धूप हो या बारिश, खुले में बसों का इंतजार

राजधानी शिमला को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला हुआ है। लेकिन आइएसबीटी क्रासिंग पर रेन शेल्टर न होने से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 May 2022 07:33 PM (IST) Updated:Sun, 22 May 2022 07:33 PM (IST)
धूप हो या बारिश, खुले में बसों का इंतजार
धूप हो या बारिश, खुले में बसों का इंतजार

जागरण संवाददाता, शिमला : राजधानी शिमला को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला हुआ है। राज्य सरकार व नगर निगम शिमला शहर में स्मार्ट बस स्टापेज बनाने की भी घोषणा कर चुके हैं, लेकिन हकीकत में लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। शहर में ऐसे कई बस स्टापेज हैं जो स्मार्ट होना तो दूर वहां पर वर्षाशालिकाएं भी नहीं बनी हुई हैं। इनमें से एक है आइएसबीटी क्रासिग। पार्किग के ठीक सामने प्रशासन ने बस स्टापेज बनाया हुआ है।

कांगड़ा, मंडी, ऊना, बिलासपुर, कुल्लू मनाली के अलावा अन्य राज्यों दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा के लिए इसी स्टापेज से बसों में लोग चढ़ते हैं। सुबह छह बजे से देर रात तक यहां पर हजारों लोग बसों के इंतजार में खड़े रहते हैं, लेकिन यहां पर रेन शेल्टर ही नहीं बना है। इसमें गर्मियों में तीखी धूप, बरसात में बारिश के बीच यहां बसों का खुले में इंतजार करना लोगों की मजबूरी है। इससे बुजुर्गो, महिलाओं और बच्चों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बारिश में दिक्कत और भी बढ़ जाती है। रेन शेल्टर न होने के कारण लोगों को बारिश में ही भीगना पड़ता है। प्रशासन का इस तरफ ध्यान ही नहीं गया कि यहां पर कोई रेन शेल्टर बनाया जाए। आइएसबीटी के बजाय यहां बस के लिए आते हैं लोग

आइएसबीटी बाइफरकेशन के पास एक सड़क पुराने बस अड्डे को जाती है एक न्यू आइएसबीटी को। न्यू आइएसबीटी के लिए दो किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। लोग आइएसबीटी जाने के बजाय यहीं पर बस का इंतजार करते हैं। इसलिए यहां पर दिनभर लोगों की भीड़ लगती रहती है। क्या कहते हैं लोग

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र सुरेंद्र शर्मा व रजनीश चौधरी का कहना है कि वर्षाशालिका न होने से लोगों को धूप में ही खड़े रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को घोषणाएं करने से पहले बेसिक चीजों को सुधारना चाहिए। अधिवक्ता अंकुश ठाकुर, रोहन शर्मा का कहना है कि यह ऐसा स्थान है जहां पर हर समय लोग बसों के लिए खड़े रहते हैं। प्रशासन को चाहिए कि यहां पर रेन शेल्टर बनाए। शहर में एक रेन शैल्टर पर लाखों रुपये खर्च किए हैं जिनका उपयोग भी नहीं हो रहा। जहां जरूरत है वहां ध्यान ही नहीं दिया जा रहा। रजनी ठाकुर, रंजना ठाकुर व रीना वर्मा ने बताया कि वह आफिस से घर जाने के लिए यहीं से बस लेती हैं। कई बार बारिश में बस के इंतजार में भीगना पड़ता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

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