अनुच्छेद 35-ए अंसवैधानिक और मौलिक अधिकारों के खिलाफ

भारत की संविधान में अनुच्छेद 370 शामिल कर दिया गया। उस पर भी अब बहस करने की जरूरत है। अनुच्छेद 370 काे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लाया गया था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Thu, 28 Feb 2019 06:52 PM (IST) Updated:Thu, 28 Feb 2019 06:52 PM (IST)
अनुच्छेद 35-ए अंसवैधानिक और मौलिक अधिकारों के खिलाफ
अनुच्छेद 35-ए अंसवैधानिक और मौलिक अधिकारों के खिलाफ

जम्मू, राज्य ब्यूरो। पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमो प्रो. भीम सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 35-ए को अंसवैधानिक और मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया। यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि 26 जनवरी, 1950 को भारत की संविधान सभा की भूमिका उस समय समाप्त हो गयी, जब जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में संविधान लागू किया गया। विशेष परिस्थितियों में चाहे वह राजनीतिक मजबूरियां हों, जम्मू-कश्मीर राज्य को भारत के संविधान के दायरे में नहीं लाया गया।

भारत की संविधान में अनुच्छेद 370 शामिल कर दिया गया। उस पर भी अब बहस करने की जरूरत है। अनुच्छेद 370 काे एक अस्थायी प्रावधान के रूप में लाया गया था। स्पष्ट रूप से कहा कि यह प्रावधान केवल अस्थायी है और उचित समय पर इसे हटाया जा सकता है। यह ऐसा प्रावधान है, जो भारतीय संसद को तीन विषयों यानि रक्षा, विदेश मामले, संचार और संबद्ध मामलों के संबंध में कानून बनाने से रोकता है। अनुच्छेद 35-ए को संविधान सभा ने नहीं बनाया या फिर लागू नहीं किया और न ही इसे भारतीय संसद ने लागू किया। अनुच्छेद 35-ए मई 1954 में राजनीतिक कारणों से लाया गया था। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35 अनुच्छेद 370 के दायरे में नहीं आता।

यह संशोधन तत्कालीन राष्ट्रपति मई 1954 में लाए थे, जो संशोधन केवल छह महीने तक वैध था। इस संशोधन ने जम्मू-कश्मीर में रहने वाले भारतीय नागरिकों को भारतीय संविधान में अनुच्छेद 12 से 35 तक दिए गए मौलिक अधिकारों से वंचित करता है। यह असंवैधानिक अनुच्छेद 35-ए तब से आज तक जारी है। इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए। 

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