डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा- अगर तीन लोगों के अंदर रहने से कश्मीर में शांति है तो ठीक ही है

सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए ईमानदार अधिकारियों को प्रोत्साहित कर रही है। मौजूदा दौर में बदलाव को देखते हुए वर्क कल्चर में बदलाव की जरूरत है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 16 Nov 2019 12:37 PM (IST) Updated:Sat, 16 Nov 2019 12:37 PM (IST)
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा- अगर तीन लोगों के अंदर रहने से कश्मीर में शांति है तो ठीक ही है
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा- अगर तीन लोगों के अंदर रहने से कश्मीर में शांति है तो ठीक ही है

जम्मू, राज्य ब्यूरो। पीएमओ में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का कहना है कि अगर तीन लोगों के अंदर रहने से कश्मीर में शांति है तो यह ठीक ही है। हालांकि उन्होंने इन तीन लोगों का नाम नहीं लिया परंतु सभागार में मौजूद सभी लोग यह समझ गए कि उनका इशारा किस ओर है। उन्होंने कश्मीर में नजरबंद राज्य के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों का नाम लिए बिना कहा कि इस बार कश्मीर में ईद और स्वतंत्रता दिवस पर शांति रही। लोग कहते हैं कि तीन लोगों के अंदर रहने के कारण ही शांति रही है। अगर इनके बंद रहने के कारण ही अमन है तो वे बंद ही ठीक हैं।

डॉ सिंह ने कहा कि कश्मीर के लोगों को आजादी के नाम पर गुमराह किया गया। सचिवालय में अस्सी प्रतिशत कर्मचारी कश्मीर के हैं। फिर वे किस तरह की आजादी चाहते हैं। लोगों को शरारती तत्वों से सावधान रहना चाहिए। यह गुमराह किया जाता रहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए आधा अधूरा हटाया जाएगा। अनुच्छेद 370 हटने के बाद विकास का नया अध्याय शुरू हो गया है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख में सुशासन प्रक्रिया की प्रतिकृति विषय पर जम्मू में दो दिवसीय क्षेत्रीय कांफ्रेंस का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने गंभीरता से साथ सारे फैसले लिए हैं और इसके बारे में लोगों को धीरे-धीरे पता चलता जाएगा।

जम्मू कश्मीर में विकास के लिए लाखों करोड़ रुपये आए। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में यह अपनी तरह की पहली कांफ्रेंस हो रही है। यह तो एक शुरुआत है, भविष्य में इस तरह की और भी कार्यक्रम होंगे। कांफ्रेंस में 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे है। इस मौके पर जितेंद्र सिंह ने कहा कि दुष्प्रचार करने वाले तत्वों से लोगों को सावधान रहना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से नौकरशाहों की भूमिका राजस्व अधिकारियों से तबदील होकर विकास अधिकारियों के तौर पर हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में न्यूनतम सरकार अधिकतम सुशासन का मंत्र दिया था। सरकार ने इस तरफ कदम बढ़ाते हुए वर्ष 2016 में निचले स्तर की भर्तियों में साक्षात्कार को समाप्त कर दिया था। पुराने पंद्रह सौ कानूनों को समाप्त कर दिया गया। गजटेड अधिकारियों से फार्म अटेस्ट करवाने की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया। आरटीआइ पोर्टल भी जारी किया जा चुका है। शिकायतें दर्ज करवाने के मामलों में आठ गुणा की बढ़ोतरी की गई है। यह दो लाख से सोलह लाख पहुंच गई है। भ्रष्टाचार निरोधक कानून में संशोधन किया गया है। सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए ईमानदार अधिकारियों को प्रोत्साहित कर रही है। मौजूदा दौर में बदलाव को देखते हुए वर्क कल्चर में बदलाव की जरूरत है।

केसर, बांस और पशमीना को बढ़ावा दिया जाएगा :

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू कश्मीर को उत्तर पूर्वी राज्यों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। केसर, बांस और पशमीना को बढ़ावा दिया जाएगा। देश के अन्य भागों की तरह ही जम्मू कश्मीर में भी संभावनाएं उपलब्ध होंगी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद कई तरह की संभावनाएं उपलब्ध हैं। जम्मू कश्मीर के कर्मचारियों को भी एलटीए हासिल होगा। जम्मू कश्मीर में आठ मेडिकल कॉलेज खोलकर उच्च शिक्षा की संभावनाओं को बढ़ाया गया है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में दो एम्स हैं। 

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