Jammu Kashmir: लद्दाख में भारत की मजबूत होती स्थिति को पचा नहीं पा रहा चीन

कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके सेना के सेवानिवृत ब्रिगेडियर देवेंद्र कुमार बडोला ने कहा कि चीन ने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की ताकत को परखा है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 11:06 AM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 03:20 PM (IST)
Jammu Kashmir: लद्दाख में भारत की मजबूत होती स्थिति को पचा नहीं पा रहा चीन
Jammu Kashmir: लद्दाख में भारत की मजबूत होती स्थिति को पचा नहीं पा रहा चीन

जम्मू, विवेक सिंह। वर्ष 1962 में भारत पर हमला करने वाले चीन की लद्दाख पर शुरू से ही बुरी नजर रही है। कारगिल युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार के बाद लद्दाख में बन रहे दर्जनों पुल व सड़कें और भारतीय सेना की मजबूत होती स्थिति को चीन पचा नहीं पा रहा है। इसलिए वह किसी न किसी बहाने भारत के साथ तनाव बढ़ा रहा है।

लद्दाख के लोग शुरू से ही चीन की चालाकी से बखूबी वाकिफ हैं। इसलिए वह हमेशा मांग करते रहे हैं कि लद्दाख को मजबूत किया जाए। सितंबर 1957 में लद्दाख के दौरे के बाद पूर्व सदर-ए-रियासत डॉ. कर्ण सिंह ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को पत्र लिखकर भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए लद्दाख को मजबूत करने का मुद्दा उठाया था। साथ ही चीन की साम्यवादी विचारधारा से भी लद्दाख को बचाए रखने पर जोर दिया था, लेकिन इस पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लद्दाख में एलएसी पर कमजोर बुनियादी ढांचे के चलते ही चीन की नापाक हरकतें बढ़ती गईं। वर्ष 1962 में चीन ने अचानक हमला कर अक्साई चिन के इलाके को अपने कब्जे में कर लिया।

रणनीतिक रूप से मतबूत होना चाहते हैं पाक-चीनः सियाचिन के पश्चिम में साल्टोरो रिज के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान हैं। इसके पूर्व में चीन के कब्जे वाला अक्साई चिन इलाका है। दोनों दुश्मन देशों की कोशिश है कि वे लद्दाख में घुसपैठ कर अपनी सीमाएं जोड़ लें। भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशियर में मोर्चा संभाल कर चीन और पाकिस्तान को आपस में जुड़ने नहीं दे रही है। ऐसे में अगर चीन गलवां घाटी पर कब्जा कर लेता है तो इससे भारतीय सेना के लिए उत्तर में अपने इलाकों तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा।

दो साल में भारत ने लद्दाख में किए नए निर्माणः पूर्वी लद्दाख में पिछले दो सालों में भारतीय क्षेत्र में नदियों, नालों पर 40 से अधिक पुल बने हैं। इसके साथ कई सड़कें भी बनी हैं। गत वर्ष पूर्वी लद्दाख में सीमा से 45 किलोमीटर की दूरी पर श्योक नदी पर बना कर्नल छिवांग रिनचिन पुल टी 90 जैसे टैंक आगे ले जाने में सक्षम है।

चीन अक्सर करता है उकसाने वाली कार्रवाईः लद्दाख की 134 किमी लंबी पैंगांग त्सो झील के उत्तरी किनारे का दो तिहाई हिस्सा चीन के पास है। भारत और चीन के सैनिक मोटर बोट में अपने-अपने इलाकों में पैट्र्रोंलग करते हैं। कई बार तनाव होने पर बार्डर पर्सनल बैठकों में दोनों ओर के सैन्य अधिकारी शांति बनाए रखने पर चर्चा करते हैं। साल में कम से कम छह ऐसी बैठकों के बाद भी चीन सेना विवाद पैदा करने से बाज नहीं आती है। चीन पूर्वी लद्दाख में अक्सर लद्दाख के गडरियों को भी पशु चराने से मना करता है। 2018 में लेह के ग्रामीणों ने ही बताया था कि चीन के सैनिक घुसपैठ कर डेमचौक क्षेत्र में आ गए हैं।

पूर्वी लद्दाख में पैठ बनाना चाहता है चीन: उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, अब भारतीय सेना के मजबूत होने से आक्रामक हुआ चीन गालवां घाटी व पैंगांग त्सो के पास भारतीय इलाकों पर अपनी सेना के लिए स्थायी बुनियादी ढांचा तैयार कर रणनीतिक रूप से पूर्वी लद्दाख में पैठ बनाना चाहता है।

30 मिनट में पूर्वी लद्दाख में पहुंच सकती हैं तोपेंः भारतीय वायुसेना 30 मिनट में टैंक व साजो सामान के साथ देश के अन्य हिस्सों से सैनिक लद्दाख पहुंचा सकती है। पूर्वी लद्दाख में वायुसेना की दौलत बाग ओल्डी समेत तीन एडवांस र्लैंडग ग्राउंडों पर वायुसेना के बड़े विमान उतर सकते हैं। दिसंबर 2018 में वायुसेना ने चंद मिनटों में करीब 500 टन के सेना के साजो सामान से भरे ग्लोब मास्टर समेत अपने सोलह बड़े विमानों को पूर्वी लद्दाख में उताकर संदेश दिया था कि अब कोई साजिश हुई तो मुंहतोड़ जवाब मिलेगा। एक घंटे में अपना काम कर ये विमान चंडीगढ़ लौट चुके थे।

तिब्बत पर चीन पर कब्जे के खिलाफ हैं लद्दाखीः 1962 में चीन के हमले के दौरान दिल्ली में सेना मुख्यालय में तैनात रहे सेवानिवृत मेजर जनरल गोवर्धन सिंह जम्वाल ने कहा कि दुश्मन लद्दाख पर कब्जा करने की अपनी बड़ी पुरानी रणनीति पर काम कर रहा है। लद्दाखी लोग चीन के तिब्बत पर कब्जा करने के कट्टर विरोधी हैं। वे तिब्बत के लोगों को पूरा समर्थन देते हैं। ऐसे में चीन लद्दाख को युद्ध क्षेत्र मानता है। इसीलिए वह लद्दाख में लगातार आगे बढ़ने की कोशिशें कर रहा है। अब एक सशक्त सेना को अपने सामने खड़ा देखकर वह पहले से अधिक आक्रमक हो गया है। जनरल जम्वाल का कहना है कि आजादी के कई दशकों बाद तक सेना को मजबूत बनाने की दिशा में कोई कार्रवाई न होने से चीन को शह मिली। अब लद्दाख में निर्माण होते देख वह हताश है। उस पर कोरोना से विश्व में अलग-थलग पड़ा चीन ध्यान बंटाने के लिए भी ऐसा कर रहा है। इसे हलके से नहीं लिया जा सकता।

हमारी सेना के पास युद्ध कौशल व आधुनिक हथियारः कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके सेना के सेवानिवृत ब्रिगेडियर देवेंद्र कुमार बडोला ने कहा कि चीन ने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की ताकत को परखा है। अब हमारी सेना के पास युद्ध कौशल के साथ हर आधुनिक हथियार हैं। पूर्वी लद्दाख में ऑल वेदर सड़कें व विमान उतारने के लिए एडवांस र्लैंंडग ग्राउंड बन गई हैं। ऐसे में चीन हताशा में नापाक हरकतें कर रहा है। हमारे सैनिक चुनौती के लिए तैयार हैं।

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