राखी के बंधन से पर्यावरण की होगी रक्षा

इस रक्षाबंधन भाई की कलाई पर बंधने वाला रक्षा का सूत्र अब पर्यावरण संरक्षण भी करेगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 10:21 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 10:21 PM (IST)
राखी के बंधन से पर्यावरण की होगी रक्षा
राखी के बंधन से पर्यावरण की होगी रक्षा

रामेश्वरी ठाकुर, शिमला

इस रक्षाबंधन भाई की कलाई पर बंधने वाला रक्षा का सूत्र अब पर्यावरण संरक्षण भी करेगा। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व आने वाला है। इसके लिए ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में लगाई गई प्रदर्शनी में विशेष राखियों की काफी मांग है। राखी के डिजाइन के बीच छायादार पेड़ों के बीज डालकर पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जा रहा है। कंडाघाट की महिलाओं ने अनोखी मिसाल पेश की है। अलग-अलग डिजाइन की रंग-विरंगी राखियां ग्राहकों को खूब भा रही हैं।

महिला विक्रेताओं ने बताया कि रक्षाबंधन पर राखियां भाइयों की कलाई पर सजेंगी और कुछ दिन बाद खराब होने पर जब इसे फेंक दिया जाएगा तो इससे बीज के गिरने से जमीन पर पौधा उग जाएगा। उन्होंने बताया कि राखियां बनाने में बान, गुलाल और सरसों के बीज इस्तेमाल किए जाते हैं। पर्यावरण को बचाने वाली यह मुहिम ग्राहकों को खासी पसंद आ रही है और राखियां हाथों हाथ बिक रही हैं। इन राखियों की कीमत 20 से 50 रुपये तक है। इसके अलावा चीड़ की पत्तियों से बने पैन स्टैंड, हैंड पर्स, टोकरी सहित फूलदान भी बेचने के लिए रखे गए हैं। पेड़ लगाने का संदेश देना हमारी जिम्मेदारी

हैंडमेड आइटम्स मेकिग ट्रेनर अनिता ठाकुर का कहना है कि जंगल में चीड़ के पेड़ों से गिरी हुई पत्तियों को इकट्ठा किया जाता है और रंग-विरंगे धागे से राखियों सहित घर की सजावट का सामान बनाया जाता है। घर के काम के साथ ये वस्तुएं बनाना आसान हैं। दिनभर खेत में काम करने के अलावा सुबह व शाम खाली समय में सामान तैयार किया जाता है और प्रदर्शनी में सजाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस काम से कई महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। इसके अलावा जंगलों से अगर हम सूखी पत्तियां उठाते हैं तो बदले में पौधे लगाने का संदेश देना हमारी जिम्मेदारी बनती है। अनिता एक गृहिणी होने के साथ महिलाओं को चीड़ की पत्तियों से सजावट का सामान बनाना भी सिखा रही हैं। अनीता का कहना है कि वे इसी काम पर अभी तक 8 से 10 लाख रुपये कमा चुकी हैं और अपने परिवार की आर्थिक तौर पर सहायता कर रही हैं।

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