रिकॉर्ड से छेड़छाड़ पर हाईकोर्ट सख्त

कोर्ट के रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ किए जाने पर ऊना के दो आरोपियों खिला़फ हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस किया है। साथ ही उनसे पूछा है कि क्यों को उन्हें इस कृत्य के लिए अवमानना अधिनियम के प्रावधानों के तहत दण्डित किया जाये। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्राधिकृत किया है कि वह इस प्रकरण के लिए संबंधित दंडाधिकारी

By JagranEdited By: Publish:Wed, 10 Apr 2019 09:37 PM (IST) Updated:Wed, 10 Apr 2019 09:37 PM (IST)
रिकॉर्ड से छेड़छाड़ पर हाईकोर्ट सख्त
रिकॉर्ड से छेड़छाड़ पर हाईकोर्ट सख्त

विधि संवाददाता, शिमला : कोर्ट के रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ पर ऊना के दो आरोपियों के खिलाफ हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया है। उनसे पूछा है कि क्यों को उन्हें इस कृत्य के लिए अवमानना अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडित किया जाए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्राधिकृत किया है कि वह इस प्रकरण के लिए संबंधित दंडाधिकारी के समक्ष दोनों आरोपियों के खिलाफ शिकायत दाखिल करें। मामले के अनुसार दोनों अपीलकर्ताओ ने जिला न्यायाधीश ऊना द्वारा पारित 23 दिसंबर 2015 के निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। साथ ही इस अपील को दायर करने के लिए देरी माफी का आवेदन भी दायर किया था। आवेदन में लिखा गया था कि इस अपील को दायर करने के लिए 166 दिनों की देरी हुई जिसे माफ किया जाए और अपील को स्वीकार किया जाए। आवेदन में दिए तथ्यों के अनुसार जिला न्यायाधीश ऊना द्वारा 23 दिसंबर 2015 को निर्णय सुनाया गया था और अपीलार्थी ने 26 दिसंबर 2015 को निर्णय की सत्यापित कॉपी के लिए आवेदन किया था और जिला अदालत ऊना की कॉपिग एजेंसी ने 5 नवंबर 2016 को निर्णय की कॉपी सत्यापित की और 7 नवंबर 2016 को प्रार्थी को सत्यापित कॉपी सौंपी गई इसलिए अपील को दायर करने में 166 दिन की देरी हुई है जिसे माफ किया जाए।

हाईकोर्ट ने आवेदन की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात प्रतिवादी को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने का आदेश दिया। प्रतिवादी ने अपने जवाब में कहा कि अपीलार्थी द्वारा अदालत के समक्ष झूठा शपथपत्र दायर किया है और जिला अदालत के निर्णय को चुनौती दिए जाने के मकसद से अदालत के रिकॉर्ड के साथ टेंपरिग कर 5 जनवरी 2016 को 5 नवंबर 2016 और 7 जनवरी 2016 को 7 नवंबर 2016 कर दिया।

कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला न्यायाधीश ऊना से रिपोर्ट तलब की। जिला न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जिला अदालत द्वारा 23 दिसंबर 2015 को सुनाए गए निर्णय के लिए अपीलार्थी और प्रतिवादी दोनों ने 26 दिसंबर 2015 को आवेदन किया था और कॉपिग एजेंसी ने इसे 5 जनवरी 2016 को सत्यापित किया और 7 जनवरी 2016 को अपीलार्थी और प्रतिवादी को सौंपी गई। हाईकोर्ट ने इस प्रतिवेदन को खारिज करते हुए दोनों अपीलार्थियों के खिलाफ 7 मई 2019 के लिए अवमानना नोटिस जारी किया है।

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