रंगमंच को अपने दम पर बढ़ना होगा : बलवंत ठाकुर

जागरण संवाददाता, जम्मू : संगीत नाटक अकादमी और जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयो

By Edited By: Publish:Wed, 28 Sep 2016 12:08 PM (IST) Updated:Wed, 28 Sep 2016 12:08 PM (IST)
रंगमंच को अपने दम पर बढ़ना होगा : बलवंत ठाकुर

जागरण संवाददाता, जम्मू : संगीत नाटक अकादमी और जम्मू-कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की ओर से आयोजित नाट्य समागम में नाटक बाबा जित्तो का मंचन करने वाले निर्देशक पदमश्री बलवंत ठाकुर ने कहा कि रंगमंच को अपने दम पर जीना होगा।

केएल सहगल हाल में मीट द डायरेक्टर कार्यक्रम में ठाकुर ने रंगमंच को लेकर अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि विदेशों में हो रहे रंगमंच को हम नहीं पकड़ पा रहे हैं। उनसे हम हर क्षेत्र में पीछे हैं। नए लोगों को साथ लाना होगा। अपने आगे पीछे की चुनौतियों को ध्यान में रखकर कहा जा सकता है कि रंगमंच को अपने दम पर आगे बढ़ना होगा। चुनौतियां कम होने वाली नहीं और न ही सुविधाएं बढ़ती दिख रही हैं। ठाकुर वरिष्ठ कर्मी दीपक द्वारा पूछे एक सवाल आप रंगकर्मी, लेखक या प्रबंधक में से बेहतर क्या हैं? ठाकुर ने कहा कि दूसरे देशों में हो रहे कार्य को देखकर लगता है, मैं कुछ भी नहीं हूं।

मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया कि कैसे उनका रंगमंच का सफर शुरू हुआ और कैसे साथियों के जुनून और निष्ठा से उनकी संस्था देश में ही नहीं विदेश में भी डोगरी रंगमंच को पहुंचा सकी। एनडी जम्वाल के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह जीवन भर बावा जित्तो का मंचन करते रहेंगे। किसी भी थियेटर मूवमेंट के लिए जरूरी है।

वरिष्ठ नाट्य निर्देशक बशीर भवानी के प्रश्न के जवाब में ठाकुर ने बताया कि कैसे एक-एक दृश्य के लिए उन्होंने गहन अध्यन किया है। वहीं अकादमी के अतिरिक्त सचिव डॉ. अरविंद्र सिंह अमन ने कहा कि रंगमंच प्रेमी होने के नाते वह कहेंगी बावा जित्तो का मंचन बार-बार होना चाहिए।

एसएनए के उपसचिव ने कहा कि नाटक की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती। नाटक घटना दुर्घटना नहीं है। रिहर्सल नहीं तो कुछ नहीं।

इस मौके पर बावा जित्तो की भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ कलाकार अरविंद लक्की ने जित्तों की भूमिका निभाने के अनुभव साझा किए।

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