अब मिल मालिक बनेंगे बासमती धान के किसान, मुनाफे में होगा बराबर का हिस्सा

आरएस पुरा बासमती राइस ट्रेडर्स (आर्गेनिक) नाम का संगठन बनाया है। इसके सदस्य बनने वाले किसान ही इसके मालिक भी होंगे। फायदा होने पर लाभ बराबर-बराबर किसानों में वितरित किया जाएगा।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 24 Oct 2018 04:02 PM (IST) Updated:Wed, 24 Oct 2018 04:02 PM (IST)
अब मिल मालिक बनेंगे बासमती धान के किसान, मुनाफे में होगा बराबर का हिस्सा
अब मिल मालिक बनेंगे बासमती धान के किसान, मुनाफे में होगा बराबर का हिस्सा

जम्मू, जेएनएन। बासमती उत्पादक किसानों के लिए राहत भरी खबर है। आने वाले दिनों में वे अपना उत्पाद अच्छे दाम पर तो बेच ही पायेंगे, वहीं साथ ही स्वयं मिल मालिक भी बन सकेंगे। यह सपना किसानों के समूह के प्रयास से सकार होगा जिन्होंने किसानों की राहें आसान करने का रास्ता खोजा है। 

अपने स्वाद, महक के कारण आरएसपुरा की पारंपरिक बासमती चावल ने देश विदेश में पहचान बनाई। मगर उत्पादक किसान कम दाम मिलने व राइस मिल मालिकों की मनमर्जी से अकसर परेशान रहते हैं। अब वे दिन लद जाएंगे। किसानों ने मिलकर आरएस पुरा बासमती राइस ट्रेडर्स (आर्गेनिक) नाम का संगठन बनाया है। बड़ी बात यह है कि इसके सदस्य बनने वाले किसान ही इसके मालिक भी होंगे। संगठन को फायदा होने पर लाभ बराबर-बराबर किसानों में वितरित किया जाएगा। संगठन की कोशिश है कि आरएस पुरा बासमती बेल्ट के अधिकांश किसानों तक पहुंचा जाए और उनको आर्गेनिक खेती पर लाया जाए।

मिनी राइस मिल उपलब्ध कराइर् जाएगी

राहें आसान करने के लिए किसानों को सब्सिडी पर मिनी राइस मिल उपलब्ध कराई जाएगी। अब तक सौ किसानों की ओर से मिनी राइस मिल लेने की सहमति प्राप्त भी हो गई है। संगठन का प्रयास है कि अगले छह माह में एक हजार किसानों को संगठन का सदस्य बनाया जाए। तकरीबन डेढ़ सौ किसान इस संगठन से जुड़ चुका है। तीन सालों में ही आरएस पुरा बासमती बेल्ट क्षेत्र में 1500 से 2000 किसानों को मिनी राइस मिल का मालिक बनाने की सोच बनाई गई । अगर ऐसा हो जाता है तो क्षेत्र के बड़े मिल मालिकों के बने एकाधिकार पर करारी चोट भी होगी। आम किसान अपने ही मिनी राइस मिल पर बासमती धान को चावल में परिवर्तित कर सकेगा। आरएसपुरा बासमती राइस ट्रेडर्स माल के उचित दाम देकर चावल किसानों से उठा लेगा।

किसानों का एकजुट होना जरूरी

संगठन के प्रधान देवराज चौधरी जोकि आरएस पुरा बासमती ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रधान भी हैं, का कहना है कि अगर आरएस पुरा बासमती उत्पादक किसानों को बचाना है तो उनका एकजुट होना जरूरी है। खास बात यह है कि किसानों को अपना उत्पाद जैविक तैयार करना होगा। जबकि आरएस पुरा बासमती राइस ट्रेडर्स (आर्गेनिक) स्वयं माल उठाएगी। इसकी पैकेजिंग करने चावल देश के अन्य हिस्सों में पहुंचाएगी।  मिनी राइस मिल के बारे में भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है। यह मशीन विश्वकर्मा मशीनरी टूल्स, पंजाब द्वारा तैयार की गई है। जो बासमती उत्पादक किसानों के लिए कापफी लाभदायक है।

आधे दाम पर पड़ेगी मिनी राइस मिल

चावल तैयार करने के लिए किसानों को तकरीबन आधे दाम पर मिनी राइस मिल मिलेगी। किसानों के समूह के तौर पर किए जाने वाले प्रयासों की कृषि विभाग ने भी सराहना की है। 50 फीसद सब्सिडी देने का वायदा किया है। ऐसे में अढ़ाई लाख रुपये में आने वाला मिनी राइस मिल किसानों को तकरीबन आधे दाम पर मिलेगा। आरएसपुरा बेल्ट के हर गांव में कम से कम एक दो मिनी राइस मिल लगाने की योजना है। किसानों को बासमती धान चावल में परिवर्तित करने के लिए परेशानी न हो।

मिनी राइस मिल की खास बात

चावल का दाना एक दम साफ सुथरा रहता है। दाना टूटता नही, ऐसे ही जैसे कि बड़ी मिलों पर होता है। एक घंटे में तीन क्विंटल चावल तैयार किया जा सकता है। इस मशीन को चलाने के लिए महज 5 एचपी की मोटर की जरूरत रहती है। यह मशीन किसानों के लिए वरदान होगी मगर किसानों को बासमती धान की गुणवत्ता को बनाए रखना होगा। कश्मीर में एक कनाल भूमि से बागवान लाख रुपये तक कमा जाता है, ऐसे में आर एस पुरा बेल्ट में पारंपरिक बासमती धान उगाने वाले किसन 20 रुपये की कमाई क्यों नही कर सकता।

आरएस पुरा बेल्ट के किसानों में आएगी चमक

आरएस पुरा बासमती राइस ट्रेडर्स से जुड़े पौनी क्षेत्र के किसान दीपक शर्मा का कहना है कि समूह के प्रयासों से आरएसपुरा बेल्ट के किसानों में एक चमक आई है। पिछले सात आठ साल से इन किसानों को अपनी ही बेहतर बासमती के दाम तक नही मिल पा रहे थे। मगर अब राहें आसान होंगी। वहीं सुचेतगढ़ के डेरा गांव के किसान कैप्टन दलजीत सिंह का कहना है कि आरएसपुरा बेल्ट की बासमती एक अपनी पहचान रखती है। मगर इसको संरक्षण तभी मिलेगा जब किसान सुरक्षित होंगे। लेकिन अब इन किसानों का समय आने वाला है। जम्मू के आरएसपुरा बेल्ट में तकरीबन 45 हजार हैक्टेयर भूमि पर पारंपरिक बासमती धान की खेती होती है और इस क्षेत्र का यह अपना बीज है।  

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