बलवंत ठाकुर ने जोहान्सबर्ग में संभाला सांस्कृतिक राजनयिक का पदभार Jammu News

1960 में जन्मे बलवंत ठाकुर देश के प्रतिष्ठित रचनात्मक थियेटर निर्देशकों में से एक हैं। प्रदर्शन कला में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त ठाकुर सबसे कम उम्र के थियेटर निर्देशक हैं

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Wed, 21 Aug 2019 01:50 PM (IST) Updated:Wed, 21 Aug 2019 01:50 PM (IST)
बलवंत ठाकुर ने जोहान्सबर्ग में संभाला सांस्कृतिक राजनयिक का पदभार Jammu News
बलवंत ठाकुर ने जोहान्सबर्ग में संभाला सांस्कृतिक राजनयिक का पदभार Jammu News

जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू-कश्मीर के रंगमंच को दुनियाभर में विशेष पहचान दिलवाने वाले पद्मश्री बलवंत ठाकुर ने मंगलवार को स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में भारत के सांस्कृतिक राजनयिक का पदभार संभाल लिया। वह तीन वर्ष तक दक्षिण अफ्रीका में केंद्र निदेशक के रूप में कार्य करेंगे।

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित पद्मश्री बलवंत ठाकुर जम्मू-कश्मीर के पहले ऐसे रंगमंच निर्देशक हैं, जिन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ठाकुर, गिरीश कर्नाड और मोहन महर्षि के बाद इस पद पर विराजमान होने वाले तीसरे भारतीय रंगमंच निर्देशक हैं। उन्हें भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने और आपसी समझ को मजबूत बनाने के लिए कार्य करना होगा।

भारत ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए विदेशों में सांस्कृतिक केंद्र स्थापित किए हैं। इससे पहले भी बलवंत ठाकुर देश में प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पदों पर रह चुके हैं। इसमें परियोजना निदेशक, भाषा और संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार, सचिव जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी, क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय सांस्कृतिक परिषद संबंध, सरकारी क्षेत्र में सांस्कृतिक प्रशासन में और शीर्ष एनजीओ प्रबंधन के तीस साल के अनुभव के साथ अब नई जिम्मेदारी सौंपी गई है।

200 राष्ट्रीय थियेटर समारोह में ले चुके हिस्सा

1960 में जन्मे बलवंत ठाकुर देश के प्रतिष्ठित रचनात्मक थियेटर निर्देशकों में से एक हैं। प्रदर्शन कला में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त ठाकुर सबसे कम उम्र के थियेटर निर्देशक हैं। उन्होंने निर्देशक के रूप में 200 से अधिक राष्ट्रीय थियेटर समारोहों में भाग लिया है। रंगमंच में वह एक जादुई व्यक्ति के रूप में विख्यात हैं। नाटक घुमांयी, बावा जित्तो, सुनो एह् कहानी, चौराहा, महाभोज उनकी सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों में से हैं।

1992 में संस्कृति अवार्ड

केंद्रीय संस्कृति मंत्रलय ने उनके उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए उन्हें तीन साल के लिए नेशनल सीनियर फैलोशिप से सम्मानित किया है। 1992 में रंगमंच में निर्देशन के लिए उन्हें संस्कृति अवार्ड से सम्मानित किया गया है। 

chat bot
आपका साथी