Kashmir Employment: जम्मू कश्मीर में बेरोजगारों के लिए नया साल लाएगा रोजगार की नई सुबह

Kashmir Employment एक विधान एक निशान और एक प्रधान से जम्मू कश्मीर में विकास की उम्मीद जगी है। नया साल विकास के साथ रोजगार की नई संभावनाओं की नई सुबह लेकर आएगा।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 02 Jan 2020 11:46 AM (IST) Updated:Thu, 02 Jan 2020 11:57 AM (IST)
Kashmir Employment: जम्मू कश्मीर में बेरोजगारों के लिए नया साल लाएगा रोजगार की नई सुबह
Kashmir Employment: जम्मू कश्मीर में बेरोजगारों के लिए नया साल लाएगा रोजगार की नई सुबह

जम्मू, ललित कुमार। एक विधान, एक निशान और एक प्रधान से जम्मू कश्मीर में विकास की उम्मीद जगी है। नया साल विकास के साथ रोजगार की नई संभावनाओं की नई सुबह लेकर आएगा। जम्मू-कश्मीर में मार्च-अप्रैल में होने वाले निवेशक शिखिर सम्मेलन इसी संभावनाओं की कुंजी है। इससे राज्य में लगभग पांच लाख बेरोजगारों की किस्मत टिकी है। केंद्र सरकार सम्मेलन के माध्यम से भारी निवेश करवाने की तैयारी में है। कई दशकों तक सत्ता में रहे कश्मीर हुक्मरानों के कारण शिक्षित युवा सबसे अधिक प्रभावित रहे। आतंकवाद पनपने का भी यही कारण था। केंद्र व जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पूरा ध्यान रोजगार पर है।

जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारों की संख्या जानने के लिए कोई ताजा सर्वेक्षण नहीं हुआ है लेकिन रोजगार व श्रम विभाग के आयुक्त एआर वॉर के अनुसार पिछले सर्वेक्षण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बेरोजगारों की संख्या पांच लाख होगी। विभाग की ओर से जुलाई 2019 में बेरोजगार पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं को इंप्लायमेंट एक्सचेंज के साथ पंजीकरण करवाने के लिए कहा था। 15 दिन की प्रक्रिया के दौरान राज्य के डेढ़ लाख पोस्ट ग्रेजुएट ने ब्यौरा इंप्लायमेंट एक्सचेंज में दर्ज करवाया था। इनमें काफी संख्या में एमफिल, एचडी, इंजीनियर और एमबीबीएस व बीडीएस शामिल रहे। जम्मू-कश्मीर में पहली बार यह प्रक्रिया आरंभ की गई थी जिसमें पोस्ट ग्रेजुएट युवाओं का आंकड़ा सामने आया। इससे पहले सरकार के पास बेरोजगार पीजी युवाओं का कोई आंकड़ा नहीं था।

जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी लगभग दोगुनी :

निजी क्षेत्र के अभाव में जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती गई। सरकारी नौकरियों के बाद कोई ऐसा क्षेत्र नहीं था जहां इतनी संख्या में युवाओं को रोजगार मिल पाता। राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी से आंकलन करे तो जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी लगभग दोगुना है। वर्ष 2016 में किए आर्थिक सर्वेक्षण में बेरोजगार युवाओं का आंकलन किया था जिसकी रिपोर्ट कहती है कि राष्ट्रीय स्तर पर 18 से 29 साल के आयु वर्ग में बेरोजगारों की संख्या जनसंख्या का 13.2 फीसद थी। जम्मू-कश्मीर में यह संख्या 24.6 फीसद है।

नए उद्योग के लिए अभी तक 17 से 18 हजार भूमि चिन्हित :

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद लगातार यह प्रयास हो रहे हैं कि बाहर से बड़े औद्योगिक घराने यहां आकर निवेश करें। इसके लिए एक ओर निवेशकों का सम्मेलन करने की तैयारी चल रही है, वहीं उद्योगों के लिए सरकारी भूमि का चयन किया जा रहा है। राज्य में अभी 17 से 18 हजार कनाल भूमि को चिन्हित भी कर लिया है। राज्य प्रशासन ने सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नरों से जगह का चयन करने के लिए पहले से निर्देश जारी किए हैं।

प्रशासन ने उद्योग स्थापित करने के लिए 17 से 18 हजार कनाल भूमि को चिन्हित किया है। इसमें से दस हजार कनाल भूमि जम्मू संभाग के दो जिलों जम्मू और सांबा में है। इसके अलावा गांदरबल और कुपवाड़ा में भी जगह चिन्हित की गई है। इसकी पुष्टि स्टेट इंडस्ट्रियश्ल डेवलपमेंट कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक रवींद्र कुमार ने भी की है। उनका कहना है कि सभी डिप्टी कमिश्नरों को प्रशासन ने जगह चिन्हित करने के लिए कहा है। जम्मू कश्मीर प्रशासन पहले ही यह साफ कर चुका है कि उनके पास पर्याप्त जगह है।

इन क्षेत्रों में हो सकता है निवेश

-जम्मू-कश्मीर में सेब उद्योग, सूखे मेवे, केसर, होटल और पर्यटन क्षेत्र में सबसे अधिक रूचि दिखाई जा रही है। लैमन ट्री समूह ने भी यहां पर होटल बनाने में रुचि दिखाई थी। इसके अलावा अन्य कई समूह भी यहां पर होटल बनाने में रूचि दिखा रहे हैं।

जम्मू कश्मीर में पहले नहीं खरीद सकते थे जमीन

जम्मू-कश्मीर में पहले अनुच्छेद 370 होने के कारण बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां पर जमीन नहीं खरीद सकता था। यहां सिर्फ स्टेट सब्जेक्ट) वाले लोग ही जमीन खरीद सकते थे। इस कारण यहां पर उद्योग नहीं लगे। अब उम्मीद है कि बाहरी राज्यों से कई बड़े औद्योगिक घराने राज्य में निवेश करेंगे जिससे रोजगार की संभावनाएं पैदा होगी।

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