Jammu Kashmir : जान बचाने में जुटे अपराध में लिप्त हाथ

जम्मू की दो जेलों कोट भलवाल और जिला जेल में कैदियों की संख्या सबसे अधिक है। इन दोनों जेलों के अलावा हीरानगर जेल और कश्मीर की दो जेलों में मास्क बनाने का काम कैदियों को सौंपा गया है

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 25 Mar 2020 12:16 PM (IST) Updated:Wed, 25 Mar 2020 12:16 PM (IST)
Jammu Kashmir : जान बचाने में जुटे अपराध में लिप्त हाथ
Jammu Kashmir : जान बचाने में जुटे अपराध में लिप्त हाथ

जम्मू, दिनेश महाजन । कभी हथियार उठाकर लोगों की जान लेने वाले हाथ इन दिनों मशीनों में काम कर दूसरों की जान को बचाने का काम कर रहे हैं। कोरोना वायरस के खौफ से यहां लोगों में दहशत है। खुद को वायरस से बचाने के लिए लोगों को मास्क नहीं मिल रहे हैं। मास्क की कालाबाजारी भी हो रही है। ऐसे में मास्क की मांग को पूरा करने का जिम्मा जेलों में बंद कैदियों ने उठाया है। कैदी मास्क तैयार कर रहे हैं। कैदियों द्वारा बनाए जा रहे मास्क की बाजार में भारी मांग है।

दरअसल जेलों में बंद कैदियों को वहां से छूटने के बाद रोजगार कमाने के काबिल बनाने के लिए जेल के भीतर कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जाते हैं। इसमें सिलाई एक अहम पहलु है। जेलों में बंद कैदियों को सिलाई के लिए मशीनें, कपड़ा, धागा व अन्य जरूरी सामान जेल पुलिस द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है। प्रदेश की पांच जेलों में फिलहाल मास्क बनाने का काम किया जा रहा है। सैंकड़ों मास्क बाजार में लोगों की मांग के मुताबिक भेजे जा रहे हैं। कई होलसेल दवा विक्रेताओं ने जेल पुलिस से मास्क लेने के लिए संपर्क किया है। दूसरे राज्यों से जम्मू कश्मीर में मास्क पहुंचने में देरी हो रही है। इसलिए जेलों में बने मास्क की काफी मांग है।

जम्मू के दो जेलों बनाए जा रहे हैं मास्क

प्रदेश में पंद्रह जेल हैं। इनमें से पांच में मास्क बनाने का काम चल रहा है। जम्मू की दो जेलों कोट भलवाल और जिला जेल में कैदियों की संख्या सबसे अधिक है। इन दोनों जेलों के अलावा हीरानगर जेल और कश्मीर की दो जेलों में मास्क बनाने का काम कैदियों को सौंपा गया है।

मास्क बनाने के लिए जेल प्रशासन दे रहा कच्चा माल

बाजार में मास्क की मांग को देखते हुए सभी जेल सुपरिंटेंडेंट को कहा गया है कि वे कैदियों को हरसंभव सामान उपलब्ध करवाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा मास्क तैयार किया जाए। इस समय मास्क जीवन रक्षक की तरह जरूरी है। हालांकि कैदी चादर, तौलिया, सूट एवं अन्य सामान भी बनाते हैं।

- वीके सिंह, पुलिस महानिदेशक जेल

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