जम्मू में भांग के पौधे से गंभीर बीमारियों की दवाई तैयार होंगी

आइआइआइएम और कनाडा की कंपनी इंडसकैन के बीच एमओयू डॉ. जितेंद्र सिंह ने आइआइआइएम जम्मू में पहले अंतरराष्ट्रीय कैनबिस मेडिसिनल प्रोजेक्ट को लांच किया

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 Feb 2020 10:14 AM (IST) Updated:Sun, 23 Feb 2020 10:14 AM (IST)
जम्मू में भांग के पौधे से गंभीर  बीमारियों की दवाई तैयार होंगी
जम्मू में भांग के पौधे से गंभीर बीमारियों की दवाई तैयार होंगी

राज्य ब्यूरो, जम्मू : जम्मू में जल्द कैनबिस (भांग) पौधे से गंभीर तरह की बीमारियों की दवाइयां तैयार की जाएगी। इन दवाइयों का निर्यात भी होगा। दवाइयां अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयार होंगी। प्रधानमंत्री में राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसन (आइआइआइएम) जम्मू में पहले अंतरराष्ट्रीय कैनबिस मेडिसिनल प्रोजेक्ट को लांच किया। दोनों में सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह प्रोजेक्ट कनाडा के सहयोग से बनाया जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर की कैंसर में दर्द से राहत की दवाई, मधुमेह और न्यूरोपैथी की दवाइयां का निर्यात होगा। वैज्ञानिक एवं व्यवसायिक वाले प्रोजेक्ट से राजस्व के साथ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और रिसर्च होगी।

डॉ. सिंह ने देश में फार्माकालोजी के पिता कहे जाने वाले और आइआइआइएम जम्मू के संस्थापक सर राम नाथ चोपड़ा को याद किया। सर चोपड़ा ने लैब के इतिहास में विश्व प्रसिद्ध मिनट टेबलेट को विकसित किया था। जम्मू कश्मीर में निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है। हमारा देश भारत पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। इसमें आइआइआइएम वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन रहा है। डॉ. सिंह ने कहा कि साल 2014 में वह जब सूचना तकनीक के मंत्री थे तो उस समय उन्होंने वैष्णो देवी यात्रा मार्ग पर सांझी छत में अत्याधुनिक मौसम पूर्वानुमान सिस्टम लाया था। उसके बाद ऐसा ही सिस्टम मुंबई के जुहू में लगाया गया। उत्तर भारत की पहली बायोटेक इंडस्ट्रियल पार्क कठुआ में बनाई जा रही है। आइआइआइएम के सहयोग से अक्टूबर में बनकर तैयार हो जाएगी। आइआइआइएम जम्मू और कनाडा की कंपनी इंडसकैन खेती में वैज्ञानिक रिसर्च भी करेगी। कैनबिस में रिसर्च के लिए कनाडा की कंपनी आइआइआइएम को अधिकतम पांच करोड़ की मदद देगी। नियमों और शर्तों पर करेगी। कैनबिस (भांग) के पौधे को जम्मू के चटठा में उगाया जाता है। इसके लिए जम्मू कश्मीर सरकार से 2017 में आइआइआइएम को लाइसेंस मिला हुआ है। रिसर्च और औषधीय विकास के लिए कनाडा की कंपनी से सहयोग मिलेगा। वैज्ञानिक और औधोगिक रिसर्च काउंसिल (सीएसआईआर) के महानिदेशक शेखर सी मांडे ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लिए यह अहम मौका है। औषोधीय पौधों के विकास और रिसर्च का फायदा मिलेगा। भांग में औषोधीय मूल्यों की क्षमता : राय

उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर ने कहाकि भांग में औषोधीय मूल्यों की क्षमता है। इससे गंभीर बीमारियों का इलाज हो सकता है। इससे पहले आइआइआइएम के निदेशक राम विश्वकर्मा ने कहा कि भांग पर रिसर्च के लिए आइआइआइएम को विश्व में मान्यता मिली है। उन्होंने भांग से विकसित करने वाली दवाइयों के बारे बताया।

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