च लाइब्रेरी कश्मीर यूनिवर्सिटी एवं जिला लाइब्रेरी जम्मू की 10 हजार से ज्यादा दुर्लभ किताबों की ऑटोमोशन किया गया है। इससे दुनिया के किसी भी कोने में बैठा पाठक इन दुर्लभ किताबों की जानकारी हासिल कर सकता है। इन किताबों को लाइब्रेरी से बाहर देने का प्रावधान नहीं है । बैठ कर भी पढ़ सकते हैं।

रणबीर लाइब्रेरी में छिपा है ज्ञान का भंडार

रणबीर लाइब्रेरी में 17वीं, 18वीं शताब्दी की सैकड़ों किताबें हैं। यहां चित्रकला पर किताबों के अलावा कई धार्मिक ग्रंथ एवं पांडुलिपियां भी हैं, जिसे पाठक खूब पसंद करते हैं। महाकवि कल्हन की रचना राजतरंगिणी, विश्व विख्यात कलाकृतियों पर और बसोहली चित्रकला पर एमएस रंधावा की पुस्तक एक विशेष वर्ग को लुभाने वाली है। रति लीला एवं दूसरी कई किताबें भी यहां उपलब्ध हैं। इसके अलावा 295 बुद्धिस्ट पांडुलिपियां भी हैं। हजारों रेफरेंस बुक्स हैं। कई दुर्लभ धार्मिक किताबों के अलावा कांगड़ा पेंटिंग्स, बसोहली चित्रकला, डोगरा महाराजाओं की परिवारिक फोटो एलबम आदि कई महत्वपूर्ण चीजें लाइब्रेरी में हैं। पाठक इसका लाभ उठा सकते हैं।

शेक्सपियर की याद में मनाया जाता है विश्व पुस्तक दिवस

अपने जीवन में 35 नाटक और 200 से ज्यादा कविताएं लिखने वाले महान साहित्यकार शेक्सपियर ने 23 अप्रैल 1564 को दुनिया को अलविदा कहा था। उनकी याद में 1991 में यूनेस्को ने विश्व पुस्तक दिवस मनाने की घोषणा की थी। हमारे देश में इसे 2001 से मनाया जाता है। 

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