Jammu Kashmir: लश्कर का आतंकी सुबूतों के अभाव में बरी, पहले भी हो चुके हैं कई आतंकी रिहा

यह पहला मामला नहीं है। वर्ष 2001 आैर 2002 में हुई आतंकी वारदात में शामिल करीब पांच आतंकवादियों को भी इसी तरह सबूतों के अभाव के कारण रिहा करना पड़ा था।

By Rahul SharmaEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 12:13 PM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 12:13 PM (IST)
Jammu Kashmir: लश्कर का आतंकी सुबूतों के अभाव में बरी, पहले भी हो चुके हैं कई आतंकी रिहा
Jammu Kashmir: लश्कर का आतंकी सुबूतों के अभाव में बरी, पहले भी हो चुके हैं कई आतंकी रिहा

जम्मू, जेएनएन। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दुर्दांत आतंकी को अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के चौकीबल का रहने वाला अब्दुल मजीद चीची को बरी करने से पहले श्रीनगर के अतिरिक्त सेशन जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले से जुड़े तथ्यों को पेश करने में विफल रहा।

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों जिसमें आरोपित से बरामद हथगोले और कारतूसों की बैलेस्टिक एक्सपर्ट से जांच नहीं करवाई, जिससे पता चलता कि क्या यह जीवित ग्रेनेड थे। इतना ही नहीं चालान के साथ ऐसा कोई दस्तावेज भी नहीं लगाया गया, जिससे यह पता चल सके कि हथियार और गोलाबारूद की जांच बैलेस्टिक एक्सपर्ट से करवाई गई।

अदालत ने कहा कि मामले में केवल पांच गवाह हैं, जिनमें से दो को ही कोर्ट में पेश किया गया। बाकी के तीन गवाहों को कोर्ट में पेश ही नहीं किया गया। मामले में महत्वपूर्ण गवाह खालिद हुसैन को बुलाया ही नहीं गया, जिससे मामले में लीपापोती साफ दिखती है। अदालत ने तमाम साक्ष्यों को देखते हुए आरोपित को बरी कर दिया।

29 लोगों की जान लेने वाला पाकिस्तानी आतंकी भी कर दिया गया रिहा

यह कोई पहला मामला नहीं है जब साक्ष्यों के अभाव में किसी आतंकी को रिहा कर दिया गया। गत माह शहर के बाहरी क्षेत्र राजीव नगर (रैका के जंगल) में वर्ष 2002 में हुई आतंकी वारदात में शामिल पाकिस्तानी नागरिक को भी मुख्य न्यायाधीश सांबा ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। यही नहीं कोर्ट ने राज्य सरकार को पाकिस्तानी नागरिक को उसके देश वापिस भेजने की कार्रवाई करने को भी कहा। यही नहीं यह आदेश देते हुए कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की कार्य प्रणाली पर गंभीर प्रश्न चिन्ह भी लगाए थे। हद तो यह है कि जिस आतंकी को साक्ष्यों के अभाव में छोड़ दिया गया उस आतंकी वारदात में 29 लोगों (अधिकतर प्रवासी श्रमिक थे) को जान से हाथ धोना पड़ा था जबकि 30 लोग घायल हो गए थे। मुठभेड़ में एक आतंकी को सुरक्षाबलों ने मार गिराया था और दूसरे आतंकी मोहम्मद अब्दुल्ला उर्फ अब्तल निवासी चक्क नंबर दो, कस्बा मदिल, मुल्तान, पाकिस्तान को जीवित पकड़ लिया था। इसी आतंकी वारदात में सब इंस्पेक्टर रणबीर सिंह भी शहीद हो गए थे।

चार कथिक आतंकियों के खिलाफ भी सबूत नहीं जुटा पाई थी पुलिस

इसके अलावा वर्ष 2005 में भी द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जम्मू को सुबूतों के अभाव में चार कथित आतंकवादियों को बरी करने के निर्देश जारी करने पड़े थे। अब्दुल रहीम वानी, बशीर अहमद, मलूक खान व मुहम्मद ताहिर पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप था, लेकिन जांच एजेंसी कोर्ट में यह आरोप साबित नहीं कर पाई। पुलिस केस के मुताबिक, 23 दिसंबर 2001 को शाम सात बजे नवाबाद पुलिस ने तालाब तिल्लो में पुंछ हाउस के निकट बिना नंबर की एक जिप्सी को रोका। जांच के दौरान ड्राइवर की सीट के नीचे से एक पैकेट बरामद हुआ जिसमें आरडीएक्स, एक हैंडग्रेनेड व डेटोनेटर थे। पुलिस ने गाड़ी में सवार चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया और पूछताछ के दौरान उन्होंने तवी नदी के निकट छिपाए गए अन्य हथियारों की जानकारी दी। पुलिस ने उनकी निशानदेही पर यह हथियार भी बरामद किए। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद इस केस का चालान पेश किया लेकिन ऐसा कोई ठोस सुबूत या गवाह पेश नहीं कर पाई, जिससे यह साबित हो सके कि बरामद हथियार आरोपियों के कब्जे या उनकी निशानदेही पर बरामद हुए। कोर्ट ने पाया कि पुलिस आरोपियों को अपराध के साथ जोड़ने में पूरी तरह से नाकाम साबित रही है। लिहाजा पुलिस की खामियों को उजागर करते हुए कोर्ट ने केस चालान खारिज कर चारों आरोपियों को बरी कर दिया था।

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