लापरवाही: एक रुपये 20 पैसे के इंजेक्शन के लिए हड़ताल पर गए थे डॉक्टर

जीएमसी अस्पताल में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब मरीजों को पट्टी तक भी बाजार से खरीदनी पड़ रही है। कई बार पैसे न होने पर गरीब लोगों को काफी दिक्कतें आती हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 21 May 2019 11:39 AM (IST) Updated:Tue, 21 May 2019 11:39 AM (IST)
लापरवाही: एक रुपये 20 पैसे के इंजेक्शन के लिए हड़ताल पर गए थे डॉक्टर
लापरवाही: एक रुपये 20 पैसे के इंजेक्शन के लिए हड़ताल पर गए थे डॉक्टर

जम्मू, रोहित जंडियाल। जम्मू संभाग के सबसे बड़े जीएमसी अस्पताल में रविवार रात को सिर्फ एक रुपये 20 पैसे के इंजेक्शन के लिए डॉक्टरों को हड़ताल पर जाना पड़ा। अस्पताल में भर्ती लावारिस मरीज को जब रात में दौरा पड़ा तो उसे डेजिपाम इंजेक्शन लगाया जाना था। जो मौजूद अस्पताल में उपलब्ध नहीं था। यही नहीं, जिस इंजेक्शन से मरीज को बेहोश करना था, वह भी नहीं था। इससे अन्य मरीज भी भड़क गए और डॉक्टरों के साथ उनकी झड़प हो गई। इस पर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी। ऐसा पहली बार हुआ है कि जब डॉक्टरों ने दवाइयों की कमी के कारण हड़ताल की हो। दरअसल, अस्पतालों में दवाइयों, उपकरणों व अन्य सामान खरीदने की जिम्मेदारी जेके मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन की है। कॉरपोरेशन समय पर दवाइयां नहीं खरीद पा रहा है। 25 प्रतिशत फंड अस्पतालों के पास है मगर यह मरीजों की जरूरत पूरा करने में नाकाफी है।

पहले अस्पतालों की अपनी परचेज कमेटियां होती थीं। बाद में सेंट्रल परचेज कमेटियां बनाई गईं। तब भी समय पर दवाइयां खरीदी जाती थीं। ताज्जुब इस बात का है कि कुछ वर्ष पहले ही जेके मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन का गठन किया गया और तब से अस्पतालों में दवाइयों की कमी ही बनी हुई है। जीएमसी में स्थानीय स्तर पर हर दिन 40 से 50 हजार की दवाइयां खरीदी जा रही हैं। पहले कॉरपोरेशन ने जीएमसी में नार्मल सेलाइन सप्लाई किया था, लेकिन वह भी खत्म हो गया। इसे भी अब स्थानीय स्तर पर खरीदा जा रहा है।

अस्पताल में मरहम के लिए पट्टी तक नहीं

जीएमसी अस्पताल में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब मरीजों को पट्टी तक भी बाजार से खरीदनी पड़ रही है। कई बार पैसे न होने पर गरीब लोगों को काफी दिक्कतें आती हैं। जीएमसी के एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार ऑपरेशन थियेटर में पट्टियां भी मरीजों से कई बार मंगवानी पड़ती है। डेढ़ रुपये से मिलने वाला डेजिपाम इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं होता।

स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले ड्रग स्टोर भी इन दिनों खाली पड़े

मेडिकल कॉलेज अस्पताल ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले ड्रग स्टोर भी इन दिनों खाली पड़े हैं। अस्पतालों में नार्मल सेलाइन तक की कमी है। जेके मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन ने स्वास्थ्य निदेशालय में नार्मल सेलाइन सप्लाई जरूर किया है, लेकिन यह अब तक डॉक्टरों के पास नहीं पहुंचा क्योंकि यह अस्पतालों में सप्लाई हुआ ही नहीं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी के पास इसी माह इसके पहुंचने की उम्मीद है। इसके बाद ही अस्पतालों में सप्लाई होगा। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन ने दवाइयों की सप्लाई नहीं की है।

