जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन के लिए सभी पार्टी लगा रहे अपना जोर

जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन के लिए सभी पार्टी लगा रहे अपना जोर, कांग्रेस पास 12 विधायक हैं, पीडीपी पास 28 विधायक। सरकार बनाने को 44 विधायक चाहिए।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 06 Jul 2018 09:28 AM (IST) Updated:Fri, 06 Jul 2018 02:42 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन के लिए सभी पार्टी लगा रहे अपना जोर
जम्मू-कश्मीर में सरकार के गठन के लिए सभी पार्टी लगा रहे अपना जोर

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के गिरने के बाद जारी राजनीतिक असमंजस के बीच वीरवार को पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और पीडीपी के वरिष्ठ नेता डॉ. हसीब द्राबू की नई दिल्ली में मुलाकात हुई। अपने संगठन में विभाजन को टालने के लिए प्रयासरत पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से बैठक ने राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर विभिन्न दलों में जारी जोड़तोड़ की अटकलों को और हवा दे दी है। इस बीच, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के एक और विधायक अब्दुल मजीद पडर ने निकट भविष्य में पार्टी छोड़ने का संकेत दिया है।

हालांकि, सज्जाद गनी लोन या डॉ. द्राबू ने अपनी बैठक की कोई पुष्टि नहीं की है और न महबूबा की पूर्व प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात पर पीडीपी की तरफ से कोई अधिकारिक बयान आया है। लेकिन इन दोनों ही घटनाक्रम को रियासत के सियासी परिदृश्य में बहुत अहम माना जा रहा है।

राज्य में जारी सियासी अटकलों में पहले ही कहा जा रहा है कि पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन को आगे रखते हुए भाजपा जल्द ही नई सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। इस सिलसिले में पीडीपी के कई बागी विधायकों के साथ भी संपर्क साधा जा रहा है। पीडीपी के 14 विधायकों द्वारा अलग गुट बनाने और भाजपा के साथ सरकार बनाने के दावों के बीच पूर्व वित्तमंत्री डॉ. हसीब द्राबू की सज्जाद गनी लोन से मुलाकात को अहम माना जा रहा है। अप्रैल में महबूबा द्वारा मंत्रिमंडल से निकाले जाने के बाद डॉ. द्राबू ने पीडीपी तो नहीं छोड़ी, लेकिन संगठनात्मक गतिविधियों से खुद को पूरी तरह दूर कर लिया था।

सूत्रों ने बताया कि द्राबू और लोन के बीच बैठक नई दिल्ली स्थित होटल ताज में हुई है। बैठक में पीडीपी के एक एमएलसी भी शामिल थे। लोन से मुलाकात के लिए डॉ. द्राबू गुरुवार को मुंबई से दिल्ली पहुंचे थे। बताया जाता है कि दोनों ने राज्य के मौजूदा सियासी परिदृश्य और आगे की संभावनाओं पर विचार विमर्श किया है।

इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा नई दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से करीब आधा घंटा बातचीत हुई है। संभावना है कि महबूबा शुक्रवार या शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके पुत्र राहुल गांधी से भी मुलाकात कर पीडीपी व कांग्रेस के बीच राजनीतिक गठजोड़ की जमीन तैयार करने जा रही हैं।

स्थानीय सियासी विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह से पीडीपी में लगातार बागी सुर मुखर हो रहे हैं, ऐसे हालात में अपने संगठन को एकजुट रखने के लिए महबूबा को मौजूदा परिस्थितियों में कांग्रेस का सहारा सबसे ज्यादा जरूरी है। कांग्रेस के साथ अगर समझौता होता है तो वह राज्य में दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती हैं, क्योंकि उनकी पार्टी के अधिकांश विधायक मौजूदा परिस्थितियों में चुनाव नहीं चाहते।

सरकार बनाने के लिए चाहिए 44 विधायक

कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं, जबकि पीडीपी के पास 28 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए 44 विधायक चाहिए। ऐसी स्थिति में ऊधमुपर के निर्दलीय विधायक के अलावा निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद, माकपा विधायक मोहम्मद युसुफ तारीगामी और पीडीपीएफ विधायक हकीम मोहम्मद यासीन के समर्थन से सरकार बनाई जा सकती है।

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