Kashmir: पहाड़ों पर चुनौतियों का पुल बना बुलंद हुए इकबाल, किए हैं ऐसे काम कि याद रखेगी पीढ़ी-दर-पीढ़ी

वर्ष 2013 में रियासी में नालों पर लकड़ी के 72 पैदल पुल बनवाए। तामीर प्रोजेक्ट शुरू कर राजौरी में खुले आसमान में चल रहे 100 स्कूलों के लिए भवन का निर्माण कराया।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 26 Aug 2019 11:30 AM (IST) Updated:Mon, 26 Aug 2019 11:30 AM (IST)
Kashmir: पहाड़ों पर चुनौतियों का पुल बना बुलंद हुए इकबाल, किए हैं ऐसे काम कि याद रखेगी पीढ़ी-दर-पीढ़ी
Kashmir: पहाड़ों पर चुनौतियों का पुल बना बुलंद हुए इकबाल, किए हैं ऐसे काम कि याद रखेगी पीढ़ी-दर-पीढ़ी

श्रीनगर, नवीन नवाज। भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे राजौरी के रेहान गांव से निकले भारतीय प्रशासनिक सेवा के इस युवा अधिकारी पर आज देश-दुनिया की नजरें हैं। श्रीनगर के जिला उपायुक्त के तौर पर तैनात डॉ. शाहिद इकबाल चौधरी जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से हर समय सक्रिय हैं। कभी प्रशासनिक प्रबंधों का जायजा लेते दिखते हैं, तो कभी लोगों की समस्याएं सुनते। पाकिस्तान के भड़काऊ व झूठे संदेशों और वीडियो का सच भी बखूबी दुनिया के सामने ला रहे हैं। माहौल खराब होने, दवा की दुकानें बंद होने और एटीएम में नकदी न होने जैसी झूठी खबरों की हकीकत भी बता रहे हैं।

मौजूदा माहौल में वह श्रीनगर के अपने कार्यालय में कम, गली-बाजारों में अधिक दिखते हैं। कभी शिक्षा विभाग के अधिकारियों से फीडबैक लेते हुए तो कभी खाद्य एवं आपूर्ति वालों से। पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को ताकीद करते हैं कि डंडा नहीं चलाना, सिर्फ लोगों को समझना होता है। सब कुछ आसान हो जाएगा। डॉ. शाहिद का प्रशासनिक कैरियर उपलब्धियों से भरा पड़ा है।

आतंकियों के गढ़ में कॉल सेंटर खोल 250 युवाओं को रोजगार दिया

श्रीनगर में एक कॉल सेंटर बंद किए जाने का पता चला तो वह कंपनी के अधिकारियों से मिले और कॉल सेंटर बंद होने से बचाया। इससे पूर्व वह आतंकियों के गढ़ बांडीपोर में थे। वहां 250 लोगों को रोजगार दिलाने के लिए कॉल सेंटर स्थापित कराया, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। ऊधमपुर में उपायुक्त रहते हुए बुनियादी सेवाओं के लिए राहत प्रोजेक्ट शुरू किया। लोगों को पहाड़ी रास्तों से आने-जाने के लिए नदी-नालों से गुजरना पड़ता था। बरसात के दिनों में यह असंभव सा होता। उन्होंने विभिन्न विभागों से फंड की व्यवस्था कर राहत प्रोजेक्ट के तहत जिले में 170 पुलों का निर्माण कराया। इससे 27465 विद्यार्थियों का स्कूल पहुंचना आसान हुआ। उनका तकरीबन 350 किलोमीटर का सफर कम हुआ। 1.30 लाख लोगों को 183 राशन डिपो तक पहुंचने का सुरक्षित रास्ता मिला।

