मुआवजे के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे किसान

केंद्र सरकार किसानों के उत्थान के लिए दिन ब दिन नई-नई घोषणाएं कर रही हैं लेकिन आरएसपुरा के सीमांत किसानों को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं है। पिछले एक साल से किसान अपनी धान की फसल के मुआवजे के लिए इंतजार कर रहे हैं। बीते एक वर्ष से ज्यादा समय से सीमांत किसान अपनी बर्बाद फसल के मुआवजे के लिए राजस्व विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों व राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से गुहार लगा रहे हैं लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। मुआवजे न मिलने से किसानों में रोष बढ़ रहा है। किसान अब इसको लेकर आंदोलन करने के मूड में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Jan 2021 02:12 AM (IST) Updated:Sat, 02 Jan 2021 02:12 AM (IST)
मुआवजे के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे किसान
मुआवजे के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे किसान

संवाद सहयोगी,आरएसपुरा : केंद्र सरकार किसानों के उत्थान के लिए दिन ब दिन नई-नई घोषणाएं कर रही हैं, लेकिन आरएसपुरा के सीमांत किसानों को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं है। पिछले एक साल से किसान अपनी धान की फसल के मुआवजे के लिए इंतजार कर रहे हैं।

बीते एक वर्ष से ज्यादा समय से सीमांत किसान अपनी बर्बाद फसल के मुआवजे के लिए राजस्व विभाग से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों व राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। मुआवजे न मिलने से किसानों में रोष बढ़ रहा है। किसान अब इसको लेकर आंदोलन करने के मूड में हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में बारिश व ओलावृष्टि के कारण सीमांत क्षेत्र आरएसपुरा के किसानों की धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई थी। इसके बाद सरकार ने फसलों के नुकसान का जायजा लेकर तुंरत राजस्व विभाग को नुकसान की सूचि तैयार करने के लिए कहा था। सरकार ने इसके लिए 755 रुपये प्रति कनाल नुकसान की भरपाई के रूप में किसानों को देने का फैसला किया। इतना ही नहीं कई सीमांत किसानों को मुआवजा दिया गया है, लेकिन कुछ किसानों को अभी तक नहीं मिला है। अभी काफी संख्या में सीमांत किसान मुआवजे के लिए काफी समय से मांग कर रहे हैं। बावजूद इसके कोई ध्यान नहीं दिया गया। सीमांत किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने मुआवजा देने का वादा किया था तो देना चाहिए था। किसान इसको लेकर प्रति दिन राजस्व विभाग कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।

सीमांत किसान सुरजीत सिंह, रोशन लाल ने बताया कि उनकी भी धान की फसल बेमौसमी बारिश से बर्बाद हुई थी पर अभी तक मुआवजा नहीं मिला। कई बार तहसील से लेकर एसडीएम कार्यालय के चक्कर काट चुके हैं पर कुछ नहीं हुआ। जिलाधीश जम्मू के भी आरएसपुरा दौरे के दौरान उन्होंने इस बारे में बताया पर कुछ नहीं हुआ। किसानों ने उपराज्यपाल से मांग की वो किसानों की इस समस्या पर ध्यान दे।

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करीब तीन करोड़ से ज्यादा है बकाया

वर्ष 2019 में धान की फसल के बर्बाद होने से सीमांत किसानों की करोड़ों रुपये का नुकसान हो गया था। इसमें कुछ लाख रुपये का मुआवजा किसानों को वितरित कर दिया गया है, लेकिन अभी करीब तीन करोड़ रुपये से ज्यादा का मुआवजा बकाया है। जानकारी के अनुसार उपजिला आरएसपुरा की सुचेतगढ़ तहसील में करीब ढाई करोड़ रुपये का मुआवजा अभी किसानों का बाकी है। इसी तरह तहसील आरएसपुरा में करीब 65 लाख रुपये का किसानों को मुआवजा बकाया है।

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मुआवजे के बारे में सरकार को अवगत कराया जा चुका है

किसानों के मुआवजा को लेकर सरकार व उच्चाधिकारियों को लिखित में सूचित किया जा चुका है। हसीलदार सुचचेतगढ़ निर्भय शर्मा का कहना है कि उन्होंने सुचेतगढ़ क्षेत्र के किसानों के मुआवजा के लिए करीब ढाई करोड़ रुपये की जरूरत के बारे में लिखित में सरकार को बता दिया है। वही तहसीलदार आरएसपुरा गनदीप कुमार का कहना है कि उन्होंने भी किसानों के मुआवजे के बारे में लिखित में सूचित कर दिया है।

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