उद्योग विभाग का फरमान: बंद इकाइयों में तीन माह में उत्पादन शुरू न हुआ तो रजिस्ट्रेशन होगी रद Jammu News

महाजन ने कहा कि छह अगस्त को जब लोकसभा जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक निवेश के रास्ते खोल रही थी वहीं यहां उद्योग विभाग ने रास्ते बंद करने का फरमान जारी किया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 09 Aug 2019 12:28 PM (IST) Updated:Fri, 09 Aug 2019 12:28 PM (IST)
उद्योग विभाग का फरमान: बंद इकाइयों में तीन माह में उत्पादन शुरू न हुआ तो रजिस्ट्रेशन होगी रद Jammu News
उद्योग विभाग का फरमान: बंद इकाइयों में तीन माह में उत्पादन शुरू न हुआ तो रजिस्ट्रेशन होगी रद Jammu News

जम्मू, जागरण संवाददाता। अनुच्छेद 370 और 35-ए खत्म होने से जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक विकास के नए रास्ते खुले हैं, लेकिन राज्य का उद्योग विभाग नहीं चाहता कि मोदी का सपना साकार हो। विभाग ने फरमान जारी कर वर्षो पहले उद्योगपतियों को लीज पर दिए प्लॉट खाली करने को कहा। बड़ी ब्राह्मणा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान ललित महाजन बड़ी ब्राह्मणा स्थित बीबीआइए भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उद्योग विभाग की ओर से छह अगस्त 2019 को आदेश जारी किया जिसमें कहा कि जिन औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन नहीं हो रहा है, वे तीन महीने में उत्पादन शुरू करें। ऐसा नहीं करने पर रजिस्ट्रेशन रद किया जाएगा।

औद्योगिक क्षेत्रों में लीज पर दिए उन प्लॉट की निशानदेही करने का फरमान जारी हुआ है, जिन पर फैक्टरी शुरू नहीं की। महाजन ने कहा कि छह अगस्त को जब लोकसभा जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक निवेश के रास्ते खोल रही थी, वहीं यहां उद्योग विभाग ने रास्ते बंद करने का फरमान जारी किया। इस मौके पर गंग्याल, सांबा व कठुआ औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिनिधि मौजूद थे। महाजन ने कहा कि कोई भी उद्योगपति दशकों की योजना बनाकर फैक्टरी लगाता है। अगर वह कुछ वर्षो में फैक्टरी नहीं लगा पाया और विभाग ने जमीन छीन ली तो वो कहां जाएगा? जिस राज्य में ऐसी परिस्थितियों हो, वहां बाहरी राज्यों से कौन यहां उद्योग लगाने आएगा? महाजन ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक व सलाहकार के स्कंदन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की।

40 साल के लिए मिलती है लीज

जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने के लिए 40 साल के लिए जमीन लीज पर मिलती थी। इससे पहले 90 साल के लिए लीज होती थी। बाद में अवधि 40 साल कर दी। उद्योगपतियों का कहना है कि वे नियमित प्रीमियम भी दे रहे हैं, तो विभाग बीच रास्ते में उनसे जमीन छीन कैसे सकता है? बड़ी ब्राह्मणा में 75 सिक यूनिट ऐसे हैं जिनमें उत्पादन बंद हो चुका है। 100 प्लॉट पर फैक्टरी नहीं लग पाई है।

जानबूझ कर हालात बिगाड़ने का प्रयास

बड़ी ब्राह्मणा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के उप-प्रधान अजय लंगर की मानें तो कुछ लोग जानबूझ कर हालात बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही है कि राज्य का विशेष दर्जा समाप्त होने से बाहरी राज्यों के लोग यहां बस जाएंगे। ऐसी परिस्थितियों के बीच उद्योग विभाग ने स्थानीय उद्योगपतियों से जमीन छीनने का फरमान जारी कर अफवाहों को हवा देने का काम किया है। इससे ऐसा संदेश जा रहा है कि बाहरी उद्यमियों को जमीन देने के लिए स्थानीय उद्यमियों से जमीन छीनी जा रही है।

राज्य की औद्योगिक नीति की हो समीक्षा

उद्योगपतियों के अनुसार अब जबकि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है, राज्य की औद्योगिक नीति की पुनर्समीक्षा होनी चाहिए। पहले 370 व 35ए के कारण उद्योगपतियों को जमीन का मालिकाना अधिकार नहीं मिलता था। उन्हें जमीन लीज पर दी जाती थी। अब ऐसी कोई पाबंदी नहीं रही। जो लोग उद्योग चला रहे हैं या जिनके पास औद्योगिक क्षेत्रों में अलॉट की जमीन है, उन्हें प्रीमियम लेकर मालिकाना अधिकार देना चाहिए। उद्योगपतियों का कहना है कि विभाग अपनी उद्योग नीति का उल्लंघन कर रहा है। उद्योग नीति में स्पष्ट है कि अगर कोई व्यक्ति उद्योग लगाता है और नहीं चला पाता, तो सरकार उस सिक यूनिट को उभारने के लिए मदद करेगी। ऐसा न होने पर उसे उद्योग नीति के तहत अलॉट की गई जमीन किसी दूसरे को ट्रांसफर करने का अधिकार है।

कोर्ट में जाएंगे अधिकतर मामले

उद्योग विभाग अगर लीज बीच में रद करके जमीन पर अधिकार जमाने का प्रयास करता है तो अधिकतर मामले कोर्ट में चले जाएंगे क्योंकि अधिकांश मामलों में उद्योगपतियों ने इसी लीज पर बैंकों से मोटा कर्ज उठा रखा है। कर्ज लेने के लिए सिडको से एनओसी प्राप्त करनी पड़ती है जिसमें स्पष्ट होता है कि आवेदनकर्ता को जमीन की लीज कब तक दी है। एनओसी के आधार कर्ज मिलता है। ऐसे में उद्योगपति चाहे कोर्ट न जाए। बैंक अपना पैसा वसूल करने के लिए जरूर जाएंगे। उन्होंने इसी जमीन के आधार पर कर्ज मंजूर किए हैं।

नए निवेशकों के लिए भी तो जमीन चाहिए

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग जम्मू की निदेशक अनु मल्होत्र के अनुसार उनके पास औद्योगिक जमीन की कमी है। अब नए निवेशकों के लिए भी विभाग को जमीन चाहिए। जो लोग बाहर से आएंगे, वो उद्योग कहां लगाएंगे? इसलिए उन्होंने आग्रह किया है कि जिन लोगों के पास सालों से जमीन खाली पड़ी है या जिन लोगों ने शेड बनाए हैं और उत्पादन नहीं कर रहे, वो अपनी जमीन सरेंडर कर दे। मौजूदा उद्योगपतियों को जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित राज्य बनने के बाद जमीन का मालिकाना अधिकार देने की बात है तो ये संबंधित अधिसूचनाएं जारी होने के बाद स्पष्ट हो पाएगा।

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