Jammu Kashmir: लखनपुर से कश्मीर तक फुल बॉडी स्कैनर जरूरी; निर्देश जारी होते हैं, लेकिन अमल नहीं होता

बीते वर्ष जनवरी में बन टोल प्लाजा पर ट्रक में छिपे तीन आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। तत्कालीन उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को टोल प्लाजा पर फुल बॉडी स्कैनर लगाने को कहा था पर अमल नहीं हुआ।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 20 Nov 2020 07:38 AM (IST) Updated:Fri, 20 Nov 2020 12:37 PM (IST)
Jammu Kashmir: लखनपुर से कश्मीर तक फुल बॉडी स्कैनर जरूरी; निर्देश जारी होते हैं, लेकिन अमल नहीं होता
रोजाना 6 हजार माल से लदे ट्रकों की जांच संभव नहीं हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता : व्यापार की आड़ में ट्रकों के जरिये आतंकियों को जम्मू से कश्मीर भेजने की घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों समेत राज्य प्रशासन को भी सकते में डाल दिया है। जम्मू कश्मीर में सभी वाहनों की मैनुअल जांच संभव नहीं है। ऐसे में लखनपुर से लेकर कश्मीर तक फुल बॉडी स्कैनर की बड़ी जरूरत है। कई बार मांग हो चुकी है। आतंकी हमले के बाद निर्देश जारी होते हैं, लेकिन अमल नहीं होता।

बन टोल प्लाजा के आसपास तीन वर्षों में चार मुठभेड़ की घटनाएं हुईं हैं। सभी घटनओं में आतंकी ट्रकों में छिप कर कश्मीर जाने के दौरान जम्मू श्रीनगर हाईवे पर पुलिस नाकों पर जांच के दौरान हुई मुठभेड़ में मारे गए हैं। फुल बॉडी स्कैनर की मांग प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने कई बार उठाई है। बीते वर्ष जनवरी में बन टोल प्लाजा पर ट्रक में छिपे तीन आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। तत्कालीन उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को टोल प्लाजा पर फुल बॉडी स्कैनर लगाने को कहा था, पर अमल नहीं हुआ।

आतंकवादियों को ढोहने और मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए राज्य के प्रवेश द्वार लखनपुर, विजयपुर के सरोर, बन टोल प्लाजा और दक्षिण कश्मीर के लोअर मुंडा टोल प्लाजा पर फुल बॉडी स्कैनरों की जरूरत है। स्कैन से आसानी से पता चलेगा कि ट्रक के अंदर कौन छिपा है, क्या इसमें हथियार या गोलाबारूद या फिर मादक पदार्थों की तस्करी तो नही की जा रही।

अगर उस समय की सरकार ने फुल ट्रक बॉडी स्कैनर लगाने की अनुमति दे दी होती तो तस्करी पर अंकुश लग जाता। लखनपुर में फल सीजन के दौरान बड़ी संख्या में कश्मीर से ट्रकों की आवाजाही के दौरान हथियार और मादक पदार्थों की तस्करी के प्रयास होते रहते हैं। रोजाना 6 हजार माल से लदे ट्रकों की जांच संभव नहीं हैं।

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