Jammu Kashmir: ऑनलाइन डोगरी कहानी गोष्ठी आयोजित, राज राही ने सशक्त कहानीकार के रूप में अपनी उपस्थिति करवाई दर्ज

डोगरी संस्था की पाक्षिक साहित्यिक गोष्ठी में ऑनलाइन डोगरी कहानी गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें डोगरी के कहानीकार चमन अरोड़ा राज राही और राजेश्वर सिंह राजू ने अपनी-अपनी कहानियां पढ़ीं। डोगरी के वरिष्ठ कहानीकार चमन अरोड़ा ने जहां अपनी कहानी के माध्यम से सभी को प्रभावित किया

By VikasEdited By: Publish:Sun, 03 Jan 2021 09:35 AM (IST) Updated:Sun, 03 Jan 2021 09:35 AM (IST)
Jammu Kashmir: ऑनलाइन डोगरी कहानी गोष्ठी आयोजित, राज राही ने सशक्त कहानीकार के रूप में अपनी उपस्थिति करवाई दर्ज
डोगरी के वरिष्ठ कहानीकार चमन अरोड़ा ने जहां अपनी कहानी के माध्यम से सभी को प्रभावित किया

जम्मू, जागरण संवाददाता : डोगरी संस्था की पाक्षिक साहित्यिक गोष्ठी में ऑनलाइन डोगरी कहानी गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें डोगरी के कहानीकार चमन अरोड़ा, राज राही और राजेश्वर सिंह राजू ने अपनी-अपनी कहानियां पढ़ीं। डोगरी के वरिष्ठ कहानीकार चमन अरोड़ा ने जहां अपनी कहानी के माध्यम से सभी को प्रभावित किया वही राज राही ने इस मौके पर पुराने जख्में दी पीड नामक कहानी पढ़ी और एक सशक्त कहानीकार के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।

इस मौके पर हिंदी, डोगरी और अंग्रेजी के लेखक राजेश्वर सिंह ‘राजू्’ ने ‘अमूल्य योगदान’ नामक कहानी से आज के दौर में बेलगाम पुरस्कार दिए जाने की प्रथा को व्यंग्य के रूप में प्रस्तुत किया । कहानी ऐसे कई सवालों को जन्म देती है। जिन पर साहित्य के प्रति गंभीर सोच रखने वालों को अवश्य ध्यान देना चाहिए वरना साहित्य की असल में सेवा करने वाले साहित्यकार या लेखक एक अजीब से कंपलेक्स का शिकार होते चले जाएंगे।क्योंकि जनता के सामने जिस तरह से इन पुरस्कारों के जरिए स्वंयभू साहित्यकारों को प्रसिद्धि के शिखर पर चढ़ाया जा रहा है, वह साहित्य के लिए खतरनाक साबित होगा।

कहानी गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन होने से इसे डोगरी संस्था के फेसबुक पेज पर लाइव प्रस्तुत किया गया। जिसे देश और विदेश में बैठे हुए डोगरी प्रेमियों ने देखा और पसंद किया । संस्था के प्रधान प्रो. ललित मगोत्रा ने कहानियों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते हुए डोगरी संस्था द्वारा हर महीने में दूसरे और चौथे शनिवार को व्हाट्सएप के माध्यम से कवि गोष्ठी का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न किया जाता रहा है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अब यह फैसला किया गया है कि पहले और तीसरे शनिवार को संस्था कहानी गोष्टी या किसी और विषय पर गोष्ठी करवा कर लगातार ऐसे प्रयासों में लगी रहेगी ताकि साहित्यिक गतिविधियों में कोई विघ्न न आए। 

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