हिमाचल की इस सीट पर नौ बार कांग्रेस ने जीती बाजी, 13 बार हुए चुनाव

हिमाचल की पच्छाद विधानसभा सीट पर 1952 से 1977 तक लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा है। यहां 2012 में पहली बार भाजपा ने खाता खोला था।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Thu, 19 Sep 2019 08:20 AM (IST) Updated:Thu, 19 Sep 2019 08:20 AM (IST)
हिमाचल की इस सीट पर नौ बार कांग्रेस ने जीती बाजी, 13 बार हुए चुनाव
हिमाचल की इस सीट पर नौ बार कांग्रेस ने जीती बाजी, 13 बार हुए चुनाव

नाहन, राजन पुंडीर। हिमाचल प्रदेश की पच्छाद विधानसभा में हुए 13 चुनावों में 9 बार कांग्रेस की जीत हुई हैं। इसके अलावा दो बार भाजपा, एक बार जनता पार्टी व एक बार निर्दलीय ने विजय प्राप्त की। पच्छाद पर 1952 से 1977 तक लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा। 1977 में पहली बार पच्छाद विधानसभा सीट पर जनता पार्टी के प्रत्याशी ने खाता खोला। इसी तरह 1982 में गंगूराम मुसाफिर निर्दलीय चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। उसके बाद 2012 में पहली बार भाजपा ने पच्छाद में अपना खाता खोला और यहां से सुरेश कश्यप विधायक बने।

1952 में पच्छाद के पहले विधायक हिमाचल निर्माता व प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार रहे, जबकि 1952 से 56 तक टेरिटोरियल काउंसिल के सदस्य जीवणू राम रहे। 1957 से 1962 तक मंगाराम विधायक तथा जीत सिंह मनोनीत विधायक रहे। हिमाचल में 1952 से 2017 तक 13 विधानसभा चुनाव हुए हैं। अब 2019 में सुरेश कश्यप के सांसद बनने के बाद खाली हुई सीट पर उप चुनाव होगा।  

काउंसिल के समय भी कांग्रेस ही जीत

यहां तक कि जब हिमाचल प्रदेश टेरिटोरियल काउंसिल होता था, तो पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से दो विधायक होते थे। एक विधायक तो जनता के द्वारा चुने जाते थे। दूसरा विधायक टेरिटोरियल काउंसिल के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मनोनीत किया जाता था। उस समय भी कांग्रेस का ही जीती। 

ऐसे बना था कांग्रेस का गढ़

आम चुनाव में जनता पार्टी व भाजपा से जिस भी उम्मीदवार ने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा, वह कुछ समय बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गया या सक्रिय राजनीति से किनारे हो गया। जिसके चलते कांग्रेस पच्छाद में नौ बार परचम लहराने में कामयाब रही। कांग्रेस की सरकार ने पच्छाद के विधायक गंगूराम मुसाफिर को हर बार मंत्री बनाया गया। 

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