पापा का वो आखिरी फोन था... आपरेशन के दौरान शहीद एएसआइ बाबू राम को आया था स्वजन का ख्याल

Ashok Chakra Awardee ASI Babu Ram की पत्नी रीना ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमें अशोक चक्र जैसा सम्मान राष्ट्रपति के हाथों मिला है। उन्होंने कहा कि मेरे पति ने कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं की।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 28 Jan 2022 07:39 AM (IST) Updated:Fri, 28 Jan 2022 10:18 AM (IST)
पापा का वो आखिरी फोन था...  आपरेशन के दौरान शहीद एएसआइ बाबू राम को आया था स्वजन का ख्याल
शहीद की पत्नी रीना शर्मा के पिता योगराज शर्मा सेना की जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंटरी की 13वीं बटालियन में थे।

राजौरी, जागरण संवाददाता : 29 अगस्त, 2020 की रात। श्रीनगर के पंथाचौक के साथ सटे मोहल्ले में आतंकियों के साथ भीषण मुठभेड़ के दौरान एएसआइ बाबू राम को अपने स्वजन का ख्याल आया था। बाबू राम की बेटी सानवी शर्मा बताती हैं कि उस रात करीब 10:30 बजे पापा का फोन आया और उन्होंने बस इतना ही कहा था कि एक आपरेशन पर जा रहा हूं। सानवी और बाबू राम की पत्नी रीना देवी बताती हैं, उस रात घर पर किया वह उनका आखिरी फोन था। खुद एक पुलिस परिवार की बेटी और एक पुलिस परिवार में ही पुत्रवधू बनकर आई रीना के लिए बाबू राम का आतंकरोधी कार्रवाई में जाना हैरानी या परेशानी की बात नहीं थी, लेकिन यह बाबू राम का आखिरी आपरेशन बन गया। बता दें कि 48 वर्षीय एएसआइ बाबू राम 1999 में जम्मू कश्मीर पुलिस में सिपाही के तौर भर्ती हुए थे।

मेरा बेटा भी पुलिस में जाने को बेताब : शहीद बाबू राम की पत्नी रीना ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमें अशोक चक्र जैसा सम्मान राष्ट्रपति के हाथों मिला है। उन्होंने कहा कि मेरे पति ने कभी भी अपनी जान की परवाह नहीं की। उन्होंने डट कर आतंकियों से मुकाबला किया और अधिकतर समय कश्मीर में ही रहे। उन्होंने कहा कि अब मेरा बड़ा बेटा माणिक भी अपने पिता की तरह पुलिस में जाने को बेताब है और उसके अंदर मैं उसी तरह से जुनून देखती हूं। रीना का कहना है कि मेरे पति के नाम से कश्मीर में आतंकी कांप जाते थे। शहीद बाबू राम के तीन बच्चों में से सबसे बड़ा 18 साल का माणिक है, जो 12वीं का छात्र है। वह कबड्डी का खिलाड़ी है। छोटा बेटा केतन और बेटी सानवी स्कूल में पढ़ते हैं।

शहीद बाबू राम का परिवार भी कर रहा देश सेवा : पुंछ के डराना गांव के शहीद बाबू राम के चार भाई हैं। इनमें से सबसे बड़े सुभाष चंद्र जम्मू कश्मीर पुलिस से सब इंस्पेक्टर के तौर पर रिटायर हो चुके हैं। उनसे छोटे गुलशन कुमार अब भी जम्मू कश्मीर पुलिस में सेवारत हैं। सबसे छोटे भाई प्रवीन कुमार सीमा सुरक्षा बल से सेवामुक्त होकर हाल ही में घर लौट आए हैं। एक भाई ओम प्रकाश मंदिर में पुजारी हैं। शहीद बाबू राम की पत्नी रीना शर्मा के पिता योगराज शर्मा सेना की जम्मू कश्मीर लाइट इन्फेंटरी की 13वीं बटालियन में थे। रीना के एक भाई भी जम्मू कश्मीर पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं।

परमवीर चक्र के बराबर माना जाता है अशोक चक्र : अशोक चक्र सशस्त्र बलों, अद्र्धसैनिक बलों और पुलिस के जांबाजों को शांतिकाल में दिया जाने वाला बहादुरी का पुरस्कार है, जो परमवीर चक्र के बराबर माना जाता है।

स्वजन को प्रशासन से शिकायत भी, घर तक पक्का रास्ता तक नहीं : शहीद बाबू राम की पत्नी रीना और स्वजन को कुछ शिकायत भी है। रीना का कहना है उनके पति के नाम पर गांव के प्रवेश से पहले एक चौक का नाम शहीद एएसआइ बाबू राम चौक तो रख दिया गया है, लेकिन एक छोटा सा बोर्ड सड़क के किनारे लगाया गया है, जिसके आसपास इतने वाहन खड़े होते हैं कि वह दिखाई तक नहीं देता। इसके अलावा जिस पहाड़ी क्षेत्र में वह रहते हैं वहां उनके गांव तक जाने के लिए तो सड़क है, लेकिन इसके आगे घर तक जाने के लिए पक्का रास्ता नहीं है। मदद के लिए वह पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर स्थानीय प्रशासन से भी गुहार लगा चुका है, लेकिन शहीद के घर तक पहुंचने के लिए मुश्किल से सौ मीटर का रास्ता भी नहीं बनाया जा सका।  

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