'अनमोल' ढो रहा अस्पतालों का बायोमेडिकल वेस्ट, दोहरे लिफाफों में डाला जा रहा कोविड मरीजों के बिस्तरों का कचरा

साल 2011-12 में मेडिकल कॉलेज में 35 लाख से इंसीनरेटर लगाया था। इसमें अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को जला दिया जाता था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Sat, 25 Apr 2020 09:48 AM (IST) Updated:Sat, 25 Apr 2020 09:48 AM (IST)
'अनमोल' ढो रहा अस्पतालों का बायोमेडिकल वेस्ट, दोहरे लिफाफों में डाला जा रहा कोविड मरीजों के बिस्तरों का कचरा
'अनमोल' ढो रहा अस्पतालों का बायोमेडिकल वेस्ट, दोहरे लिफाफों में डाला जा रहा कोविड मरीजों के बिस्तरों का कचरा

जम्मू, रोहित जंडियाल : जम्मू-कश्मीर के अस्पतालों में बायोमेडिकल वेस्ट के निपटारे का आज तक संयंत्र नहीं लग पाया है। सभी अस्पताल गैर सरकारी संगठनों पर ही निर्भर हैं। अस्पतालों में वेस्ट अलग-अलग करके लिफाफों में तो डाल दिया जाता है, लेकिन इंसीनरेटर (जलाने वाला संयंत्र) नहीं होने के कारण संस्थाएं ही कचरे का निपटारा करती हैं। इनमें अनमोल संस्था प्रमुख है। कोविड-19 के मरीजों के बिस्तरों से निकलने वाले वेस्ट को लेकर ऐसी ही हालत है। गैर सरकारी संस्थाओं को जिम्मेदारी सौंपी है।

जम्मू-कश्मीर में 17 कोविड-19 अस्पताल बनाए हैं। इनमें जम्मू का गांधीनगर, चेस्ट डिजिजेस, मनोरोग अस्पताल, कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर आरएस पुरा और बिश्नाह शामिल हैं। मेडिकल कॉलेज जम्मू व एसएमजीएस में भी आइसोलेशन वार्ड बनाए हैं जहां पर कोविड-19 के मरीज रखे जाते हैं। सिर्फ जम्मू शहर में 11 क्वारंटाइन सेंटर हैं। इन सेंटरों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोविड-19 नियमों के तहत बायोमेडिकल वेस्ट का निपटारा करने के निर्देश दिए हैं। अस्पताल नए नियम लागू करने में लगे हैं। सभी ने दोहरे लिफाफे में आइसोलेशन वार्ड से निकलने वाला कचरा जमा करना शुरू किया है। कचरे को पीले लिफाफों में जमा करके उनपर कोविड-19 लिखा जाता है। कचरे को उचित निपटारे के लिए गैर सरकारी संगठन अनमोल को सौंपा जा रहा है। अस्पतालों में अपना कोई सयंत्र नहीं होना है। इसके लिए अस्पताल प्रशासन इसका भुगतान भी करते हैं।

इंसीनरेटर पांच साल से बंद : साल 2011-12 में मेडिकल कॉलेज में 35 लाख से इंसीनरेटर लगाया था। इसमें अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को जला दिया जाता था। पैथोलॉजी विभाग से आने वाले वेस्ट व कैंसर तथा अन्य बीमारियों के मरीजों के अलावा नीडल, सीरिज आदि यहीं पर जलाई जाती थी। यह इंसीनरेटर अब पांच साल से बंद पड़ा है। एसएमजीएस और चेस्ट डिजिजेस अस्पतालों के इंसीनरेटर कभी नियमों पर खरे नहीं उतर पाए। इसलिए गैर सरकारी संस्था अनमोल को बायोमेडिकल वेस्ट के निपटारे की जिम्मेदारी सौंपी है। कश्मीर में दो संस्थाओं का यह जिम्मा सौंपा गया है।

ऐसी ही क्वारंटाइन केंद्रों की हालत: क्वारंटाइन केंद्रों में डस्टबीन तो लगाए हैं, लेकिन अभी नए नियमों के बारे में जानकारी नहीं है। इन सेंटरों से निकलने वाले वेस्ट को लिफाफों में बंद करके उन पर स्प्रे की जाती है। उसे फिर जम्मू नगर निगम के भगवती नगर में बनाए डंपिंग सेंटर में फेंका जाता है।

