Jammu Kashmir: GAD ने मांगी RSS से जुड़े अधिकारियों-कर्मियों की जानकारी, तूल पकड़ने पर आदेश वापस लिया

उच्च शिक्षा विभाग ने तो अपने अधिकारियों और कर्मियां को गूगल फाइल के जरिए यह जानकारी जमा कराने और RSS से कोई संबंध न होने का हल्फनामा भी मांग लिया। कुछेक कालेज प्रबंधकों ने इस जानकारी को देने से इंकार कर दिया है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 09:09 AM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 09:09 AM (IST)
Jammu Kashmir: GAD ने मांगी RSS से जुड़े अधिकारियों-कर्मियों की जानकारी, तूल पकड़ने पर आदेश वापस लिया
आरटीआई में पूछे गए सवालों का संज्ञान लेते हुए इस पूरे मामले की जांच कराने का फैसला किया है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत अधिकारियों व कर्मियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने की जानकारी तलब करने के मामले काे तूल पकड़ते देख महाप्रशासनिक विभाग ने संबधित आदेश वापस ले लिया। इस जानकारी के लिए दायर आरटीआई को भी खारिज कर दिया है। इस बीच, प्रशासन ने कथित तौर पर संबधित आरटीआई के पीछे के मकसद को जानने के लिए भी जांच शुरु कर दी है।

उल्लेखनीय है कि 19 अप्रैल को महाप्रशासनिक विभाग के उपसचिव मलिक सुहेल ने एक आरटीआई का हवाला देते हुए सभी सरकारी विभागों को अपने उन सभी कर्मचारियों व अधिकारियों की सूची जमा कराने को कहा जो प्रत्यक्ष-परोक्ष रुप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं। यह आरटीआई सुधीर कुमार नामक एक व्यक्ति ने दायर की थी। आरटीआई में विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों, अस्पतालों, बैंकों में कार्यरत कर्मचारियों के भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संबंधों के बारे में भी पूछा गया था। इसके अलावा यह जानकारी भी मांगी गई थी कि कौन-कौन शाखा में हिस्सा लेता है।

हालांकि जम्मू कश्मीर सीविल सर्विसीज कंडक्ट रुल्स किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मी को किसी गैर राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक संगठन के साथ जुड़े होने से नहीं रोकते हैं। इसके बावजूद महाप्रशासनिक विभाग ने विभिन्न विभागों से आरटीआई का हवाला देते हुए जानकारी मांगी। उच्च शिक्षा विभाग ने तो अपने अधिकारियों और कर्मियां को गूगल फाइल के जरिए यह जानकारी जमा कराने और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से कोई संबंध न होने का हल्फनामा भी मांग लिया। कुछेक कालेज प्रबंधकों ने इस जानकारी को देने से इंकार करते हुए कहा कि उनके पास ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है।

मामला जब उजागर तो हुआ विवाद शुरु हो गया। प्रदेश सरकार भी सवालों के घेरे में आ गई। मामले को तूल पकड़ते देख महाप्रशसनिक विभाग ने आज दोपहर बाद एक आदेश जारी कर आरटीआई को खारिज करते हुए कहा कि मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं है। महाप्रशासनिक विभाग ने इसके साथ ही जानकारी मांगने वाले से कहा है कि अगर वह जवाब से असंतुष्ट है तो वह प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के साथ संपर्क कर सकता है।

इस बीच, सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार ने आरटीआई में पूछे गए सवालों का संज्ञान लेते हुए इस पूरे मामले की जांच कराने का फैसला किया है। उनके मुताबिक, खुफिया एजेंसियों से कहा गया कि वह उक्त व्यक्ति की मंशा का पता लगाएं ,क्येांकि जिस तरह से आरटीआई में सूचना मांगी गई, वह सिर्फ जानकारी तक नीहित नहीं है, उसके जरिए वह यहां किसी और मामले को तूल देने के मूड में हो सकता है।

कश्मीर मामलों के जानकार और सामाजिक कार्यकर्ता अजातशत्रु जम्वाल ने कहा कि यह आरटीआई कुत्सित मानसिकता पर आधारित है। इससे भी ज्यादा अफसोस इस बात का है कि जम्मू कश्मीर महाप्रशासनिक विभाग संबधित सरकारी सेवा नियमों की अनदेखी कर विभिन्न सरकारी विभागों से जानकारी तलब करने का आदेश जारी कर देता है। हालांंकि आरएसएस एक गैर राजनीतिक संगठन है और इससे संबध रखना किसी भी तरह से सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन नहीं है। जिस व्यक्ति ने आरटीआई दायर की थी,उसने सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए ऐसा किया होगा,यह बात गले से नीचे नहीं उतरती। उसका मकसद क्या है, यह जानना जरुरी है। 

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