वर्ष 2013 में रियासी में नालों पर लकड़ी के 72 पैदल पुल बनवाए। तामीर प्रोजेक्ट शुरू कर राजौरी में खुले आसमान में चल रहे 100 स्कूलों के लिए भवन का निर्माण कराया। नियंत्रण रेखा पर 102 बंकर बनाए। इसके बाद एलओसी वाले सभी जिलों में इस माडल के 20 हजार बंकर तैयार किए गए। कठुआ जिले में तैनाती हुई तो डॉ. शाहिद ने ई-गवनेंर्स को हथियार बनाया। सभी जिला कार्यालयों में वीडियो कांफ्रेंसिंग और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई। सहायता प्रोजेक्ट के तहत हर जिला कार्यालय में सप्ताह में एक दिन वीडियो कांफ्रेंस के लिए तय किया। युवाओं के लिए कौशल विकास शुरू किया। 600 युवाओं को हुनरमंद बनाया। वह बताते हैं कि गुज्‍जजर बक्करवाल समुदाय अकसर चारागाहों के लिए अनुमति पत्र बनवाता है। हमने इससे उनका डाटा बैंक तैयार किया और समझाया, जिससे मतदान 40 फीसद से बढ़कर 81 तक पहुंच गया।

अंग्रेजी का पहला अक्षर छठी कक्षा में सीखा था

गुज्जर परिवार में जन्मे 2008 बैच के आइएएस अधिकारी डॉ. शाहिद बताते हैं कि एलओसी से सटे राजौरी में रेहान गांव में पला-बढ़ा हूं। 16 किमी दूर स्कूल था। पहाड़ चढ़ता और उतरता था। अंग्रेजी का पहला अक्षर छठी कक्षा में सीखा था। पिता राजस्व विभाग में कार्यरत थे। भाई और परिजनों का पूरा साथ मिला। खुदा ने बरकतों से नवाजा और आज यहां हूं। वर्ष 2005 में इंडियन फारेस्ट सर्विस में चयन हुआ। वह गुज्जर समाज से राज्य के पहले आइएएस हैं।

अब तक मिले सम्मान

डॉ. शाहिद पिछले पांच सालों में केंद्र से बेहतर गवनेंर्स के लिए दो बार पुरस्कृत हो चुके हैं। चुनाव आयोग ने वर्ष 2014 के संसदीय और विधानसभा चुनाव में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2018 का महिला सशक्तीकरण के लिए उनको राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा। रियासी जिले में ई-पंचायत प्रोजेक्ट लागू करने के लिए राष्ट्रीय अवार्ड मिला। इसी सप्ताह एक्सिलेंस इन गवनेंर्स अवार्ड से नवाजा गया है।

डीसी डॉ शहिद इकबाल ने किए उल्लेखनीय काम कश्मीर के बांडीपोर में कश्मीर का पहला पब्लिक बीपीओ स्थापित कर 250 युवाओं को रोजगार दिया। इस बीपीओ का शुभारंभ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इससे प्रभावित होकर प्रधानमंभी ने बाकी के 21 जिलों के लिए एक-एक बीपीओ (काल सेंटर) को मंजूरी दी। साल 2013 में रियासी जिला में 72 में लोगों के सुगम आवागमन के लिए नालों पर लकड़ी के 72 पैदल पुलों का निर्माण कराया। राजौरी में खुले आसमान के तले चलने वाले स्कूलों को इमारत उपलब्ध कराने क लिए तामीर प्रोजेक्ट की परिकल्पना। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट को शुरु कर राजौरी जिला में खुले आसमान के नीचे चलने वाले 100 स्कूलों की इमारतें बनाई। नियंत्रण रेखा पर 102 बंकर बनाने के पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर उसे लागू कर नियंत्रण रेखा पर 102 बंकर बनाए। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नौशहरा दौरे के दौरान बंकर के तैयार माडल को मंजूरी दी। जिसके बाद एलओसी वाले सबी जिलों में इस माडल के 20 हजार बंकर तैयार किए गए। वर्ष 2014 में रियासी जिला में मतदाताओं को मतदान में भागीदारी के लिए जागरूकता अभियान चलाया। जिसके चलते के जिला में मतदान प्रतिशत 33 फीसद वृद्धि के साथ रिकार्ड 81 प्रतिशत दर्ज हुआ। साल 2015 में कठुआ जिला में दूरदराज के इलाकों में स्थित विभिन्न गांवों में स्थित सरकारी दफ्तरों को विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा। रियासी जिला में ई-पंचायत प्रोजेक्ट को लागू किया। इस प्रोजेक्ट को प्रभावी तरीके से लागू करने के के लिए उनको राष्ट्रीय अवार्ड मिला। गुरेज व तुलेल में डॉ. शाहिद ने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने साथ स्कूलों में इंटरनेट सेवा के लिए भी उल्लेखनीय काम किया।

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