मरीजों के लिए सप्लाई की तीन दवाइयां निकली घटिया

आयुर्वेद विभाग में दवाइयां खराब होने का एक कारण दवाइयां रखने के लिए सही प्रबंध नहीं होना भी है। अभी भी भी आयुर्वेद में कई डिस्पेंसरियां किराये के मकानों में चल रही हैं। वहां पर दवाइयां रखने के लिए उचित प्रबंध भी नहीं है। यह दवाइयां जड़ी-बूटियों से बनी होती हैं। कई बार इससे उनमें फंगस तक लग जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Mar 2019 08:16 AM (IST) Updated:Sun, 17 Mar 2019 08:16 AM (IST)
मरीजों के लिए सप्लाई की तीन दवाइयां निकली घटिया
मरीजों के लिए सप्लाई की तीन दवाइयां निकली घटिया

राज्य ब्यूरो, जम्मू : राज्य में मरीजों को दी जाने वाली तीन आयुर्वेदिक दवाइयों के सैंपल फेल हो गए हैं। हब-ए-अजराबी, हब-ए-मुसाफी खून और हब-ए-सुरफिया दवाइयों में हैवी मेटल निर्धारित मात्रा से अधिक मिले। हैवी मेटल सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं और कई प्रकार की बीमारियां भी हो सकती हैं। अब आयुर्वेदिक विभाग ने इन दवाइयां की सप्लाई पर रोक लगा दी है, इसके साथ ही पहले से मौजूद दवाओं का वितरण करने से भी इन्कार कर दिया है। यह हालात तब हैं जब जम्मू कश्मीर मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन दो-दो प्रमुख लेबोरेटरियों से दवाइयां जांच करवाने के बाद ही सप्लाई करता है।

आयुर्वेद विभाग ने कुछ माह पूर्व मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन के बरजुला, श्रीनगर स्थित स्टोर व अन्य जिला स्टोर से इंडियन ड्रग एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड द्वारा बनाई हब-ए-अजराबी का बैच नंबर यूएचए-19, न्यू शर्मा लेबोरेटरी द्वारा तैयार की गई हब-ए-मुसाफी खून का बैच नंबर-021 और इंडियन ड्रग एंड मैन्युफैक्चर लिमिटेड की हब-ए-सुरफिया का बैच नंबर यूएचए-51 उठाए और जांच के लिए भेजे। हाल ही में आई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दवाओं में जरूरत से अधिक हैवी मेटल हैं। यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं और कई बीमारियां भी हो सकती हैं। दवाओं का प्रयोग न करने के आदेश

इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसन के डायरेक्टर डॉ. फुंगस्तोग आंगचुक ने कहा कि सैंपल फेल होने के बाद इसकी जानकारी कारपोरेशन को दे दी है। किसी भी अस्पताल में अब यह दवाएं मरीजों को नहीं दी जा रही हैं। उधर, दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग और कुलगाम जिलों के असिस्टेंट डायरेक्टर आयुर्वेद ने सभी अस्पतालों को इन दवाइयां के इस्तेमाल नहीं करने को लिखा है।

पहले भी मिली थीं घटिया दवाइयां

आयुर्वेद विभाग में पहले भी घटिया दवाइयां खरीदने का मामला सामने आया था। शिकायत हुई, विजिलेंस ने मामला दर्ज कर छानबीन भी की, लेकिन परिणाम कुछ भी निकला। साल 2016 में नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिग एंड कैलीब्रेशन ने पांच सैंपल फेल किए थे। कहा था कि यह दवाइयां खाने लायक नहीं हैं। फिर सरकार ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर जांच के आदेश दिए थे। दवाइयों में फंगस था। लेड और मरकरी की मात्रा अधिक थी। इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसीन के डायरेक्टर जनरल को अटैच किया, लेकिन इसके बाद जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। दवाइयां रखने का भी प्रबंध नहीं

आयुर्वेद विभाग में दवाइयां खराब होने के कई मामले सामने आते हैं। इसका कारण दवाइयां रखने के उचित प्रबंध नहीं होना भी है। अभी भी कई आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां किराये के मकानों में चल रही हैं और दवाइयां रखने के उचित प्रबंध नहीं हैं। यह दवाइयां जड़ी-बूटियों से बनी होती हैं और कई बार उनमें फंगस तक लग जाता है।

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