Militancy in Kashmir: पूर्व डीजीपी की सलाह, घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों को दी जाए हथियारों की ट्रेनिंग

डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) डॉ एसपी वैद ने पंडितों को हथियार उपलब्ध करवाने आैर ट्रेनिंग देने की सलाह दी ताकि अगर आतंकवादी उन पर हमला करते हैं तो वे उनका मुकाबला कर सकें।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 13 Jun 2020 12:39 PM (IST) Updated:Sat, 13 Jun 2020 03:01 PM (IST)
Militancy in Kashmir: पूर्व डीजीपी की सलाह, घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों को दी जाए हथियारों की ट्रेनिंग
Militancy in Kashmir: पूर्व डीजीपी की सलाह, घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों को दी जाए हथियारों की ट्रेनिंग

जम्मू, राज्य ब्यूरो। दक्षिण कश्मीर के जिला अनंतनाग में कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता भारती की हत्या के बाद पूर्व डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) डॉ एसपी वैद ने कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों को हथियारों की ट्रेनिंग देने की पैरवी की है। यहां एक बयान में पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडित समुदाय अल्पसंख्या में है और आतंकियों के निशाने पर रहता है। इसीलिए आतंकी हमलों से बचाव के लिए उन्हें भी ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों में सुरक्षा की भावना उत्पन्न करने के लिए हर संभवना की तलाश की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी सलाह दी कि घाटी में रह रहे पंडितों को हथियार भी उपलब्ध करवाने चाहिए और इसके बाद उन्हें ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि अगर आतंकवादी किसी पर हमला करते हैं तो वे भी आतंकियों काे मुंहतोड़ जवाब दे सकें। अपने व अपने परिजनों की सुरक्षा भी कर सकें। वैद ने कहा कि कश्मीरी घाटी में अल्पसंख्यक पंडितों व आतंकियों के निशाने पर रहने वाले मुस्लिम समाज के सदस्यों को हथियार उपलब्ध करवाने का कोई भी नुकसान नहीं है।

ग्रामीण स्तर पर ग्रामीण सुरक्षा समितियों का भी घाटी में गठन किया जाना चाहिए। हालांकि इसे उन्होंने जल्दबाजी में न उठाकर पूरी योजना के साथ काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में ग्रामीण सुरक्षा समितियां बनाना बेशक मुश्किल काम है परंतु असंभव भी नहीं है। वर्ष 1995 में एसएसपी ऊधमपुर के पद पर रहते हुए जिले के बाघनकोट क्षेत्र में पहली ग्रामीण सुरक्षा समिति बनाने का भी जिक्र किया। अब ये गांव रियासी जिले में आता है।

पूर्व पुलिस महानिदेशक ने कहा कि गांव में सुरक्षा समिति बनाना अासान नहीं था लेकिन योजनाबद्ध तरीके से कोई भी चीज की जा सकती है। कश्मीर घाटी से पंडितों का पलायन होने के बाद आतंकियों ने जम्मू संभाग के कई क्षेत्रों में भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगाें को निशाना बनाना शुरू किया था। डोडा, राजौरी, पुंछ जैसे जिलों से भी कई लोगों को पलायन करना पड़ा था लेकिन उसके बाद सरकार ने ग्रामीण सुरक्षा समितियों का गठन किया और कई लोगों को हथियारों की ट्रेनिंग भी दी। कई इलाकों में तो मुस्लिम भी इन समितियों के सदस्य हैं।

वैद ने कहा कि सरकार का यह प्रयास रंग लाया और इससे इन क्षेत्रों से होने वाला पलायन रूक गया। ग्रामीण सुरक्षा समितियां पूरे क्षेत्र की सुरक्षा खुद ही करने लगी और उनमें सुरक्षा की भावना भी उत्पन्न हुई। इसके बाद लोगों ने पलायन करना लगभग बंद कर दिया।

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