जम्मू के अस्पतालों में पर्याप्त आक्सीजन, कोविड मरीजों के लिए बिस्तरों की संख्या भी बढ़ी

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट और जीएमसी जम्मू में आक्सीजन के प्रभारी डा. हरजीत राय का कहना है कि महामारी के कारण पैदा हुए हालात में जम्मू संभाग में आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। कोई भी मरीज आक्सीजन की सप्लाई के कारण परेशान न हो।

By Vikas AbrolEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 09:03 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 09:03 PM (IST)
जम्मू के अस्पतालों में पर्याप्त आक्सीजन, कोविड मरीजों के लिए बिस्तरों की संख्या भी बढ़ी
जम्मू में आक्सीजन की सुविधा वाले बिस्तरों की संख्या को बहुत अधिक बढ़ाया गया है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो । सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट और जीएमसी जम्मू में आक्सीजन के प्रभारी डा. हरजीत राय का कहना है कि महामारी के कारण पैदा हुए हालात में जम्मू संभाग में आक्सीजन की कोई कमी नहीं है। हमारा प्रयास है कि कोई भी मरीज आक्सीजन की सप्लाई के कारण परेशान न हो। उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि जम्मू के किसी भी अस्पताल में आक्सीजन की कमी नहीं है।

डा. हरजीत राय ने कहा कि कुछ दिनों में जम्मू में आक्सीजन की सुविधा वाले बिस्तरों की संख्या को बहुत अधिक बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि जीएमसी जम्मू में लिक्विड आक्सीजन प्लांट की क्षमता ही 20 हजार किलो लीटर की है। इसे पिछले वर्ष स्थापित किया गया था। वहीं 1200 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाला आक्सीजन जेनरेशन प्लांट भी लगाश्या गया है। इससे गैर कोविड मरीजों को आक्सीजन सप्लाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि लिक्विड आक्सीजन प्लांट और आक्सीजन मैनिफोल्ड से गंभीर रूप से बीमार मरीजों के वार्ड, हाई डिपैेंडेसी वार्ड, आइसोलेशन वार्ड, सीसीयू और वार्ड नंबर तीन में आक्सीजन सप्लाई की जा रही है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल ही सरकार ने कई अस्पतालों के लिए आक्सीजन प्लांट मंजूर करने को इजाजत दे दी थी। जम्मू के सीडी अस्पताल, गांधीनगर अस्पताल, मेडहिकल कॉलेज जम्मू में आक्सीजन जेनरेशन प्लांट ने काम करना शुरू कर दिया है। मेडिकल कॉलेज कठुआ, जिला अस्पताल सांबा, जिला अस्पताल रियासी में भी इसी तरह के प्लांट स्थापित किए गए हें। इस समय हम तीन हजार सिलेंडर एक दिन में भर सकते हें। उन्होंने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर में आक्सीजन की क्षमता 10 मीट्रिक टन थी लेकिन अब केंद्र की सहायता से यह बढ़कर 35 मीट्रिक टन हो गई है।

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