हॉकी फ्लैश बैक: पहली बार एस्ट्रोटर्फ पर हुआ हॉकी विश्व कप का आयोजन
1986 में पहली बार हॉकी विश्व कप में एस्ट्रोटर्फ का प्रयोग किया गया, जहां ऑस्ट्रेलिया विश्व चैंपियन बनकर उभरा।
-फ्लैश बैक 1986
पहली बार एस्ट्रोटर्फ पर विश्व कप का आयोजन
1986 में पहली बार हॉकी विश्व कप में एस्ट्रोटर्फ का प्रयोग किया गया, जहां ऑस्ट्रेलिया विश्व चैंपियन बनकर उभरा। लंदन में 12 टीमों के बीच आयोजित इस टूर्नामेंट में भारत और पाकिस्तान का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। ये दोनों टीमें निचली दो पायदानों पर रहीं। 11वें स्थान के मुकाबले में पाकिस्तान ने भारत को हराया था। भारतीय टीम को उस विश्व कप में अपने खेले छह मुकाबलों में से केवल एक में जीत नसीब हो पाई थी। हालांकि, भारतीय खिलाड़ी मुहम्मद शाहिद इंग्लैंड के रिक चार्ल्सवर्थ के साथ टूर्नामेंट में सर्वाधिक गोल छह गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उस दौरान अपने घरेलू दर्शकों के सामने इंग्लैंड ने भी अपने खेल से प्रभावित किया।
फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1-2 से हारने से पहले उसने पश्चिम जर्मनी को सेमीफाइनल में शिकस्त देकर सबको चौंका दिया था। सोवियत यूनियन ने भी सेमीफाइनल में जगह बनाई थी, जहां उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। तब लगातार दो बार खिताब जीतने के बाद खेलने उतरी पाकिस्तान की टीम ने अपने खराब प्रदर्शन के लिए एस्ट्रोटर्फ को जिम्मेदार ठहराया था।
-फ्लैश बैक 1990
घर में फाइनल हारा पाकिस्तान
पाकिस्तान के शहर लाहौर में 1990 में सातवें हॉकी विश्व कप का आयोजन किया गया। 12 टीमों के इस आयोजन के फाइनल में नीदरलैंड्स ने पाकिस्तान को उसके घरेलू दर्शकों के सामने 3-1 से हराकर दूसरी बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। भारत की एक बार फिर दुर्दशा देखने को मिली। भारत अपने पूल में एक भी मैच नहीं जीत पाया और सबसे नीचे रहा। पिछले आयोजन में एस्ट्रोटर्फ को कोसने वाली पाकिस्तान की टीम ने अपने देश में इस नई टर्फ पर बढि़या खेल दिखाया। उसने अपने पूल में पांच में से तीन मुकाबले जीतकर पश्चिम जर्मनी के साथ सेमीफाइनल में जगह बनाई। भारत के पूल से ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स अंतिम चार में पहुंचे थे।