पूर्व पार्षद की सदस्यता समाप्त करने के आदेश पर रोक से हाईकोर्ट का इन्कार

हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला के पूर्व मनोनीत पार्षद संजीव सूद की सदस्यता समाप्त करने के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 07:38 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 07:38 PM (IST)
पूर्व पार्षद की सदस्यता समाप्त करने के
आदेश पर रोक से हाईकोर्ट का इन्कार
पूर्व पार्षद की सदस्यता समाप्त करने के आदेश पर रोक से हाईकोर्ट का इन्कार

विधि संवाददाता, शिमला : हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला के पूर्व मनोनीत पार्षद संजीव सूद की सदस्यता समाप्त करने के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने प्रार्थी संजीव सूद का आवेदन खारिज करते हुए कहा कि यदि अर्बन डेवलपमेंट अथारिटी द्वारा उसे अयोग्य ठहराने वाले आदेश पर रोक लगाई गई तो वह बतौर मनोनीत पार्षद काम करने लगेगा जो कानून के विपरीत होगा।

हाईकोर्ट के आदेश के पश्चात ही सरकार ने 26 अगस्त 2021 को जारी अधिसूचना के तहत मनोनीत पार्षद की बतौर नगर निगम पार्षद सदस्यता समाप्त कर दी थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि वह तीन नवंबर 2020 को अर्बन डेवलपमेंट अथारिटी द्वारा संजीव सूद को अयोग्य ठहराने के आदेश पर अमल करे।

राकेश कुमार द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि संजीव सूद ने वर्ष 2009 में अवैध निर्माण करने के मामले में नगर निगम को हलफनामा दिया था कि वह स्वीकृत मैप के अलावा किया गया अतिरिक्त निर्माण हटा देगा। परंतु वर्ष 2009 से 2019 तक उसने अवैध निर्माण नहीं हटाया। इसके पश्चात राकेश कुमार ने वर्ष 2019 में अर्बन डेवलपमेंट अथारिटी के पास शिकायत दर्ज की जिसमें कार्रवाई के दौरान आरोपों को सही पाया गया और संजीव सूद को पार्षद पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया। अब प्रार्थी संजीव सूद ने याचिका के माध्यम से उसे नगर निगम शिमला के पार्षद पद के लिए अयोग्य ठहराने व निगम की बतौर मनोनीत पार्षद सदस्यता समाप्त करने वाले आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका के साथ प्रार्थी ने अर्बन डेवलपमेंट अथारिटी के अयोग्य ठहराने वाले आदेश व सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने के लिए आवेदन दायर किया था। इसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

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