जम्मू-कश्मीर : पहले किया आतंकवाद का सफाया अब सेना बांट रही लौ, किश्तवाड़ के मारवाह इलाके को रोशन कर रही सेना

जम्मू-कश्मीर के कुछ सबसे कठिन क्षेत्रों में से एक किश्तवाड़ में मारवा घाटी है यहां बिजली की आपूर्ति टेलीफोन / मोबाइल संचार शीतकालीन अलगाव चिकित्सा सुविधाओं की कमी के बिना दो दर्जन से ज्यादा गांव 22 हजार से अधिक लोगों की आबादी की मुश्किलें बहुत हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Fri, 21 Jan 2022 06:33 PM (IST) Updated:Fri, 21 Jan 2022 06:33 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर : पहले किया आतंकवाद का सफाया अब सेना बांट रही लौ, किश्तवाड़ के मारवाह इलाके को रोशन कर रही सेना
स्थानीय 11 राष्ट्रीय राइफल्स इकाई ने 1500 गरीब घरों में सोलर लैंप का वितरण किया है।

किश्तवाड़, बलबीर सिंह जम्वाल : नब्बे के दशक में आतंकियों का गढ़ रहे किश्तवाड़ के मारवाह इलाके को न सिर्फ सेना ने आतंकवार मुक्त करवाया है बल्कि विकास में पिछड़े इस इलाके को अब सेना रोशन कर रही है।कभी जिस आतंकियों में आतंकियों की तूती बोलती थी, वहां अब सेना की मदद से लोग खुशहाल जीवन जी रहे हैं और अब उन लोगों की जिंदगी को रोशन करने के लिए सेना ने वहां पंद्रह सौ परिवारों को सोलर लैंप भेंट किए हैं ताकि बच्चे रोशनी में पढ़ सकें और महिलाएं घर का काम कर सकें।

जम्मू-कश्मीर के कुछ सबसे कठिन क्षेत्रों में से एक किश्तवाड़ में मारवा घाटी है यहां बिजली की आपूर्ति, टेलीफोन / मोबाइल संचार, शीतकालीन अलगाव, चिकित्सा सुविधाओं की कमी के बिना दो दर्जन से ज्यादा गांव, 22 हजार से अधिक लोगों की आबादी की मुश्किलें बहुत हैं। नवापाची में भारतीय सेना का शिविर इन लोगों की सेवा मैं हमेशा आगे रहता है क्योंकि सेना हर समय सभी आपदाओं और समस्याओं में उनकी मदद के लिए आती है। मारवाह इलाके के घरों को रोशन करने की दिशा में भारतीय सेना का प्रोजेक्ट सनशाइन वरदान बनकर आया है।

स्थानीय 11 राष्ट्रीय राइफल्स इकाई ने 1500 गरीब घरों में सोलर लैंप का वितरण किया है। इसमेें महिलाएं काम करने में सक्षम हैं, बच्चे पढ़ने में सक्षम हैं। यह महत्वपूर्ण है लेकिन इस इलाके की समस्याओं को हल करने के लिए, बहुत कुछ वांछित है।, किश्तवाड़ से सड़क संपर्क स्थापित करना, बिजली की लाइन बिछाना, स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना जरूरी है। इलाके में सड़क सुविधा नाम मात्र है गर्मियों में संथंन टॉप की सड़क खुलने के बाद दो या तीन महीने इस इलाके में गाड़ी चलती है उसके बाद कुछ समय के लिए अनंतनाग से होकर जाना पड़ता है, लेकिन जब बर्फबारी हो जाती है तो यह इलाका पूरी तरह से दुनिया से कट जाता है।

सुविधाओं के नाम पर खानापूर्ति :  सुविधाओं के नाम पर सरकार ने इस इलाके में खानापूर्ति की है हालांकि माडवा को सब डिवीजन का दर्जा दिया गया है लेकिन लोगों को जरूरत के मुताबिक सहुलियत नहीं मिलती। सर्दियों में तो यह लोग अपने घरों में ही बंद होकर रह जाते हैं जहां एक तरफ सरकारें यह दावा कर रही हैं कि हमने दूरदराज के हर गांव में बिजली पहुंचाने का काम किया है लेकिन मारवा जैसा इलाका आज भी अंधेरे में है। सरकार ने सोलर लाइटें लगाने का काम शुरू किया था लेकिन वह भी कामयाब नहीं हो पाया लोगों को अंधेरे में ही अपना जीवन बसर करना पड़ता है। आज के जमाने में भी बच्चे लालटेन की लौ मे अपनी पढ़ाई करते हैं और महिलाएं लालटेन के सहारे ही घर के कामकाज में करती है।

सेना ने यहां पर सोलर लाइट वितरित की जिसके चलते लोगों में काफी खुशी की लहर है और सेना के प्रति सम्मान। मोहम्मद रमजान ने बताया कि हमारा इलाका किसी समय आंतंकवादियों का गढ़ माना जाता था और यहां पर चलना फिरना भी दुश्वार था लेकिन 1994 के बाद यहां पर जब राष्ट्रीय राइफल में आकर इलाके को अपने कब्जे में लिया और धीरे-धीरे करके आतंकवाद का पूरी तरह से सफाया किया आतंकवाद का सफाया ही नहीं यहां के लोगों का दुख दर्द भी सेना ने समझा। किसी भी मुसीबत में सेना ने यहां के लोगों का पूरा साथ दिया चाहे बच्चों की पढ़ाई लिखाई का मामला हो बेरोजगारी का मामला हो या चिकित्सा, हर तरीके से सेना यहां के लोगों की मदद करती रहती है। हम लोग अंधेरे में रह रहे थे इसके चलते सेना ने हमें हर घर को एक-एक सोलर लाइट देकर हमारे घरों को रोशन किया है हम भारतीय सेना बहुत आभारी हैं।

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