अन्य अस्पतालों में सप्लाई ठीक

दवाइयों की कमी इस समय अधिक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही है। इसका कारण ड्रग स्टोर में आग लगने के कारण करोड़ों की दवाइयां जलकर राख होना भी है। अभी अन्य अस्पतालों में तो स्थिति ठीक है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधीन आने वाले अस्पतालों में भी सप्लाई शुरू नहीं हुई है। नार्मल सेलाइन भी कुछ दिन पहले ही स्वास्थ्य निदेशालय में आया है। स्वासथ्य विभाग के अधीन आने वाले अस्पतालों के प्रबंधक भी समय पर दवाइयां न मिलने का आरोप लगाते रहे हैं।

तीन माह से है दवाइयों की किल्लत

तीन महीने पहले जीएमसी के मुख्य ड्रग स्टोर में संदिग्ध हालात में आग लग गई थी। इसमें करोड़ों रुपये की दवाइयां राख हो गई थीं। फिलहाल, इसकी जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। इसके बाद वर्तमान में न तो इसकी जांच पूरी हुई और न ही किसी पर कार्रवाई हुई। स्टोर कर्मचारी भी वहीं तैनात हैं। यह पहला अवसर होगा कि जिस मामले की जांच चल रही है, उक्त कर्मचारी वहीं तैनात हो। आग लगने के बाद सवाल उठने लगे थे कि आखिरकार आडिट से पहले स्टोर में आग क्यों लग जाती है। इससे पूर्व भी इसी स्टोर में आग लगी थी। उसकी जांच भी हुई थी। इसमें क्या निकला था यह आज तक रहस्य बना है। मौजूदा समय में आग को संदेह की दृष्टि से देखा गया और क्राइम ब्रांच को इसकी जांच दे दी गई है। क्राइम ब्रांच स्टोर का रिकार्ड और कर्मियों से पूछताछ भी कर चुकी है। जीएमसी के जिस मुख्य स्टोर में आग लगी थी उसमें छह महीने की सप्लाई रखी थी। इस स्टोर में सीरिंजों के अलावा पट्टियां, दवाइयां, एंटी स्नेक वेनम और अन्य सामान पड़ा हुआ था। कुछ दवाइयां तो बाहर निकाल ली गईं, परंतु अधिकांश जल गईं। चार से पांच करोड़ की दवाइयां जल गई थीं। इस घटना के बाद से अब तक अस्पताल संभल नहीं पाया है। अस्पताल में नार्मल सेलाइन से जीवन रक्षक दवाइयां तक नहीं हैं। स्थानीय स्तर पर खरीदारी कर किसी तरह काम चलाया जा रहा है।

प्रशासन से की थी मांग पर नहीं मिला अतिरिक्त फंड

तीन महीने पहले जब जीएमसी के ड्रग स्टोर में आग लगी थी तो उस समय दवाइयों की कमी को पूरा करने के लिए जीएमसी प्रशासन ने अतिरिक्त फंड मांगा था। इस बारे में पत्र भी लिखे गए, लेकिन आज तक कार्यवाही नहीं हुई। तब से आज तक जीएमसी में 50 लाख से अधिक की दवाइयां व अन्य सामान खरीदा जा चुका है, लेकिन अतिरिक्त फंड नहीं मिला।

अधिकारियों की सफाई: 

कॉरपोरेशन का पूरा प्रयास रहता है कि अस्पतालों को समय पर दवाइयां व अन्य जरूरी सामान सप्लाई किया जाए। जीएमसी में भी समय पर दवाइयां, नार्मल सेलाइन सप्लाई हो रहा है। अगर किसी में देरी हो रही है तो इस पर गौर जरूर किया जाएगा और जल्दी सप्लाई किया जाएगा।

- शिव कुमार गुप्ता, प्रबंध निदेशक, जेके मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन

मेडिकल कॉलेज में सभी मरीजों को हर प्रकार की दवाई उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। कुछ समय से थोड़ी दिक्कत जरूर हुई, लेकिन नियमित रूप से खरीदारी कर दवाइयां मरीजों को उपलब्ध करवाई जा रही हैं।

- डॉ. दारा सिंह, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट, मेडिकल कॉलेज जम्मू

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