जम्मू में भी फाल आर्मीवार्म कीट की दस्तक, मढ़ के परवाह गांव से बंद गोभी की फसल मिला यह कीट

अफ्रीका में फसलों पर तबाही मचाने वाले फाल आर्मीवार्म (एफएडब्ल्यू)कीट जोकि देश के 11 राज्यों में अपनी उपस्थित दर्ज करा चुका है की अब जम्मू में भी दस्तक हो गई है। इसके नमूने शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के साथ सांझे किए।

By VikasEdited By: Publish:Sun, 29 Nov 2020 02:04 PM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2020 02:04 PM (IST)
जम्मू में भी फाल आर्मीवार्म कीट की दस्तक, मढ़ के परवाह गांव से बंद गोभी की फसल मिला यह कीट
अफ्रीका में फसलों पर तबाही मचाने वाले फाल आर्मीवार्म देश के 11 राज्यों में अपनी उपस्थित दर्ज करा चुका है

जम्मू, जागरण संवाददाता । अफ्रीका में फसलों पर तबाही मचाने वाले फाल आर्मीवार्म (एफएडब्ल्यू)कीट जोकि देश के 11 राज्यों में अपनी उपस्थित दर्ज करा चुका है, की अब जम्मू में भी दस्तक हो गई है। प्लांट हेल्थ क्लीनिक के वैज्ञानिकों ने मढ़ के परवाह गांव से बंद गोभी की फसल पर इन कीट को पाया और इसके नमूने शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के साथ सांझे किए।

स्कास्ट के डा. उमा शंकर ने पहचान कर सत्यापित किया कि यह वहीं फाल आर्मीवार्म कीट है। फसलों पर तबाही मचाने वाले इस कीट की उपस्थित के बाद कृषि विभाग चौकन्ना हो गया है। हालांकि कीट की संख्या ज्यादा नही होने से इससे क्षति का स्तर कम दिख रहा है। लेकिन यह कीट शीघ्रता से अंडे देते जाते हैं और कीट की फौज तैयार होती जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चूंकि सर्दी का सीजन आ रहा है और ऐसे में इन कीटों के लंबे समय तक जीवत रहने की संभावना नही। फिर भी कृषि विभाग पूरी नजर रख रहा है। मामले को लेकर विभाग गंभीर हो गया है। भारत में यह कीट 2018 में कर्नाटक में दिखा था और उसके बाद कई राज्यों में उसकी उपस्थित दिखने लगी। जम्मू में यह कीट पहली बार दिखा, इस कीट के दिखने के बाद अध्ययन का सिलसिला तेज हो गया है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक बीके चंदन का कहना है कि प्लांट हेल्थ क्लीनिक व फील्ड में कार्यरत कृषि विभाग के अधिकारी पूरे मामले में नजर रखा रहा है और पता लगा रहा है कि कहीं यह कीट और क्षेत्रों में तो नही आया।

क्या है यह कीटफाल आर्मीवार्म (एफएडब्ल्यू) कीट

आमतौर पर मक्की की फसल पर आता है। लेकिन यह चारा, ज्वार, बाजरा पर भी दिखा है। यह कीट अंडे से लारवा, पयूपा जैसी छह प्रक्रिया से गुजर कर परिपक्क होता है। परिपक्क होने पर यह उड़ते फिरते हैं।यह कीट पौधे के पत्ते खा जाते हैं। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक बीके चंदन का कहना है कि लारवा स्टेज सबसे ज्यादा खतरनाक होती है जब यह फसलों का बड़े तौर पर नुकसान करता है। कीट का अग्रभाग ऐसे ही दिखता है जैसे अंग्रेजी का वाई शब्द। वहीं पिछले हिस्से में काले धब्बे नजर आते हैं। 

कीट  प्रबंधन के लिए दवा का नुस्खा दिया गयाप्लांट प्रोटेक्शन आफिसर जम्मू देवेंद्र शर्मा व प्लांट हेल्थ क्लीनिक के इंचार्ज अरुण खजूरिया का कहना है कि कीट प्रबंधन के लिए नीति बनाइ्र गई। जरूरी दवा के छिड़काव के लिए दिशा निर्देश दिए गए हैं। वहीं प्रभावित क्षेत्र में किसानों ने फसलों पर छिड़काव भी किया है। कृषि विभाग व प्लांट हेल्थ क्लीनिक पूरे मामले पर नजर रखे हुए है।

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