1971 War 50th Anniversary: शहीदों के निशां तलाशे तो ताजा हो उठीं वीरगाथाएं, स्वर्णिम विजय मशाल यात्रा
1971 War 50th Anniversary अखनूर की वीरनारी कर्णतारो देवी का कहना है कि पति ने खेमकरण सेक्टर में दुश्मन से लड़ते हुए शहादत दी थी। अब विजय मशाल के घर पर कलेजे को ठंडक मिली है कि शहादतों को याद रखा जा रहा है।
विवेक सिंह, जम्मू : सेना ने अपने शहीदों के निशां तलाशे तो अतीत के पन्नों में लुप्त हो चुकीं वीरगाथाएं फिर ताजा हो उठी। जिक्र हो रहा है साल 1971 के भारत-पाक युद्ध स्वर्णिम विजय वर्ष का। इसके तहत सेना क विजय मशाल वीरों के घर तक पहुंच रही है। उनकी शहादत के किस्सों से हर कोई गर्व महसूस कर रहा है। जम्मू संभाग के कई जवानों ने शहादत दी हैं। जब उनकी वीरता के किस्से सुनाए जा रहे हैं कि स्वजन के साथ संबंधित क्षेत्र के लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। साथ ही युवाओं के फौजी बनने के जज्बे को बल मिल रहा है।
50 वर्र्षों में यह पहली बार है जब इस तरह से घर आकर सेना ने शहीदों की यादों को ताजा किया। जम्मू संभाग के कई वीरों ने देश के लिए शहादत दी है। वर्ष 71 के शहीदों की कई वीरनारियों की आयु 80 साल से ऊपर हैं। कइयों ने लंबे अरसे के बाद शोकेस में लगी दशकों पुरानी फोटो को हाथ में पकड़ कर पुराने दिनों को याद किया।
इनकी जांबाजी को सलाम : अखनूर के भलवाल के अशोक चक्र विजेता हवलदार सरकारी लाल, घौ मन्हासा के बोरी द्रैंक गांव के वीर चक्र विजेता लांस नायक मोहन लाल, राजौरी के थन्नामंडी के वीर चक्र विजेता मोहम्मद इकबाल मलिक के साथ पुंछ के हवलदार गुलाम मोहम्मद, अखनूर क्षेत्र के सिंदूरी लाल, गुल्लू राम, साहिब सिंह व बलंवत सिंह ने 1971 के युद्ध में दुश्मन पर भारी पड़ कर अपने प्राण न्यौछावर किए थे। सभी वीरों के घरों में शहीदों को नमन करने के लिए विजय मशाल पहुुंची तो पुरानी यादें ताजा हो आई। शहीदों के स्वजन भावुक तो थे, लेकिन वे गर्व महसूस कर रहे थे।
कलेजे को ठंडक मिली : अखनूर की वीरनारी कर्णतारो देवी का कहना है कि पति ने खेमकरण सेक्टर में दुश्मन से लड़ते हुए शहादत दी थी। अब विजय मशाल के घर पर कलेजे को ठंडक मिली है कि शहादतों को याद रखा जा रहा है। पलांवाला की गीत कौर के पति सिपाही बलवंत सिंह भी देश की खातिर कुर्बान हो गए थे। अखनूर के सिपाही गुल्लू राम की पत्नी पुष्पा देवी व साहिब ङ्क्षसह की पत्नी सिमरो देवी का कहना है कि उन्होंने कभी सपने भी नही सोचा थी कि सेना एक दिन इस तरह से विजय मशाल लेकर घर आ जाएगी। इससे अधिक खुशी क्या हो सकती है कि शहीदों को भुलाया नहीं गया। यह बहुत बड़ा सम्मान है।
हौसला सातवें आसमान पर पहुंचा : सेना- सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद भी मानते हैं कि इस तरह के कार्यक्रम में शहीद के स्वजन, पूर्व सैनिकों व उनके स्वजन का हौसला सातवें आसमान पर पहुंचा है। इस समय विजय मशाल जम्मू के पुंछ जिले में है। उन शहीदों का नमन किया जा रहा है जिन्होंने देश के लिए जान कुर्बान कर दी थी। यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम हैं यहां 50 साल पहले युद्ध लड़नें वाले वीरों व शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया जा रहा है।
लांस नायक मलिक की याद में लगेगा दिल्ली में पेड़ : जम्मू संभाग के राजौरी के दरहाल के वीर चक्र विजेता लांस नायक मोहम्मद इकबाल मलिक की याद में दिल्ली में पौधे लगाए जाएंगे। विजय मशाल ने शहीद लांस नायक के घर जाकर न सिर्फ वीरनारी सरदारा बेगम को सम्मानित किया अपितु यह भी बताया कि उनके पति की याद में दिल्ली के नेशनल वार मेमोरियल में पौधे लगाए जाएंगे। साथ शहीद के नाम की प्लेट लगाकर नई पीढ़ी को अपने शहीदों के बहादुरी के बारे में बताया जाएगा। सेना की विजय मशाल लेकर आए सैनिक जाते समय शहीद के घर भी मिट्टी भी ले गए।