माननीयों ने एक साल में की 66 लाख की निशुल्क यात्रा

माननीयों ने बीते वित्त वर्ष में सरकारी खर्चे पर खूब सैर की है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Sep 2019 08:03 PM (IST) Updated:Thu, 26 Sep 2019 08:03 PM (IST)
माननीयों ने एक साल में की
66 लाख की निशुल्क यात्रा
माननीयों ने एक साल में की 66 लाख की निशुल्क यात्रा

राज्य ब्यूरो, शिमला : माननीयों ने पिछले वित्त वर्ष में सरकारी खर्चे पर खूब सैर की है। प्रदेश के 68 में से 39 विधायकों ने वर्ष 2018-19 में यात्रा भत्ते के लिए दावा (क्लेम) किया है। सरकारी कोष से निशुल्क यात्रा करने वालों में पूर्व विधायक भी पीछे नहीं हैं। प्रदेश के 58 पूर्व विधायकों ने एक साल में ऐसी यात्राएं की हैं। यात्रा भत्ते का लाभ उठाने वालों में प्रदेश के नामीगिरामी नेता भी शामिल हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता रवि कुमार ने इस मुद्दे पर सूचना का अधिकार के तहत राज्य विधानसभा सचिवालय से जानकारी मांगी थी। इसके मुताबिक मौजूदा व पूर्व विधायकों की एक साल की निशुल्क यात्रा सुविधा पर करीब 66 लाख रुपये खर्च हुए हैं। लाखों के इस खर्च के बावजूद सुखद पहलू यह है कि एक भी माननीय फिर चाहे वह पूर्व हों या वर्तमान, बीते वर्षो में तय ढाई लाख रुपये तक की निशुल्क यात्रा सुविधा की तय सीमा के नजदीक नहीं पहुंचे। विधानसभा के मानसून सत्र में माननीयों को मिलने वाला निशुल्क यात्रा भत्ता सालाना ढाई लाख से चार लाख रुपये करने को लेकर विधेयक पारित हो चुका है। इस विधेयक के पक्ष में अधिकांश माननीय थे। माकपा विधायक राकेश सिघा ने सदन में इसके विरोध में विचार रखा था। विधेयक पारित होने के बाद से ही रवि कुमार व कुछ अन्य सामाजिक कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं। अब राज्य सरकार पर बढ़ा हुआ यात्रा भत्ता वापस लेने का चौतरफा दवाब बढ़ गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा है कि सरकार गैरजरूरी खर्चो को कम करेगी।

किसी ने क्लेम नहीं किए ढाई लाख रुपये

निशुल्क यात्रा भत्ता बढ़ाए जाने के मुद्दे पर सदन में चर्चा के दौरान कहा गया था कि कई विधायक इसे क्लेम नहीं करते हैं। यात्रा भत्ता क्लेम करने वाले विधायकों की संख्या को देखते हुए साफ है कि कई माननीयों ने इसे क्लेम नहीं किया है। इसके साथ ही ढाई लाख की रकम भी किसी ने क्लेम नहीं की है।

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