त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में रहेंगे मतदान केंद्र

राज्य ब्यूरो, जम्मू : सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में सेना-सुरक्षाबलो

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 01:16 AM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 01:16 AM (IST)
त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में रहेंगे मतदान केंद्र
त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे में रहेंगे मतदान केंद्र

राज्य ब्यूरो, जम्मू : सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील अनंतनाग संसदीय क्षेत्र में सेना-सुरक्षाबलों में बेहतर समन्वय से मतदान को कामयाब बनाया जाएगा।

आतंकवादियों, अलगाववादियों पर भारी दवाब बनाकर चुनाव को कामयाब बनाने की रणनीति के तहत संसदीय क्षेत्र में अगले तीन चरणों में मतदान होना है। मंगलवार 23 अप्रैल को संसदीय क्षेत्र के सिर्फ अनंतनाग जिले में ही मतदान होगा। जिले में 714 मतदान केंद्रों में 642 अति संवेदनशील हैं तो 72 संवेदनशील हैं। इन सभी मतदान केंद्रों पर त्रिस्तरीय सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त रहेंगे।

सुरक्षा बल इन मतदान केंद्रों की सुरक्षा को लेकर सोमवार से ही हाई अलर्ट रहेंगे। वे सोमवार से मतदान केंद्रों में जिम्मेदारी संभाल लेंगे। मतदान के दौरान हालात बिगड़ने की स्थिति में फौरन सेना को बुला लिया जाएगा। बनाए गए सिक्योरिटी प्लान के तहत क्षेत्र में अतिरिक्त रोड ओपनिंग पार्टियों की तैनाती के साथ क्विक रिएक्शन टीमों की संख्या भी बढ़ाई गई। कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगाने के साथ कुछ संवेदनशील इलाकों में ट्रैफिक रूट भी बदले जाएंगे।

कश्मीर में अनंतनाग संसदीय सीट के लिए 23 अप्रैल, 29 अप्रैल व छह गई को मतदान होना है। ऐसे में क्षेत्र में सुरक्षा को पुख्ता बनाने के लिए जम्मू संभाग से सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां वहां पहुंच गई हैं। जम्मू से 80 अतिरिक्त कंपनियों के वहां पहुंचने की प्रक्रिया इस समय जारी है। जम्मू से रवाना हुए ये अतिरिक्त सुरक्षा कर्मी पहले कश्मीर के अनंतनाग, उसके बाद 29 अप्रैल को कुलगाम व फिर 6 मई को शेपियां -पुलवामा में मतदान की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।

अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के चार हिसाग्रस्त जिलों अनंतनाग, शोपियां, कुलगाम व पुलवामा में चुनाव करवाना एक बहुत बड़ी सुरक्षा चुनौती है। वर्ष 2016 में दक्षिण कश्मीर में हिज्ब के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद से इन जिलों में हिसा भड़काने के लिए अलगाववादियों की साजिशों के साथ आतंकवादी भी बड़ी वारदातें करते आए हैं। इनमें पुलवामा फिदायीन हमला भी शामिल है। इस बार भी आतंकवादियों की ओर से चुनाव विरोधी धमकियां जारी की जा रही हैं। इसके साथ अलगाववादियों की ओर से भी लोगों को हिदायत दी गई है कि वे कश्मीर में मतदान से दूर रहें।

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2016 से खाली है अनंतनाग संसदीय सीट

अनंतनाग संसदीय सीट वर्ष 2016 से खाली पड़ी है। सुरक्षा कारणों से इस संसदीय सीट को भरने के लिए उपचुनाव करवाना संभव नहीं हो पाया था। इस संसदीय सीट से वर्ष 2014 में सांसद बनी महबूबा मुफ्ती ने अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद मुख्यमंत्री बनने के लिए यह सीट जून 2016 में खाली कर दी थी। तीन सालों से यह सीट खाली पड़ी हुई है। भारतीय चुनाव आयोग ने वर्ष 2017 में इस संसदीय सीट के लिए मतदान करवाने की तैयारी की थी। उस समय की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग के बिगड़े सुरक्षा हालात का हवाला देकर चुनाव टालने की पैरवी की थी। ऐसे में उपचुनाव संभव नहीं हो पाया। उस समय उपचुनाव में पीडीपी प्रधान महबूबा मुफ्ती ने अपने छोटे भाई तस्सद्दुक मुफ्ती को चुनाव में उतारा था तो कांग्रेस से प्रदेश अध्यक्ष जीए मीर चुनाव में मैदान थे।

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