Jammu Kashmir DDC Results: चुनाव के बाद जिला विकास परिषदों का गठन गुपकार दलों की असली चुनौती

भाजपा को रोकने के लिए नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने छोटे दलों के साथ पीपुल्स अलायंस बना लिया पर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना सहज नहीं है। यही चुनौती प्रत्याशियों के चयन के समय थी और अब जिला विकास परिषदों के गठन में आती दिख रही है।

By VikasEdited By: Publish:Thu, 24 Dec 2020 06:50 AM (IST) Updated:Thu, 24 Dec 2020 07:15 AM (IST)
Jammu Kashmir DDC Results: चुनाव के बाद जिला विकास परिषदों का गठन गुपकार दलों की असली चुनौती
दर्जन भर सीटों पर गुपकार गठबंधन के प्रत्याशी आमने-सामने उतरे और कुछ ने निर्दलीय ताल ठोंक दी।

जम्मू, राज्य ब्यूरो: कश्मीर में भाजपा को रोकने के लिए नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने छोटे दलों को शामिल कर पीपुल्स अलायंस बना लिया पर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना सहज नहीं था। यही चुनौती गठबंधन के प्रत्याशियों के चयन को लेकर भी थी और आगे जिला विकास परिषदों के गठन में आती दिख रही है। यही वजह है कि दर्जन भर सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी आमने-सामने उतरे और कुछ ने निर्दलीय ताल ठोंक दी। कांग्रेस से गठबंधन पर अंतिम समय तक कुछ साफ नहीं हुआ और नतीजा दर्जनों सीटों पर कांग्रेस और एलायंस एक-दूसरे के विरोध में खड़े थे।

अब चुनाव परिणाम के बाद स्पष्ट है कि गुपकार गठबंधन कश्मीर के 10 जिलों में जिला विकास परिषदों पर कब्जा करने में सफल रहेगा पर असली चुनौती यहीं से आरंभ होगी। खासकर बड़ी पार्टियों नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के कार्यकर्ताओं के लिए एक-दूसरे का प्रभुत्व झेलना सरल नहीं है। भाजपा भी इसी मसले को हवा दे रही है। उनका कहना है कि यह गठबंधन केवल राष्ट्रवादी ताकतों को रोकने के लिए हुआ था।

प्रत्याशियों के चयन से लेकर परिणाम तक नेशनल कांफ्रेंस ने समझौते में अपना दबदबा बनाए रखा। भाजपा के विरोध में पुरानी दुश्मनी भुलाकर भले ही इन पार्टियों के नेतृत्व ने समझौता कर लिया, लेकिन जमीनी सतह पर नेताओं, कार्यकर्ता पूरी तरह एक नहीं हैं।

पीपुल्स अलायंस पर गुपकार डेक्लेरेशन (PAGD) को जिला विकास परिषद की 280 में से 110 सीटें मिली हैंं। अलायंस के मुख्य घटक नेशनल कांफ्रेंस ने 67 सीटें जीती हैं तो पीडीपी इसके आधे से कम महज 27 सीट पर सिमट गई। इनमें 26 सीटें कश्मीर की हैं।

सीट चयन में भी टकरा गए थे हित

कश्मीर में एक-दूसरे की धुर विरोधी  पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस के सीटों के बंटवारे को लेकर हित टकरा गए थे। कई जगहों पर नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी के उम्मीदवारों ने एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े। इसके अलावा अन्य छोटे दलों से भी खींचतान दिखाई दी। कांग्रेस कुछ सीटों पर साथ आई पर ज्यादातर पर गुपकार दलों के खिलाफ खड़ी दिखाई दी। कुलगाम, बडग़ाम व पुलवामा में कई सीटों पर एलायंस के घटक दलों में ही मुख्य मुकाबला था।

फायदे में दिखी नेकां

इस गठबंधन से नेकां फायदे में दिखी। पीडीपी के गढ़ बिजबिहाड़ा के शहरी निकाय में समझौते के नाम पर शामिल हुई नेकां अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रही। गठबंधन वहां आसानी से जीत गया पर पीडीपी के गढ़ में नेकां को एंट्री मिल गई। बारामुला के उपचुनाव में केवल नेकां और निर्दलीय ही हावी रहे।

पूरा हक चाहेगी पीडीपी

सूत्रों के अनुसार भले ही पीडीपी नेतृत्व ने अपनी दशकों पुरानी दुश्मनी भुलाकर समझौता कर लिया, लेकिन  जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता कितने तैयार हैं। चुनाव के बाद अब सभी दल अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी पर अपना कब्जा चाहेंगे और इसके लिए दावेदारी दिखने लगी है। पीडीपी के अलावा गुपकार अलायंस के अन्य दल भी नेकां की बी टीम बनने के बजाय अपने हितों का संरक्षण चाहते हैं।

हम मिल-बैठकर तय कर लेंगे

नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता अली मोहम्मद सागर का कहना है कि जब सरकार जिला विकास परिषदों के गठन की अधिसूचना जारी करेगी तब हम मिलकर तय करेंगे कि किस तरह से आगे साथ चलना है। एलायंस में सबके हितों का ध्यान रखा जाएगा। कश्मीर में 3 सीटें जीतने वाली भाजपा भी हमारे अगले कदम का इंतजार कर रही है।

गुपकार के दलों का गठबंधन नापाक था : भाजपा के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर का कहना है कि गुपकार के दलों का गठबंधन नापाक था। वे भाजपा को कश्मीर में सामने आने से नहीं रोक पाए। ऐसे में अब उनके एजेंडे टकराना तय है।

बहुत मुश्किल फैसला था : फारूक अब्दुल्ला :नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि अपने विरोधी दलों से गठबंधन करना बहुत मुश्किल फैसला था। यह फैसला जम्मू कश्मीर के लोगों के हितों को देखते हुए लिया गया। डा. फारूक ने कोई नेशनल कांफ्रेंस को खत्म नहीं कर सकता है। एलायंस एकजुट होकर अपनी मुहिम जारी रखेगी।

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