आज के दौर में पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक हैं गांधी की विचारधारा

गांधी जी स्पष्ट कहा करते थे कि प्रकृति के पास हमें देने के लिए पर्याप्त है लेकिन हमारे लालच को पूरा करने के लिए प्रकृति के पास ज्यादा नहीं है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 07 Nov 2019 06:28 PM (IST) Updated:Thu, 07 Nov 2019 06:28 PM (IST)
आज के दौर में पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक हैं गांधी की विचारधारा
आज के दौर में पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक हैं गांधी की विचारधारा

जम्मू, जागरण संवाददाता। महात्मा गांधी एक पैगंबर थे और वे जितने अपने जमाने में प्रासंगिक थे, उससे कहीं ज्यादा प्रासंगिक वे आज हैं। यह कहना था विश्व भारती यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. रामजी सिंह का जो जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह आडिटोरियम में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमीनार में बाेल रहे थे।

दो दिवसीय इस सेमीनार का आयोजन जम्मू विवि की ओर से केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू और सर्वोदय इंटरनेशनल ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है जिसमें देश भर के 21 विभिन्न संस्थानों के दो साै के करीब प्रतिनिधि व छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं। आज के संदर्भ में गांधी के विचारों की प्रासंगिता विषय पर आधारित इस सेमीनार में राज्य सभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह मुख्यातिथि थे और उन्होंने भी गांधी को आज का विकल्प बताया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज दुनिया भर के वैज्ञानिक पर्यावरण को लेकर सचेत हुए हैं और पर्यावरण को लेकर आपातकालीन की घोषणा की मांग कर रहे हैं जबकि गांधी जी ने बहुत पहले ही इसे लेकर दुनिया को सचेत कर दिया था।

गांधी जी स्पष्ट कहा करते थे कि प्रकृति के पास हमें देने के लिए पर्याप्त है लेकिन हमारे लालच को पूरा करने के लिए प्रकृति के पास ज्यादा नहीं है। इतना ही नहीं इस दुनिया के महान वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने भी अपनी पुस्तक में लिखा था कि अगर हम ऐसे ही चलते रहे तो दुनिया को बसने के लिए काेई दूसरा ग्रह देखना पड़ेगा और यह कह कर उन्होंने गांधी जी के कथन को सही किया है।

वहीं सेमीनार में एनसीईआरटी के पूर्व डायरेक्टर प्रो. जेएस राजपूत भी मुख्य वक्ता थे और उन्होंने भी आज के दौर में गांधी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधी जी दूरदर्शी थे और उन्होंने आज के युग में पड़ने वाले दुष्प्रभाव बहुत पहले देख लिए थे। उन्होंने गाेपाल जी गोखले के कहने पर भारत भ्रमण किया और यहां के लोगों आैर देश को जाना। उन्हें समझा। वे तीसरी श्रेणी में सफर करते थे और जब उनसे किसी ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि गाड़ी में चतुर्थ श्रेणी नहीं होती। अगर होती तो वे उसमें सफर करते। ऐसा करने के पीछे उनका कारण आम लोगों की जानना व समझना था। आज भी युवा देश को जानने के लिए गांवों में जाते हैं क्योंकि वहीं पर भारत बसता है।

सेमीनार के उद्धाटन सत्र में में यूनिवर्सिटी आफ एलबेनी, यूएसस के प्रो. एरन के अलावा जम्मू विवि के वाइस चांसलर प्रो. मनोज धर, केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के वाइस चांसलर प्रो. अशोक एमा, भारत के पूर्व राजदूत और गांधी विचारक पीए नजारथ ने भी अपने विचार रखे। इस सेमीनार का समापन शुक्रवार को होगा।

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