डेढ़ साल की मिष्टी की मौत से रंगूर गांव की हर गली में मातम

मीरां साहिब में शुक्रवार देर रात रणबीर नहर में कार गिरने से बिश्नाह के बहादुरपुर गांव के रहने वाले केवल कुमार उनकी पत्‍‌नी सुरजीत कुमारी और पोती प्राची की मौत हो गई थी। केवल कुमार की डेढ़ साल की नातिन मिष्टी भी इसी कार में सवार थी लेकिन उसका शनिवार देर शाम तक पता नहीं चल पाया था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 07:00 AM (IST)
डेढ़ साल की मिष्टी की मौत से रंगूर गांव की हर गली में मातम
डेढ़ साल की मिष्टी की मौत से रंगूर गांव की हर गली में मातम

संवाद सहयोगी, रामगढ़: मीरां साहिब में शुक्रवार देर रात रणबीर नहर में कार गिरने से बिश्नाह के बहादुरपुर गांव के रहने वाले केवल कुमार, उनकी पत्‍‌नी सुरजीत कुमारी और पोती प्राची की मौत हो गई थी। केवल कुमार की डेढ़ साल की नातिन मिष्टी भी इसी कार में सवार थी, लेकिन उसका शनिवार देर शाम तक पता नहीं चल पाया था। रविवार को दोपहर बाद मिष्टी का शव नहर से मिलने पर स्वजन उसे लेकर रामगढ़ में अपने गांव रंगूर पहुंचे, जहां शाम को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। मिष्टी की मौत से गांव की जिन गलियों में वह खेला करती थी, वे भी उदास नजर आई। उसके साथ खेलते हुए जिन बच्चों की हंसी गलियों में गूंजती थी, उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। पूरा रंगूर गांव उदासी में डूबा था। ऐसे में मिष्टी के घर से आती रोने की आवाज दूर तक सुनाई दे रही थी, जिसने भी सुना, वह भी गमगीन हो गया।

हादसे के बाद मिष्टी के स्वजन और गांव के लोग उसके जीवित होने की दुआ कर रहे थे, लेकिन रविवार को नहर से उसका शव मिलने के बाद उनकी उम्मीद टूट गई। रविवार को बच्ची का शव मिला तो स्वजनों की आंखों में आंसओं का सैलाब उमड़ आया। स्वजन फूट-फूट कर रोते हुए कह रहे थे कि भगवान को मासूम बच्ची पर तरस नहीं आया। पहले ही शोक में डूबे केवल कुमार के स्वजन रविवार को मिष्टी का शव मिलने पर विलख-विलख कर रो रहे थे। मिष्टी के रंगूर गांव में बुरा हाल था। उसका पांच साल का बड़ा भाई दीवांश उसे छोड़ ही नहीं रहा था। जब उसे अंतिम संस्कार के लिए उसके ताया शामलाल ले जाने लगे तो वह उससे लिपटकर फूट-फूट कर रोने लगा। मिष्टी के पिता कमल कुमार व अन्य स्वजन उसकी मां मीनू को संभाल रहे थे, क्योंकि वह बदहवास हो गई थी। यह सब देखकर ग्रामीण भी विलख-विलखकर रो रहे थे। रविवार शाम को मासूम मिष्टी के शव को लाल चुनरी में समेट कर बच्चों के कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया। मासूम मिष्टी को अंतिम विदाई देने के लिए स्वजनों के अलावा रंगूर गांव के अलावा अन्य कई गांवों से भी लोग मजदूर परिवार के दुख में शरीक बने। पिता बोले-सूना पड़ गया आंगन, ताउम्र नहीं भूलेगा गम

मिष्टी के पिता केवल कुमार मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनकी पत्‍‌नी मीनू घर संभालती और वे दिनभर बाहर काम करते। उनका बड़ा बेटा दीवांश चौधरी पांच साल का है, जबकि मिष्टी अभी डेढ़ साल की ही थी। भाई की राशि का होने से माता-पिता ने बहन का नाम भी दीवांशी रखा था, जिसे प्यार से वे मिष्टी बुलाते थे। उन्होंने बताया कि जब मिष्टी शरारत करती तो उसे डांटने पर वह मुस्कुरा देती। उसकी मुस्कान देखकर किसी का भी गुस्सा ठंडा पड़ जाता। अब उसके नहीं रहने से उसका आंगन सूना पड़ गया है। बड़ा भाई दीवांश सदमे है। इतनी कम उम्र में अपनी छोटी बहन का शव देखने से उस पर बुरा असर हुआ है। पिता कमल ने कहा कि अब वे ताउम्र इस गम को नहीं भुला पाएंगे।

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