संसदीय चुनाव परिणाम देख जम्मू-कश्मीर में फिर गठबंधन सरकार के आसार

सेंट्रल कश्मीर के अंतर्गत श्रीनगर-बडग़ाम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 15 विधानसभा क्षेत्रों में नेशनल कांफ्रेंस ने हर सीट जीती है।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Mon, 27 May 2019 11:22 AM (IST) Updated:Mon, 27 May 2019 11:22 AM (IST)
संसदीय चुनाव परिणाम देख जम्मू-कश्मीर में फिर गठबंधन सरकार के आसार
संसदीय चुनाव परिणाम देख जम्मू-कश्मीर में फिर गठबंधन सरकार के आसार

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव जल्द करवाने की मांग के बीच संपन्न हुए संसदीय चुनावों के परिणाम को अगर पैमाना बनाया जाए तो राज्य में अगली बार भी खिचड़ी सरकार ही होगी। किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त होता नहीं दिख रहा है। 87 विधानसभा क्षेत्रों वाली जम्मू कश्मीर में किसी भी दल को अपने दम पर सरकार बनाने के लिए 44 विधायक चाहिए। संसदीय चुनाव परिणाम को देखकर कहा जा सकता है कि नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, कांग्रेस और भाजपा, जिसे भी सरकार बनानी होगी, बैसाखियों का सहारा लेना पड़ेगा।

जम्मू कश्मीर में जून 2018 से राज्यपाल शासन लागू हुआ था और उसके बाद 20 दिसंबर 2018 से राष्ट्रपति शासन लगा। राज्य में विभिन्न राजनीतिक दल जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव करवाने की मांग कर रहे हैं। सामान्य परिस्थितियों में विधानसभा को भंग किए जाने के छह माह के भीतर नए चुनाव करवाने होते हैं, लेकिन चुनाव आयोग हालात व विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन को बढ़ाने और विधानसभा चुनाव कुछ और समय के लिए स्थगित करने का निर्णय ले सकता है।

मौजूदा संसदीय चुनावों के परिणाम के आधार पर वोट बांटे जाएं तो राज्य के 87 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने 28, नेकां ने 31, कांग्रेस ने 17, इंजीनियर रशीद पांच, पीपुल्स कांफ्रेंस दो, पीडीपी तीन, और एक अन्य ने जीत दर्ज की है। राज्य में सरकार बनाने के लिए 44 का आंकड़ा चाहिए। वर्ष 2019 के संसदीय चुनावों के परिणाम के आधार अगर विभिन्न राजनीतिक दलों की स्थिति का आकलन किया जाए तो पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी कश्मीर घाटी की कुल 46 सीटों में से तीन पर ही आगे है। वह दक्षिण कश्मीर के बिजबिहाड़ा, पुलवामा और राजपोरा विधानसभा क्षेत्र में आगे रही है। अन्य सभी जगहों पर वह दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर पर रही है। कांग्रेस दक्षिण कश्मीर में पांच विधानसभा क्षेत्रों डुरू, शांगस, अनंतनाग, कोकरनाग और देवसर में जीती है। नेशनल कांफ्रेंस यहां से सात सीटों पर जीती है।

सेंट्रल कश्मीर के अंतर्गत श्रीनगर-बड़गाम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 15 विधानसभा क्षेत्रों में नेशनल कांफ्रेंस ने हर सीट जीती है। चार विधानसभा क्षेत्रों में सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कांफ्रेंस के इरफान रजा अंसारी दूसरे नंबर पर रहे हैं। पीडीपी 11 सीटों पर दूसरे नंबर पर और चार पर तीसरे नंबर पर रही है। कश्मीर में भाजपा किसी भी सीट पर आगे नहीं रही है। श्रीनगर संसदीय सीट पर नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जीत दर्ज की है। उत्तरी कशमीर में निर्दलीय इंजीनियर रशीद पांच विस सीटों पर और दो सीटों पर पीपुल्स कांफ्रेंस आगे रही है और आठ पर नेकां आगे है।

संसदीय चुनावों में मिले वोट बांटें तो किसे कितनी विधानसभा सीटें मिलेंगी  नेकां 31 भाजपा 28 कांग्रेस 17 इंजीनियर रशीद 05 पीडीपी 03 पीपुल्स कांफ्रेंस 02 अन्य 01

