अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई टालने की मांग अदालत की अवमानना

कुछ कश्मीरी राजनीतिज्ञ धमकी दे रहे हैं कि वे जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होंगे, जब सर्वोच्च न्यायालय से अनुच्छेद 35-ए पर निर्णय नहीं आ जाता।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sat, 15 Sep 2018 12:57 PM (IST) Updated:Sat, 15 Sep 2018 01:17 PM (IST)
अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई टालने की मांग अदालत की अवमानना
अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई टालने की मांग अदालत की अवमानना

जम्मू, राज्य ब्यूरो। पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक और स्टेट लीगल एंड कमेटी के कार्यकारी चेयरमैन प्रो. भीम सिंह ने कहा कि कश्मीर के कुछ राजनीतिज्ञ अनुच्छेद 35-ए के मामले की सुनवाई टालने की सार्वजनिक मंच से बात कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ अदालत की अवमानना याचिका दायर की जानी चाहिए।

नई दिल्ली में वकीलों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है कि सत्ता के भूखे कश्मीर के कुछ राजनीतिज्ञ सर्वोच्च न्यायालय में लंबित अनुच्छेद 35-ए मामले पर अपनी स्वेच्छा के मुताबिक सुनवाई की मांग कर रहे हैं, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई के लिए जनवरी 2019 की तिथि तय की है।

आश्चर्य की बात है कि कुछ कश्मीरी राजनीतिज्ञ धमकी दे रहे हैं कि वे उसी समय जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल होंगे, जब तक सर्वोच्च न्यायालय से अनुच्छेद 35-ए पर निर्णय नहीं आ जाता।भीम सिंह ने कहा कि कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस और अन्य दलों की श्रीनगर में बैठक हुई, जिसका आयोजन नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने किया। कांग्रेस और गैर मान्यता प्राप्त दलों के प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए। फारूक के घर हुई बैठक की चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय को जांच करानी चाहिए।

कुछ राजनीतिज्ञों के वक्तव्य पर सर्वोच्च न्यायालय को विशेष ध्यान देना चाहिए, जो अदालत की अवमानना के बराबर है। उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और उनके अन्य साथी अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई के लिए धमकी दे रहे हैं और केंद्र सरकार पर घिसी-पिटी राजनीतिक पार्टियों की नई सरकार बनाने के लिए दबाव डाल रहे हैं।

उन्होंने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर विधानसभा को बर्खास्त करने, विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करने, नए सिरे से चुनाव कराने और सर्वोच्च न्यायालय से कुछ राजनीतिज्ञों के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करने पर जोर दिया। 

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