Amarnath Yatra 2020: हाई कोर्ट ने अमरनाथ यात्रा कराने का फैसला श्राइन बोर्ड पर छोड़ा
अब श्री बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड और प्रदेश प्रशासन को मिलकर तय करना है कि कोरोना से उपजे हालात के बीच इस वर्ष अमरनाथ यात्रा करानी है या नहीं।
जम्मू, जेएनएफ : अब श्री बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड और प्रदेश प्रशासन को मिलकर तय करना है कि कोरोना से उपजे हालात के बीच इस वर्ष अमरनाथ यात्रा करानी है या नहीं। हाई कोर्ट ने अमरनाथ यात्रा कराने का फैसला श्राइन बोर्ड पर ही छोड़ दिया है। साथ ही कहा कि सबकी सुरक्षा का ध्यान और आवश्यक प्रबंध करते हुए ही कोई फैसला लिया जाए। अमरनाथ यात्रा को लेकर दायर की गई जनहित याचिका की सुनवाई पर हाई कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसे बुधवार को सुना दिया गया।
एडवोकेट सचिन शर्मा ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस बार अमरनाथ यात्रा न कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। सरकार द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। डिवीजन बेंच में शामिल चीफ जस्टिस गीता मित्तल व जस्टिस संजय धर ने यात्रा करवाने का फैसला श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड और प्रदेश सरकार पर छोड़ा है। बेंच ने बोर्ड व प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट के 13 जुलाई के निर्देश व कोविड-19 को लेकर केंद्र व प्रदेश की ओर से जारी विभिन्न दिशानिर्देशों का पालन करते हुए यात्रा करवाने पर तत्काल फैसला लेने के निर्देश दिए हैं। बेंच ने कहा है कि यात्रा पर कोई भी फैसला लेने से पूर्व श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाए। बेंच ने कहा कि इस यात्रा में चूंकि श्रद्धालुओं के अलावा काफी संख्या में सुरक्षाबल, स्वास्थ्य कर्मी, पुजारी, गैर सरकारी संस्थाएं व स्थानीय लोगों की भागेदारी रहती है, लिहाजा इन सबकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए और आवश्यक प्रबंध करते हुए ही कोई फैसला लिया जाए। हर पहलू का ध्यान रखे सरकार और बोर्ड डिवीजन बेंच ने कहा कि पवित्र गुफा 12756 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है।
ऐसे हालात में सामान्य दिनों में भी यात्रा काफी कठिन रहती है। अब जबकि कोविड-19 का खतरा मंडरा रहा है, सरकार व बोर्ड को हर पहलू पर ध्यान देकर फैसला लेना चाहिए। स्वास्थ्य जांच के बाद ही यात्रा की मिले अनुमति जनहित याचिका दायर करने वाले एडवोकेट सचिन शर्मा ने कहा कि यात्रा होने की सूरत में श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच के बाद ही उन्हें जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। केवल स्वास्थ्य प्रमाण पत्र देखकर ही श्रद्धालुओं का पंजीकरण किया जाए। सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल असीम साहनी ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि कोविड-19 को देखते हुए सरकार ने इस बार केवल बालटाल रूट से ही यात्रा करवाने का फैसला लिया है।
पहलगाम मार्ग से यात्रा कराना संभव नहीं है। सीमित तरीके से यात्रा पर विचार एडवोकेट जनरल ने कहा कि बालटाल रूट से यात्रा करवाने के लिए सरकार ने तमाम एसओपी का पालन करते हुए तैयारियां की हैं। यात्रा मार्ग रेड जोन से गुजरता है, लिहाजा हर चीज को ध्यान में रखा जा रहा है। ऐसे में सरकार वार्षिक अमरनाथ यात्रा को सीमित तरीके से आयोजित करने पर विचार कर रही है। इस समय सभी धार्मिक स्थल बंद है। यहां तक कि श्री माता वैष्णो देवी यात्रा भी बंद है।