हिमाचल दिवस पर विशेष: पहचान खो रहा हिमाचल के नामकरण का साक्षी यह भवन

Darbaar Hall damage सोलन का दरबार हॉल जहां 26 जनवरी 1948 को पहाड़ी रियासतों के शासकों व नेताओं की बघाट रियासत (सोलन) में सभा बुलाई गई थी। लेकिन आज बहाल है।

By Edited By: Publish:Mon, 15 Apr 2019 07:33 AM (IST) Updated:Mon, 15 Apr 2019 10:30 AM (IST)
हिमाचल दिवस पर विशेष: पहचान खो रहा हिमाचल के नामकरण का साक्षी यह भवन
हिमाचल दिवस पर विशेष: पहचान खो रहा हिमाचल के नामकरण का साक्षी यह भवन

सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। मैं हिमाचल के नामकरण व गठन का गवाह हूं, लेकिन मेरी पहचान अव्यवस्था के अंधेरे में खोने लगी है। करीब सौ साल से इतिहास को समेटे खड़ा हूं। मेरे ही आंगन में प्रदेश के निर्माण की लकीरें कागजों पर खींची जाती है, लेकिन मुझ तक ये लकीरें नहीं पहुंच रही। अब वक्त व अव्यवस्था की मार से मेरा धैर्य जवाब देने लगा है। जी हां, मैं हूं सोलन का दरबार हॉल, जहां 26 जनवरी, 1948 को पहाड़ी रियासतों के शासकों व प्रजामंडल के नेताओं की बघाट रियासत (सोलन) में सभा बुलाई गई थी।

सभा में 28 रियासतों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बघाट के राजा दुर्गा ¨सह को सभा का अध्यक्ष चुना गया था। सोलन के गंज बाजार स्थित बघाट रियासत के दरबार हॉल यानी कचहरी भवन में तिरंगा लहराने के बाद सभा की कार्रवाई शुरू हुई। इसी अधिवेशन में रियासती संघ के हिमाचल प्रदेश व प्रजामंडल के हिमालय प्रांत नामों पर विचार विमर्श हुआ। रियासती संघ के नाम पर राजाओं ने समझौते पर प्रस्ताव रखा। अंत में रियासती संघ का नाम हिमाचल प्रदेश रखा गया, जिसका मैं यानी सोलन का दरबार हॉल गवाह बना। मेरी इमारत वक्त के थपेड़ों के साथ खस्ता हालत में पहुंच चुकी है। यहां लोक निमार्ण विभाग का एसई ऑफिस है, जहां कई निर्माण कार्यो की रूपरेखा बनाई जाती है। लेकिन मेरी दरारों को भरने की चिंता कोई नहीं कर रहा। मेरे संरक्षण के लिए शहर की कई संस्थाएं व इतिहासकार आवाज उठाते रहे हैं। मेरी सौ वर्ष से अधिक उम्र हो चुकी है और मुझे धरोहर बनाने की मांग भी उठ रही है। राज परिवार ने मुझे सरकार को सौंपा था। हिमाचल प्रदेश सोमवार को 72वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल का गठन हुआ था, जिसके बाद प्रदेश ने कई मुकाम हासिल किए।

सोलन के दरबार हॉल को धरोहर घोषित किया है या नहीं इसकी जानकारी नहीं है। इस बारे में उचित कदम उठाया जाएगा।

-कुसम संघाहिक, जिला अधिकारी, भाषा एवं संस्कृति विभाग सोलन।

सोलन के गंज बाजार स्थित दरबार हॉल हिमाचल प्रदेश के नामकरण का साक्षी रहा है। इसमें रियासतों के विलय को लेकर 28 रियासतों के राजाओं व प्रजामंडल के नेताओं की बैठक हुई थी। सभा में बघाट नरेश के सुझाए गए हिमाचल प्रदेश के नाम पर मुहर लगी थी। सरकार को भवन के रखरखाव के लिए प्रयास करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी इतिहास को जान सके।

-केआर कश्यप 'करुण', लेखक, सोलन।

हिमाचल प्रदेश के नामकरण का साक्षी रहा दरबार हॉल खस्ताहालत में है। सरकार को इसके संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने चाहिए ताकि ऐतिहासिक इमारतों का वजूद कायम रहे। दरबार हॉल को सरकार को संग्रहालय बनाना चाहिए, जिसमें बघाट रियासत व हिमाचल के नामकरण की जानकारी लोगों को पढ़ने को मिल सके।

-मदन हिमाचली, साहित्यकार सोलन

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