रेड जोन में भी ऐसी ही स्थिति: रेड जोन से निकलने वाले कचरे को लेकर भी ऐसी ही स्थिति है। वहां से निकलने वाले कचरे पर स्प्रे की जाती है ताकि यह संक्रमित न रहे। सफाई कर्मचारियों को सुरक्षा के लिए किट दी है। जब यह कर्मी कचरा उठाकर आते हें तो उन्हें सैनिटाइज किया जाता है। जम्मू में सभी रेड जोन और क्वारंटाइन सेंटरों के नोडल अधिकारी डॉ. जफर इकबाल का कहना है कि कचरे में स्प्रे की जाती है ताकि संक्रमण को खतरा न रहे। सभी नियमों को सख्ती के साथ लागू किया जा रहा है।

जीएमसी व सहायक अस्पतालों के सभी चिकित्सा अधीक्षकों को नए नियम लागू करने के लिए कहा है। कोविड-19 को लेकर प्रशासन गंभीर है। मरीजों के साथ अन्य लोगों की सुरक्षा को लेकर हर कदम उठाया जा रहा है। - डॉ. सुनंदा रैना, प्रिंसिपल जीएमसी जम्मू

जम्मू-कश्मीर के सभी अस्पतालों को कोविड-19 के कचरे को लेकर आए नए दिशा निर्देशों का पालन करने को कहा गया है। इसका अलग से रिकॉर्ड बनाया जा रहा है। बायो मेडिकल वेस्ट का निपटारा जम्मू-कश्मीर में तीन संस्थाओं के हवाले हैं। - सुरेश चुग, चेयरमैन, जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

कोविड-19 के मरीजों के इलाज के दौरान जो भी बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है, उसका उचित निपटारा हो। सभी डिप्टी कमिश्नर नए दिशा निर्देशों का पालन करवाएं। पहले से स्पष्ट दिशा निर्देश और एसओपी जारी है।

- जीसी मुर्मू, उपराज्यपाल, जम्मू-कश्मीर

ये हैं नियम वार्ड में अलग-अलग रंग के लिफाफे रखकर वेस्ट को डालें। काले रंग के लिफाफों में वह गंदगी डालें जिसमें इंफेक्शन न हो। पीले रंग के लिफाफों में इंफेक्शन वाला और नीले रंग के लिफाफों में नीडल, सीङ्क्षरज, पैथोलॉजी से निकलने वाली गंदगी डालें। कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड से निकलने वाली गंदगी को दोहरे लिफाफे में डालें। कामन बायोमेडिकल वेस्ट सेंटर को कोविड-19 कचरा सोंपने से पहले उस पर कोविड-19 का लेवल लगाकर अलग रखें। अस्पतालों से निकलने वाले दूसरे कचरे को पहले के नियमों के अनुसार सालिड वेस्ट की तरह निपटारा हो। कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड से निकलने वाले कचरे का अलग रिकॉर्ड बनाएं। आइसोलेशन वार्ड में वेस्ट के लिए अलग ट्राली लगाएं। उन पर कोविड-19 लिखा जाए। कोविड-19 कचरे के लिए अलग से सफाई कर्मचारियों की तैनाती हो। जो कवेडि-19 मरीज शौचालय का इस्तेमाल नहीं कर सकता, उसके मल को बायोमेडिकल वेस्ट समझा जाए। उसे डाइपर में पीले रंग के लिफाफे में डालें। इस्तेमाल की पीपीइ किट को लाल रंग के लिफाफों में डालें।

क्वारंटाइन सेंटर चलाने वालों के लिए यह हैं नियम क्वारंटाइन सेंटर से निकलने वाली गंदगी को अर्बन लोकल बाडीज द्वारा नियुक्त कर्मचारियों को दिया जाना है क्वारंटाइन सेंटर में बायोमेडिकल वेस्ट उत्पन्न होता है तो तुरंत कामन बायोमेडिकल प्लांट के संचालक को बताएं। 

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