जम्मू संभाग: कुल 37 सीटों में से जम्मू पुंछ संसदीय क्षेत्र में भाजपा को 15 विधानसभा सीटें मिली हैं। ऊधमपुर संसदीय क्षेत्र की 17 में 10 सीटों पर भाजपा आगे रही है। उधर लद्दाख संभाग की चार विस सीटों में से भाजपा उम्मीदवार जामयांग नांग्याल ने लेह, नोब्रा और जंस्कार में बढ़त ली है। जबकि जम्मू संभाग की किश्तवाड़, इंद्रवल, डोडा, भद्रवाह, बनिहाल, गूल-अरनास व गुलाबगढ़ समेत सात क्षेत्रों में कांग्रेस आगे है।

कश्मीर संभाग: कुल 46 सीटों में से नेकां 31 पर आगे रही है। तीन पर पीडीपी, पांच पर निर्दलीय इंजीनियर रशीद की पार्टी अवामी इत्तेहाद, दो पर पीपुल्स कांफ्रेंस और पांच पर कांग्रेस आगे रही है।

2014 में किसकी कितनी सीटें पीडीपी 28 भाजपा 25 नेशनल कांफ्रेंस 15 कांग्रेस 12 माकपा 1 पीपुल्स कांफ्रेंस 2 पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट 1 निर्दलीय 3

कांग्रेस के लिए आसान नहीं राह

जम्मू, सतनाम सिंह। लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर खाता खोलने में विफल रही कांग्रेस के कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव की भी राह आसान रहने वाली नहीं है। लगातार तीसरे चुनावी झटके से कार्यकर्ताओं का हौसला भी पस्त दिख रहा है। 2014 लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस शून्य पर सिमट गई थी। विधानसभा चुनाव में पार्टी खास नहीं कर पाई थी। अब फिर से विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, ऐसे में चुनौती है कि पार्टी क्या चार माह में अपने खोए जनाधार को वापस ला पाएगी। यह ऐसा सवाल है जिसका जवाब पार्टी नेताओं के पास भी नहीं है।

पार्टी के सामने अपना आधार मजबूत करने, कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की चुनौती है। इसके अभाव में जमीनी सतह पर कैडर की कमी दिख रही है और नेताओं, कार्यकर्ताओं का अन्य पार्टियों की ओर पलायन बढ़ रहा है। लोकसभा चुनाव में पार्टी हाईकमान ने भी राज्य इकाई को उसके हाल पर छोड़ दिया और कोई भी नेता प्रचार के लिए नहीं आया। जम्मू संभाग की दोनों सीटें तो पार्टी ने गंवाई ही, पार्टी के प्रदेश प्रधान जीए मीर भी अनंतनाग से चुनाव हार गए। वर्तमान हालात में कांग्रेस का विधानसभा चुनाव के लिए कारगर रणनीति बनाना कठिन काम है। बताते चलें कि कांग्रेस ने साल 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में 12 सीटें जीती थीं। जम्मू जिले से पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी। लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी हाईकमान भी उलझी है ऐसे में प्रदेश नेतृत्व की नजरें भी हाईकमान पर लगी हैं। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रङ्क्षवद्र शर्मा का कहना है कि इसमें शक नहीं है कि पार्टी के नतीजे निराशाजनक आए हैं। पार्टी अपनी बुनियादी नीतियों में बदलाव करेगी। लोगों की भावनाओं को समङोगी। जल्द ही प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारी समिति की बैठक होगी जिसमें हार के कारणों पर मंथन किया जाएगा।

नेकां-पीडीपी का समर्थन न होता तो क्या होता: लोकसभा चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के समर्थन के बूते कांग्रेस जम्मू संभाग के मुस्लिम बहुल 12 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा से बेहतर रही। जम्मू पुंछ सीट के पांच विधानसभा क्षेत्रों और ऊधमपुर डोडा संसदीय सीट की सात विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने बढ़त बनाई है। अगर नेशनल कांफ्रेंस या पीडीपी ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे होते तो कांग्रेस के लिए बढ़त बनाना आसान नहीं था। विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी का गठबंधन होने की संभावना नहीं दिख रही, ऐसे में कांग्रेस के मुश्किलें और बढऩे वाली हैं। कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस ने तीन सीटें जीत कर अपने आप को मजबूत कर लिया है।

साल 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों का ब्योरा

कश्मीर संभाग - सोपोर - बांडीपोरा - देवसर - शंगस

जम्मू संभाग - गूल अरनास - गुलाबगढ़ - इंद्रवाल - बनिहाल - सुरनकोट

लद्दाख - लेह - नुबरा - कारगिल 

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