Jammu Kashmir: इक्कजुट जम्मू संठन का कहना- नई जनगणना के बाद ही परिसीमन सही

वर्ष 2002 में जब जम्मू में मतदाताओं की संख्या कश्मीर की तुलना में 1.41 लाख अधिक आई तो 2001 से 2011 के बीच दस सालों में कश्मीर की जनसंख्या में 1411000 की वृद्धि दर्शा दी गई।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 09 Mar 2020 11:48 AM (IST) Updated:Mon, 09 Mar 2020 11:48 AM (IST)
Jammu Kashmir: इक्कजुट जम्मू संठन का कहना- नई जनगणना के बाद ही परिसीमन सही
Jammu Kashmir: इक्कजुट जम्मू संठन का कहना- नई जनगणना के बाद ही परिसीमन सही

जागरण संवाददाता, जम्मू: जनगणना सर्वेक्षण 2011 के आधार पर परिसीमन करवाने के केंद्र सरकार के फैसले को इक्कजुट जम्मू ने जम्मू से एक और धोखा व भेदभाव बताया है। संस्था के चेयरमैन एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा है कि ऐसा कर सरकार एक बार फिर जम्मू को बेच रही है और कश्मीर के कट्टरपंथियों का गुलाम बनाने जा रही है।

केंद्र सरकार से परिसीमन को लेकर जारी अधिसूचना रद करने व जनगणना सर्वेक्षण 2021 होने का इंतजार करने की अपील करते हुए अंकुर ने कहा कि जनगणना को लेकर अप्रैल 2020 से प्रक्रिया आरंभ होने वाली है, लिहाजा इतना इंतजार किया जाना चाहिए। रविवार को गांधीनगर कार्यालय में पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि पूर्व में हुए जनगणना सर्वेक्षण पर विश्वास नहीं किया जा सकता। पिछली सरकारों ने कश्मीरी कट्टपंथियों के साथ मिलकर हमेशा सर्वेक्षण में धांधलियां की ताकि सत्ता कश्मीर के हाथ में ही रहे। वर्ष 2002 में जब जम्मू में मतदाताओं की संख्या कश्मीर की तुलना में 1.41 लाख अधिक आई तो 2001 से 2011 के बीच दस सालों में कश्मीर की जनसंख्या में 14,11,000 की वृद्धि दर्शा दी गई।

वर्ष 1971 से लेकर 2001 तक जम्मू में औसतन जनसंख्या वृद्धि 31 फीसद थी लेकिन 2011 में इसे 21 फीसद दर्शाया गया। कश्मीर में आतंकवाद के कारण हिंदू व सिख पलायन करके आए। इस कारण कश्मीर की जनसंख्या में कमी दिखनी चाहिए थी, लेकिन 1991 के बाद इसमें 26 फीसद की वृद्धि दिखाई गई। इन सर्वेक्षण में दर्शाया गया कि राज्य में मुस्लिम की आबादी 4.12 फीसद की दर से बढ़ रही है, जबकि हिंदुआें व सिखों की जनसंख्या में 4.27 फीसद गिरावट हुई है। अंकुर ने कहा कि सभी आंकड़े फर्जी थे। इसलिए तैयार किए गए ताकि सत्ता कश्मीर के हाथ में रहे।

परिसीमन निष्पक्ष होना चाहिए : नेकां

नेशनल कांफ्रेंस ने कहा कि विधानसभा सीटों का परिसीमन निष्पक्ष रूप से करवाया जाना चाहिए। नेशनल कांफ्रेंस के संभागीय प्रधान देवेंद्र राणा ने कहा कि हमारी पार्टी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास करती है और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देती है। हालांकि, परिसीमन की प्रक्रिया साल 2026 में होनी थी। अब यह प्रक्रिया शुरू होने पर नेशनल कांफ्रेंस को कोई आपत्ति नहीं है। यह प्रक्रिया निष्पक्ष तौर पर कानून के अनुसार की जानी चाहिए ताकि लोगों को इसका लाभ हो सके। उनकी पार्टी राज्य में लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करती रहेगी। हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों के बीच एकता पर काम करना चाहिए।

जम्मू में विस सीटें बढ़ें तभी फायदा

परिसीमन आयोग के गठन पर पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह ने कहा कि इसका तब ही फायदा होगा जब जम्मू क्षेत्र की संसदीय और विधानसभा की सीटों में बढ़ोतरी होगी। जम्मू संभाग का क्षेत्रफल 26,293 वर्ग किलोमीटर है और कश्मीर का 15,953 वर्ग किलोमीटर। जम्मू संभाग में विधानसभा सीटें 37 हैं जबकि कश्मीर में 46। कश्मीर में विधानसभा सीटों का औसत 346 वर्ग किलोमीटर है, जबकि जम्मू का 710 वर्ग किलोमीटर है। कश्मीर में तीन संसदीय सीटें हैं जबकि जम्मू में दो संसदीय सीटें है। भाजपा ने वादा किया था कि गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित 24 सीटों में रिफ्यूजियों के प्रतिनिधियों को आठ सीटें दी जाएंगी।

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