टाइगर हिल याद दिलाती है कैप्टन नैय्यर की बहादुरी

राज्य ब्यूरो, जम्मू : यह वह दिन था जब टाइगर हिल की पश्चिम की ओर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा किया ह

By Edited By: Publish:Tue, 26 Jul 2016 02:10 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jul 2016 02:10 AM (IST)
टाइगर हिल याद दिलाती है  कैप्टन नैय्यर की बहादुरी

राज्य ब्यूरो, जम्मू : यह वह दिन था जब टाइगर हिल की पश्चिम की ओर पाकिस्तान के सैनिकों ने कब्जा किया हुआ था। उसे उनसे मुक्त करवाने का जिम्मा युवा अधिकारी कैप्टन नैय्यर को सौंपा गया। उन्होंने अपनी बहादुरी से दुश्मनों को नाकों चने चबाने के लिए विवश कर दिया।

प्वाइंट 4875 जिसे पिंपल-दो भी कहा जाता है, एक बहुत ही अहम चोटी थी जहां पर इस ऑपरेशन को चलाया जाना था। समुद्र तल से 15,990 फीट ऊंची चोटी पर बिना एयर फोर्स के ऑपरेशन चलाकर इसे जीतना असंभव कहा जा रहा था। वह छह जुलाई 1999 का दिन था जब कैप्टन नैय्यर की चार्ली कंपनी ने बिना एयर फोर्स के सहयोग के ही ऑपरेशन चलाने का फैसला किया। पहले हमले के बाद ही कंपनी कमांडर घायल हो गया, लेकिन इससे परेशान हुए बगैर फिर कंपनी को दो हिस्सों में बांटा गया। एक का नेतृत्व कैप्टन नैय्यर और दूसरे का कैप्टन बत्रा ने किया। पाकिस्तान के सैनिकों ने इस प्वाइंट पर कई बंकर बना रखे थे। कैप्टन नैय्यर ने इसकी परवाह किए बगैर हमला कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान के नौ सैनिकों को मार गिराया और तीन मीडियम मशीन गन बंकर भी तबाह कर दिए। कंपनी ने चार में से तीन बंकर तबाह कर दिए। चौथे बंकर को तबाह करने के दौरान कैप्टन नैय्यर के ऊपर सीधा राकेट गिरा, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए। इसके बाद भी उन्होंने लड़ाई जारी रखी और शहीद होने से पहले इस प्वाइंट पर चौथे बंकर को भी तबाह कर दिया। इसमें नैय्यर की कंपनी का कोई भी सैनिक बच नहीं पाया। दो दिनों के बाद पाकिस्तान ने फिर से हमला किया। इस बार कैप्टन बत्रा की कंपनी ने इसका सफलतापूर्वक सामना किया। इस लड़ाई में कैप्टन बत्रा भी शहीद हो गए, लेकिन दोनों ने शहीद होने से पहले पाकिस्तानी सेना के 46 सैनिकों को मार गिराया। कैप्टन नैय्यर को शहीद होने के बाद महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

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