छह माह के भीतर सेना ने लिया औरंगजेब व इम्तियाज की शहादत का बदला

छह माह के भीतर सेना ने अपने जांबाज सिपाही औरंगजेब व सब इंस्पेक्टर इम्तियाज अहमद मीर की शहादत का बदला ले लिया है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 12:21 PM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 12:22 PM (IST)
छह माह के भीतर सेना ने लिया औरंगजेब व इम्तियाज की शहादत का बदला
छह माह के भीतर सेना ने लिया औरंगजेब व इम्तियाज की शहादत का बदला

नवीन नवाज, जम्मू। सेना ने एक शहीद के पिता से किया अपना वादा पूरा कर दिया है। छह माह के भीतर सेना ने अपने जांबाज सिपाही औरंगजेब और राज्य पुलिस के सीआइडी विंग के सब इंस्पेक्टर इम्तियाज अहमद मीर की शहादत का बदला ले लिया है। शनिवार को पुलवामा मुठभेड़ में मारा गया हिज्ब का मोस्ट वांटेड आतंकी जहूर अहमद ठोकर उर्फ मेजर उर्फ जहूर फौजी 55 आरआर के सिपाही औरंगजेब और इम्तियाज की हत्याओं का जिम्मेदार था।

औरंगजेब को जहूर ठोकर व उसके साथियों ने इसी साल जून में पुलवामा से अगवा कर यातनाएं देकर मार दिया था, जब वह ईद मनाने अपने घर पुंछ जा रहा था। आतंकियों ने उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया था। इसके बाद पुंछ में रहने वाले औरंगजेब के पूर्व सैनिक पिता मोहम्मद हनीफ ने एलान किया था कि अगर उसके बेटे के हत्यारों को नहीं मारा गया तो वह बंदूक उठा लेगा। इसपर सेना ने औरंगजेब के पिता से वादा किया था कि हत्यारे बख्शे नहीं जाएंगे। शनिवार को पुलवामा में जब मुठभेड़ शुरू हुई तो औरंगजेब का हत्यारा जहूर ठोकर सेना के सामने था। सुरक्षाबलों ने बिना कोई पल गंवाए ठोकर को उसके दो साथियों समेत ढेर कर दिया। यह संयोग ही रहा कि औरंगजेब को पुलवामा में मारने वाला उसका हत्यारा भी वहीं मारा गया।

हमारे दिल को सुकून मिला

पुंछ की मेंढर तहसील के सलानी गांव में रहने वाले औरंगजेब के पिता व पूर्व सैनिक मोहम्मद हनीफ ने कहा कि हमने भी सुना है कि मेरे बेटे के हत्यारों को सेना ने मार गिराया है। इससे हमारे दिल को सुकून मिला है, लेकिन पूरा सुकून तब मिलेगा जब कश्मीर से आतंकवाद का पूरी तरह सफाया हो जाएगा और कश्मीरी पंडित परिवार वापस घाटी में आएंगे।

ठोकर पर था 10 लाख का इनाम

सुरक्षाबलों ने आतंकी जहूर ठोकर के पकड़े जाने या मारे जाने पर 10 लाख का इनाम घोषित कर रखा था। उसने ही पुलवामा और आसपास के सुरक्षाबलों की टुकडि़यों पर घात लगाकर हमले करने की साजिश शुरू की थी। इसके अलावा उसने पुलवामा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक गुलाम मोहिउदीन पर भी हमला किया था। हमले में नेकां नेता तो बच गए, लेकिन उनका एक अंगरक्षक मारा गया था।

आतंक का एक और अध्याय समाप्त

आतंकी जहूर ठोकर की मौत के साथ ही दक्षिण कश्मीर में आतंक का एक और अध्याय समाप्त हो गया है। जहूर की मौत को हिज्ब के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बता दें कि जुलाई 2017 को जहूर उत्तरी कश्मीर में स्थित सेना की टेरीटोरियल आर्मी के शिविर से जब राइफल लेकर फरार हुआ था तो उसके घरवालों को समझ में नहीं आया कि वह आतंकियों की जमात में क्यों चला गया है।

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