दुर्गम दर्रों पर कथक के माध्यम से दे रहीं देशभक्ति का संदेश

दुनिया के सबसे ऊंचे खारदुंगला के अलावा पांच दुर्गम दर्रों पर कथक कर श्रुति लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवा चुकी हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 02 Aug 2018 09:23 AM (IST) Updated:Thu, 02 Aug 2018 10:08 AM (IST)
दुर्गम दर्रों पर कथक के माध्यम से दे रहीं देशभक्ति का संदेश
दुर्गम दर्रों पर कथक के माध्यम से दे रहीं देशभक्ति का संदेश

सोलन [मनमोहन वशिष्ठ]। सेना के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए कथक नृत्यांगना श्रुति गुप्ता दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंचती हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे खारदुंगला के अलावा पांच दुर्गम दर्रों पर कथक कर श्रुति लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवा चुकी हैं। उनकी पहल को पीएम भी सम्मानित कर चुके हैं।

सोलन, हिमाचल प्रदेश निवासी श्रुति जब दुर्गम दर्रों की सख्त, पथरीली जमीन पर नंगे पांव कथक करती हैं तो सहज पता चल जाता है कि इसके पीछे देशभक्ति से भरा उनका जज्बा ही है। उन्होंने ऐसे दुर्गम इलाकों में तैनात सेना के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए यह पहल की है। दुनिया के सबसे ऊंचे खारदुंगला के अलावा पांच दुर्गम दर्रों पर कथक कर चुकीं श्रुति का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है।

श्रुति बताती हैं कि उनका जन्मदिन भी 15 अगस्त ही है। वह कहती हैं कि यह देशभक्ति का जज्बा ही है कि उन्होंने हिमालय की चोटियों पर, जहां सांस लेना भी मुश्किल होता है, माइनस डिग्री तापमान में नंगे पैर कथक कर विश्व रिकॉर्ड बनाया। वे इसे देश की आन- बान-शान को समर्पित करती हैं।

कहती हैं, हमें गर्व है कि भारतीय सेना ने कभी किसी देश पर कब्जा करने के लिए हथियार नहीं उठाए, जब भी उठाए, अपने देश की रक्षा के लिए। देश के सैनिक जिन विषम परिस्थितियों का सामना कर देश सेवा करते हैं, उनका वह जज्बा अतुलनीय है। हर देशवासी को उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए।

श्रुति ने सबसे पहला रिकॉर्ड 18 अक्टूबर, 2015 को 16 हजार 40 फीट ऊंचे बारालाचा पास पर माइनस सात डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच कथक कर बनाया था। उन्होंने सेना के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए कथक की शानदार प्रस्तुति दी थी। वह भी नंगे पैर। 27 अक्टूबर, 2016 को सबसे ऊंचे खारदुंगला दर्रे (18 हजार 380 फीट) पर माइनस 24 डिग्री सेल्सियस तापमान में वंदे मातरम की धुन पर सैनिकों के सामने नृत्य प्रस्तुत किया था। इसी वर्ष 15 जून को 13 हजार 50 फीट ऊंचे रोहतांग पास पर, जबकि 16 जून को एक ही दिन में बारालाचा (16 हजार 40 फीट) पर, नकीला पास (15 हजार 547 फीट), लाचुंगला पास (16 हजार 616 फीट) और तंगलांगला पास (17 हजार 582 फीट) पर भारतीय जवानों को अपनी कला के माध्यम से नमन किया था।

श्रुति की इस उपलब्धि के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह फरवरी, 2017 को उन्हें सम्मानित किया था। हिमाचल के मुख्यमंत्री, हिमाचल व पंजाब के राज्यपाल भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। श्रुति का कहना है कि वह इस मिशन को आगे भी जारी रखे हुए हैं और अपनी कला अभिव्यक्ति के जरिये देश व सेना के सम्मान में यह उनका छोटा सा किंतु समर्पित प्रयास है। 

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