भारतीय रणबांकुरों ने महारानी के सामने तोड़ा था अंग्रेजों का गुरूर, पहली बार विदेश में फहरा था तिरंगा

भारतीय हॉकी टीम ने आज से ठीक 72 साल पहले इंग्लैंड को लंदन ओलंपिक के फाइनल में हराकर गोल्ड मेडल जीता था।

By Vikash GaurEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 08:34 AM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 08:34 AM (IST)
भारतीय रणबांकुरों ने महारानी के सामने तोड़ा था अंग्रेजों का गुरूर, पहली बार विदेश में फहरा था तिरंगा
भारतीय रणबांकुरों ने महारानी के सामने तोड़ा था अंग्रेजों का गुरूर, पहली बार विदेश में फहरा था तिरंगा

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय हॉकी टीम ने आज ही के दिन साल 1948 में अंग्रेजों का गुरूर तोड़ा था। भारतीय खिलाड़ियों ने ये कमाल किसी द्विपक्षीय मैच में नहीं, बल्कि ओलंपिक खेलों के दौरान किया था। भारत साल 1947 में अंग्रेजों से आजाद हुआ था और भारत की आजादी के बाद पहली बार लंदन में 1948 में ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ। इन्हीं ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने मेजबान इंग्लैंड को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। 

हालांकि, देश को आजादी मिलने से पहले साल 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक खेलों में भी ये कमाल किया था,लेकिन आजादी के ठीक एक साल बाद लंदन ओलंपिक में उसने वह कर दिखाया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। यहां तक विदेशी सरजमीं पर पहली बार भारतीय तिरंगा भी फहराया गया था। उस फाइनल मैच में भारतीय टीम ने शानदार खेल दिखाते हुए महारानी के सामने इंग्लैंड को चारों खाने चित कर दिया था। 

भारत ने ये ऐतिहासिक मुकाबला 4-0 से जीता था। फाइनल मुकाबले में बलबीर सिंह सीनियर ने दो, तरलोचन सिंह और पैट्रिक जेनसन ने एक-एक गोल किए। भारतीय टीम ने दो सदी तक देश में अत्याचार करने वाले अंग्रेजों को ऐसा मजा चखाया था कि उससे परेशान हर देश झूम उठा था। आजादी के बाद पहला मौका था, जब भारतीय तिरंगा किसी देश में फहराया हो। इंग्लैंड की महारानी ने खड़े होकर इस जीत का सम्मान किया। इस जीत के जश्न में वह सभी देश शामिल हुए जो कभी अंग्रेजों के कब्जे में रहे थे।

बलबीर सिंह सीनियर का बनाया विश्व रिकॉर्ड अभी भी कायम

बलबीर सिंह सीनियर के मित्र व खेल इतिहासकार एसके गुप्ता ने बताया कि 12 अगस्त, 1948 को भारतीय टीम ने सिर्फ ओलंपिक में स्वर्ण पदक ही नहीं जीता था, बल्कि दुनिया को अपने होने का अहसास भी करवाया था। इस जीत में बलबीर का अहम रोल था। सीनियर ने अपने पहले ओलंपिक मैच में अर्जेंटीना के खिलाफ छह गोल किए थे, जोकि अभी तक कोई भी खिलाड़ी नहीं बना सका है। इस मैच में भारतीय टीम 9-1 से मैच जीती थी। इस ओलंपिक में बलबीर सिंह सीनियर ने सिर्फ दो मैच खेले थे, जिसमें उन्होंने आठ गोल किए थे। भारतीय टीम में सबसे ज्यादा गोल करने वाले वही थे।

राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर मनाया जाना चाहिए यह खास दिन

स्वर्गीय पद्मश्री बलबीर सिंह सीनियर की बेटी सुशबीर भौमिया ने कहा कि पिताजी की यही इच्छा थी कि इस दिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाए। अपनी यह इच्छा उन्होंने कई मंचों पर भी रखी। दो साल पहले जब केंद्रीय गृहमंत्री व तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जब पिताजी से मिलने आए थे तो भी उन्होंने इस बात का जिक्र उनसे किया था। आज हर छोटी बड़ी उपलब्धि को जोर-शोर से मनाया जाता है ऐसे में देश को उस पल और उस जीत के महत्व को समझना चाहिए।

इस ऐतिहासिक जीत पर ही बन चुकी है फिल्म

1948 ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन पर फिल्म भी बन चुकी है। गोल्ड नाम से बनी यह फिल्म टीम के मैनेजर तपन दास पर बनी थी। तपन दास का रोल अक्षय कुमार ने अदा किया था। फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे कई मुश्किलों के बाद भारतीय टीम ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतती है। इस फिल्म की वजह से भी ये टूर्नामेंट और उस भारतीय टीम के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी मिली थी। 

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